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फैशन डिजाइनर्स ने कैलाश सत्यार्थी के साथ खाई कसम, बच्चों से काम नहीं कराएंगे हम

दिल्‍ली में चल रहे लोटस मेकअप इंडिया फैशन वीक के दौरान फैशन इंडस्ट्री ने नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के साथ मिलकर बालश्रम रोकने की शपथ ली...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 03:58 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 03:58 PM (IST)
फैशन डिजाइनर्स ने कैलाश सत्यार्थी के साथ खाई कसम, बच्चों से काम नहीं कराएंगे हम
फैशन डिजाइनर्स ने कैलाश सत्यार्थी के साथ खाई कसम, बच्चों से काम नहीं कराएंगे हम

[यशा माथुर]। 'हम शपथ लेते हैं कि वही डिजाइन बनाएंगे जिनके लिए बच्चों ने काम नहीं किया है। चाइल्ड लेबर मुक्त भारत बनाने में हमारा यह योगदान रहेगा।' फैशन डिजाइनर्स द्वारा यह शपथ लेने पर अब फैशन इंडस्ट्री में कहीं भी अगर बच्चों से काम कराया जाता है तो इसे रोका जाएगा। डिजाइनर्स चाइल्ड लेबर के खिलाफ अपनी आवाज उठाएंगे और बच्चों से काम कराने की प्रवृत्ति को रोकेंगे।

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नोबल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के साथ मिलकर फैशन डिजाइनर्स ने यह संकल्‍प लिया है। फैशन डिजाइन काउंसिल ने कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के साथ मिलकर 'नॉट मेड बाइ चिल्ड्रन' अभियान आरंभ किया है, जिसके तहत भारतीय गारमेंट इंडस्ट्री को चाइल्ड लेबर फ्री बनाया जाएगा।

दिल्ली में इन दिनों चल रहे लोटस मेकअप इंडिया फैशन वीक में पहले दिन कैलाश सत्यार्थी जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में आए और बाल मजदूरी रोकने की गुजारिश की। इस मौके पर कैलाश सत्यार्थी ने डिजाइनर्स से कहा 'आपको लाखों लोग फॉलो करते हैं और अगर आप आवाज उठाएंगे तो आपकी आवाज बदलाव लाएगी। आपका टैलेंट और क्रिएटिविटी बदलाव ला सकती है। आप बाल मजदूरी में फंसे बच्चों का भविष्य बदल सकते हैं।'

एफडीसीआइ के अध्यक्ष सुनील सेठी ने इस बाबत वचन दिया कि बाल मजदूरी को रोकने के लिए फैक्ट्रियों तक पर विचार किया जाएगा। इस मौके पर जानी-मानी डिजाइनर रीना ढाका ने कैलाश सत्यार्थी को कहा कि जब आप बोलते हैं तो वह सबसे अलग होता है। हम आपके साथ चलेंगे।

कैलाश सत्यार्थी के साथ शपथ लेने वाले डिजाइनर्स में अंजु मोदी, रीना ढाका, चारु पराशर, राहुल मिश्रा, रेनु टंडन, सामंत चौहान और वरुण बहल सहित कई डिजाइनर्स शमिल थे। तेजी से बढ़ती फैशन इंडस्ट्री ने काफी लोगों को रोजगार दे रखा है। कई चरणों में काम होता है तब जाकर कोई गारमेंट बनता है। इस बीच कहीं न कहीं बालश्रम की गुंजाइश बनी रहती है।

यह कहा जाता रहा है कि खासकर जरी की कढ़ाई में बच्चों से काम कराया जाता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में करीब 1,00,000 से ज्यादा बच्चे काम करते हैं। ज्यादातर बच्चे बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्‍चिम बंगाल से लाए गए हैं।


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