New Farm Acts: किसानों का भाग्य पलट सकता है कांट्रैक्ट खेती कानून, जानिए, क्या होगा बदलाव
कांट्रैक्ट खेती का नया कानून किसानों की जमीन को बेचने लीज पर देने और किसानों को बंधक बनाने पर रोक लगाएगा। कानून में यह भी प्रावधान है कि कांट्रैक्ट करना अथवा न करना किसान की मर्जी पर निर्भर करेगा।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कांट्रैक्ट खेती के प्रावधान से किसानों का भाग्य पलट सकता है। कांट्रैक्ट के सहारे ही कंपनियां छोटे किसानों को अपनी उपज की मार्केटिंग के गुर सिखा सकती हैं, जिससे उनकी आमदनी में इजाफा होना तय है। कृषि मामले में विशेषज्ञता के बावजूद अपनी उपज बेचने के मामले में किसान हमेशा से मात खाता रहा है। कृषि क्षेत्र की इस कमजोर कड़ी को कांट्रैक्ट खेती के कानूनी प्रावधानों से बड़ा बल मिलेगा।
देश के 87 फीसद छोटे किसानों को मिलेगा कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट का सीधा लाभ
कृषि सुधार के लिए संसद से पारित कानूनों में कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट काफी महत्वपूर्ण है। खासतौर पर देश के 87 फीसद छोटे किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा, जिनकी पहुंच मंडियों तक नहीं है। कृषि कानूनों के कुछ प्रावधानों पर किसानों को संदेह है। उन्हें आशंका है कि कांट्रैक्ट फार्मिंग के बहाने उनकी जमीनों पर कारपोरेट सेक्टर का कब्जा हो जाएगा। सरकार को इस आशंका को निर्मूल साबित करने के पुख्ता कानूनी बंदोबस्त करने होंगे, ताकि कांट्रैक्ट करने की दिशा में किसानों का विश्वास बढ़ सके।
कानून में किसानों की जमीनों की सुरक्षा के कड़े प्रबंध
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने इस बारे में बताया, 'संसद से पारित इस कानून में किसानों की जमीनों की सुरक्षा के कड़े उपाय किए गए हैं। किसी भी हाल में किसानों की जमीनों पर दूसरे पक्ष का कब्जा नहीं हो सकता है और न ही किसानों को कांट्रैक्ट के नाम पर बंधक बनाया जा सकता है। विवाद के निपटारे के लिए एसडीएम कोर्ट की जगह सिविल कोर्ट में सुनवाई का प्रावधान किया जा सकता है।'
निजी निवेश का आना अत्यंत जरूरी
दरअसल जिस तेजी से लोगों की जीवन शैली और खानपान में बदलाव आ रहा है, उस हिसाब से खेती के स्वरूप में परिवर्तन भी जरूरी है। उपभोक्ताओं की आमदनी बढ़ने के साथ ही परंपरागत अन्नाहार की जगह अन्य पौष्टिक उत्पादों की मांग बढ़ी है। डेयरी उत्पाद, मीट, मछली, पोल्ट्री, फल और सब्जियों की जरूरतें बढ़ी हैं। इन जिंसों व उत्पादों की खेती करने में छोटे किसानों को महारत हासिल है, लेकिन इन किसानों के पास अपनी जिंसों की न तो मार्केटिंग की क्षमता है और न ही प्रोसेसिंग की। इसीलिए अब तक इसका लाभ बिचौलिए ही उठाते रहे हैं। इसके लिए निजी निवेश का आना अत्यंत जरूरी है जो कांट्रैक्ट खेती के रास्ते आ सकता है।
खेतों से ही उपज को खरीद पाएंगी कंपनियां या बडे़ उपभोक्ता
किसानों से कांट्रैक्ट (अनुबंध) करने वाली कंपनियां या बडे़ उपभोक्ता उनके खेतों से ही उपज को खरीद सकते हैं। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में इस तरह की खेती का प्रावधान बहुत पहले से ही चला आ रहा है, जिसका लाभ वहां के किसानों को मिल भी रहा है। लेकिन केंद्र के कानून पर उन्हें कुछ आपत्तियां हैं, जिसमें सुधार के लिए केंद्र सहमत हो गया है। किसानों की जमीनों की सुरक्षा की पुख्ता गारंटी देनी होगी।
कांट्रैक्ट करना अथवा न करना किसान की मर्जी पर निर्भर करेगा
कांट्रैक्ट खेती का नया कानून किसानों की जमीन को बेचने, लीज पर देने और किसानों को बंधक बनाने पर रोक लगाएगा। कानून में यह भी प्रावधान है कि कांट्रैक्ट करना अथवा न करना किसान की मर्जी पर निर्भर करेगा। किसान जब भी चाहे अपना कांट्रैक्ट रद कर सकता है। किसानों के हित संरक्षण में कई प्रावधान किए गए हैं।