विदेश में विवाहित बेटी का वीजा जब्त, नौकरी छिनी; लोन लेकर बेसहारा बेटी की मदद को पहुंचा पिता
मदद के लिए प्रधानमंत्री मोदी व विदेश मंत्री सुषमा को छत्तीसगढ़ की बेटी ने किया ट्वीट, बैंककर्मी पिता अपनी बेटी व उसके चार वर्षीय पुत्र का हाल जानने गए अमेरिका...
बिलासपुर (नईदुनिया)। अमेरिका का बाल्टीमोर शहर, जहां न कोई जानने वाला और न किसी मदद की उम्मीद। वहां चार वर्ष के मासूम बेटे के साथ एक भारतीय मां बीते 8 महीने से बिना वीजा के रह रही है। कोर्ट के आदेश पर पासपोर्ट, वीजा जब्त होने के बाद अब उसकी नौकरी भी चली गई है। पति व ससुराल वालों ने पहले ही मुंह फेर लिया है।
सुषमा स्वराज से की मदद की अपील
इधर, अपनी बेटी की विवशता देख बैंककर्मी पिता से रहा नहीं गया। उन्होंने बैंक से छुट्टी ली और बेटी का हाल जानने अमेरिका रवाना हो गए हैं। इतना ही नहीं, बीते एक साल से वह अपनी गाढ़ी कमाई का पूरा हिस्सा बेटी व मासूम नाती का जीवन बचाने में खर्च कर रहे हैं। अब तक एक करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि खर्च हो चुकी है। पीडि़त परिवार ने मदद के लिए अब पीएम नरेंद्र मोदी व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट किया है।
बेटी के परिवारजन ही बने दुश्मन
दिल को झकझोर देने वाली यह घटना महामाया नगर निवासी भारतीय स्टेट बैंक में क्लर्क की नौकरी करने वाले वीएन राव की बेटी व मासूम नाती के साथ घटी है। वीएन राव की बेटी की जान का दुश्मन कोई और नहीं उसके पति डी रविशंकर व परिजन ही बन गए हैं। वीएन राव की बेटी वी मेहर निधि ने अमेरिका के बाल्टीमोर शहर से मोबाइल के जरिए जब अपनी आप बीती सुनाई तो घर में सन्नाटा छा गया।
लोन लेकर पिता पहुंचे अमेरिका
बेटी ने रोते-रोते बताया कि पति व उसके परिवार वालों ने उसे घर से निकाल दिया है और अब तो मासूम बेटे साकेत को भी उससे छीन ले गए हैं। यह वाकया सुनकर पहले तो पिता, मां व छोटा भाई मेहुल फूट-फूटकर रोए, इसके बाद बेटी का संबल बढ़ाया। अब, पिता ने बैंक से लोन लिया और अमेरिका के लिए रवाना हो गए। निधि की शादी वर्ष 2012 में विशाखापट्टनम निवासी डी रविशंकर से हुई थी। रविशंकर अमेरिका के बाल्टीमोर शहर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता है। वह और उसका पूरा परिवार वहीं बस गया है, वह वहां का ग्रीन कार्डधारी है।
शादी के एक साल बाद झगड़े शुरु
अप्रैल 2013 में निधि ने पुत्र को जन्म दिया, पिता ने उसका नाम साकेत रखा। पुत्र के जन्म के बाद से ही रविशंकर और निधि के बीच किसी न किसी बात को लेकर विवाद होने लगा। इसकी जानकारी निधि ने अपनी मां को दी। पिता से रहा नहीं गया। वह अमेरिका गए और बेटी व नाती को लेकर बिलासपुर आ गए। तकरीबन एक साल बाद निधि ने अपने पति से वीजा नवीनीकरण करने की बात कही व अमेरिका आने की इच्छा जताई। पति ने वीजा नवीनीकरण नहीं कराया।
वीजा जब्त, नौकरी भी गई
तब निधि के नाम पर उसके पिता ने एसबीआई से एजुकेशन लोन के तहत 18 लाख रुपये निकाले व बेटी व नाती को लेकर अमेरिका गए। शेष राशि खर्च के लिए बेटी को दे दी। एक साल रहने के बाद पिता वापस बिलासपुर लौट आए। उनके आते ही पति रविशंकर ने निधि व अपने मासूम बेटे को घर से निकाल दिया। तब से लेकर आजतक निधि अपने मासूम बेटे के साथ अलग रह रही है। परेशानी ये कि वीजा जब्त होने के बाद उसकी नौकरी भी चली गई है। अब भूखों मरने की नौबत आ गई है।
सुपीरियर कोर्ट ने अमेरिका न छोड़ने का जारी किया फरमान
9 जून 2017 को न्यूजर्सी समरसेट स्थित सुपीरियर कोर्ट ने एक आदेश जारी किया। कोर्ट का आदेश ई-मेल के जरिए भेजा गया। इसमें साफ शब्दों में लिखा है कि निधि व उसका बेटा साकेत देश छोड़कर नहीं जा सकते। कोर्ट के आदेश के बाद कानूनी सहायता के लिए निधि ने एंबेसी से संपर्क किया, पर उसे कोई कानूनी सहायता नहीं मिली।
साकेत को भारत से वापस अमेरिका लाने का कोर्ट ने जारी किया था फरमान
निधि पर एक और मुसीबत आई जब न्यूजर्सी कोर्ट ने उसके बेटे साकेत, जो अपने नाना व नानी के साथ रहकर बिलासपुर में पढ़ रहा था, को एक महीने के भीतर भारत से वापस अमेरिका लाने का फरमान जारी कर दिया । पिता की बेरुखी की सजा चार साल के मासूम साकेत को भुगतनी पड़ रही है।
मामा मुझे ले जाओ, नानी मैं यहां नहीं रहना चाहता
साकेत मामा व नानी को फोन कर अपने पास ले जाने की जिद करता है। फोन पर वह रोता है।