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एफएटीएफ पहुंची पाकिस्तान, आतंकी फंडिंग की जमीनी हकीकत की जांच करेगी

भारतीय एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आतंकी फंडिंग पर पाकिस्तान के दावे और हकीकत में अंतर साफ देखा जा सकता है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 02:25 PM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2018 08:27 PM (IST)
एफएटीएफ पहुंची पाकिस्तान, आतंकी फंडिंग की जमीनी हकीकत की जांच करेगी
एफएटीएफ पहुंची पाकिस्तान, आतंकी फंडिंग की जमीनी हकीकत की जांच करेगी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आतंकी फंडिंग रोकने पर दावे की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसी एफएटीएफ की टीम पाकिस्तान पहुंच गई है। लगभग 12 दिनों तक एफएटीएफ की टीम पाकिस्तान के दावे की जमीनी सच्चाई की जांच करेगी। आतंकी फंडिंग को लेकर एफएटीएफ ने पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाल दिया है। यदि पाकिस्तान एफएटीएफ को संतुष्ट नहीं कर पाया तो उसके काली सूची में डाले जाने का खतरा बढ़ जाएगा। आर्थिक संकटों से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता हासिल करना और भी मुश्किल हो जाएगा।

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जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसी एफएटीएफ की टीम पाकिस्तान पहुंची

पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार एफएटीएफ के एशिया पैसिफिक ग्रुप की नौ सदस्यीय टीम सोमवार को पाकिस्तान पहुंच गई है। टीम 12 दिनों तक पाकिस्तान में रहेगी और आतंकी फंडिंग रोकने के लिए किए गए उपायों की जमीनी हकीकत की जांच करेगी। टीम में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग, ब्रिटिश स्कॉटलैंड यार्ड, मालदीव के फाइनेंसियल इंटेलीजेंस, इंडोनेशिया के वित्त विभाग, चीन के पीपुल्स बैंक और तुर्की के जस्टिस विभाग के विशेषज्ञ शामिल हैं।

आतंकी फंडिंग को लेकर एफएटीएफ की निगरानी सूची में है पाकिस्तान

टीम की रिपोर्ट के आधार पर ही पाकिस्तान को निगरानी सूची में बनाए रखने या फिर आगे और काली सूची में डालने पर फैसला होगा। आर्थिक संकट से निकलने के लिए पाकिस्तान को पहले एफएटीएफ की निगरानी सूची से निकलना जरुरी होगी। निगरानी सूची में रहते हुए पाकिस्तान के लिए आसानी से अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग हासिल करना मुश्किल होगा।

पाकिस्तान भले ही आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए किये गए प्रयासों का हवाला देकर एफएटीएफ की निगरानी सूची से बाहर निकलने का प्रयास कर रहा हो। लेकिन भारतीय एजेंसियों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसी को संतुष्ट करना उसके लिए आसान नहीं होगा।

फरवरी में जब पहली बार पाकिस्तान को निगरानी सूची में डालने का नोटिस जारी किया गया था, उसके बाद से उसने इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। सबसे अहम बात यह है कि दुनिया जिन्हें आतंकी मानती ही नहीं है, इनमें लश्करे तैयबा प्रमुख हाफिज सईद, जैश ए मोहम्मद सरगना मसूद अजहर समेत तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के कई बड़े आतंकी शामिल हैं। यही नहीं, संयुक्त राष्ट्र से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित हाफिज सईद को राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी जाती है।

भारतीय एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आतंकी फंडिंग पर पाकिस्तान के दावे और हकीकत में अंतर साफ देखा जा सकता है। निगरानी सूची में डाले जाने के बाद पाकिस्तान अपने आतंकी कानून में संशोधन कर संयुक्त राष्ट्र की सूची में सभी आतंकियों को अपनी आतंकी सूची में डाल दिया, लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तान में आतंक के खिलाफ कार्रवाई के लिए बनी सबसे बड़ी एजेंसी नेशनल काउंटर टेररिज्म एजेंसी (नाकटा) की सूची में न तो जमात उद दावा का नाम है और न ही फलाह-ए-इंसानियत का।

नाकटा ने इन्हें केवल निगरानी सूची में डाल रखा है। जबकि ये दोनों लश्करे तैयबा के फ्रंट संगठन है और संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में शामिल है।


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