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जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए खेती को उन्नत बीज और आधुनिक टेक्नोलॉजी की दरकार

देश के 87 फीसद से अधिक किसान छोटी जोत के हैं जिनके खेतों में आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग नहीं किया जा सकता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 07:58 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 07:58 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए खेती को उन्नत बीज और आधुनिक टेक्नोलॉजी की दरकार
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए खेती को उन्नत बीज और आधुनिक टेक्नोलॉजी की दरकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए कृषि क्षेत्र को जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी की जरूरत है, वहीं उन्नत बीजों की भी दरकार है। नकली बीजों और मिलावटी कीटनाशकों के चलते किसानों की हालत पस्त है। कानूनी खामियों का फायदा उठाने वाली कथित बीज कंपनियों और कीटनाशक बनाने वालों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने नया अधिनियम का मसौदा तैयार किया है। मसौदे पर चर्चा के लिए भारत कृषक समाज की ओर से आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में कृषि राज्यमंत्री परसोत्तम रुपाला ने कृषि क्षेत्र की चुनौतियों को गिनाया।

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87 फीसद छोटी जोत का होना ही कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या

उन्होंने कहा 'खेती को मजबूत बनाने के लिए खेतों को बड़ा करना होगा।' उन्होंने कहा कि देश के 87 फीसद से अधिक किसान छोटी जोत के हैं, जिनके खेतों में न तो आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा सकता है और न ही वह किसान अपनी उपज के लिए बाजार में मोलभाव कर सकता है।

किसान एकजुट होकर आधुनिक टेक्नोलॉजी वाली खेती कर सकते हैं

इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखकर सरकार ने किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की अनुमति दी है, जिसे कई तरह की सहूलियतें दी गई हैं। इसके तहत एक एकड़ रकबा वाले पांच सौ किसान एकजुट होकर अलग संगठन बना सकते हैं। पांच सौ एकड़ वाले रकबा में आधुनिक टेक्नोलॉजी वाली खेती की जा सकती है।

मार्केटिंग नेटवर्क की जरूरत है

रुपाला ने कहा कि कृषि निर्यात में नया मुकाम हासिल करने की क्षमता घरेलू कृषि क्षेत्र में है। पूरी दुनिया में जैविक कृषि उपज की मांग है, जिसके उत्पादन की क्षमता हमारे किसानों के पास है। खाने की मेज तक बेहतर जैविक व ताजा उत्पादों को पहुंचाने वाले मार्केटिंग नेटवर्क की जरूरत है। ई-मार्केटिंग करने वाली कंपनियों की तर्ज पर हम इसे क्यों नहीं कर सकते?

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां

इसके पूर्व महाराष्ट्र के किसान नेता पाशा पटेल ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि इससे निपटने वाले बीजों की जरूरत है। नीतियों के हेरफेर से किसानों की दशा कैसे बन और बिगड़ सकती है, इसका जीवंत उदाहरण भी उन्होंने पेश किया। किसान नेता व सांसद विजयपाल तोमर ने गन्ना किसानों की समस्याओं का निदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद दिया।

कृषि शोध संस्थानों की कार्यप्रणाली पर सवाल

देश में परंपरागत तरीके से बीजों की विरासत को संरक्षित करने के लिए घरेलू किसानों का शुक्रिया अदा करते हुए सेमिनार के आयोजक डॉक्टर कृष्णवीर चौधरी ने कृषि शोध संस्थानों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये। बीज व कीटनाशक विधेयक के मसौदे पर डॉक्टर चौधरी ने कहा कि कानून कोई भी बनाये जाएं, लेकिन उनमें किसानों के अधिकारों का ध्यान रखा जाए। उन्होंने किसानों को बाजार की ताकत से आगाह किया।


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