मौसम विभाग का अनुमान- 225 जिलों में नहीं हुई पर्याप्त बरसात, प्रभावित हो रही खेती
जम्मू-कश्मीर में जहां 50 फीसद और लद्दाख में तो 59 फीसद कम मानसून की बारिश हुई है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश के ज्यादातर हिस्से में दक्षिण-पश्चिम मानसून जमकर बरस रहा है, लेकिन उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में बारिश कम हुई है। इन क्षेत्रों में खरीफ फसलों पर संकट के छाने लगा है। कृषि मंत्रालय में इससे निपटने की रणनीति विचार करने के लिए वरिष्ठ अफसरों की बैठक हुई। मौसम विभाग के मुताबिक पूरे देश में एक जून से छह अगस्त के बीच राष्ट्रीय स्तर पर हुई बारिश सामान्य से कोई दो फीसद कम बताई गई है। लेकिन पश्चिमोत्तर क्षेत्र में बरसात सामान्य से 20 तक फीसद कम हुई है।
भारतीय मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले सप्ताह से मानसून की बरसात का दूसरा चरण शुरू होगा। लेकिन जिन उत्तर और पश्चिम क्षेत्र में कम बरसात हुई है, उसे लेकर मौसम विभाग भी कुछ स्पष्ट नहीं बता रहा है। पश्चिमोत्तर डिवीजन जिसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख प्रमुख हैं।
जम्मू-कश्मीर में जहां 50 फीसद और लद्दाख में तो 59 फीसद कम मानसून की बारिश हुई है। हिमाचल प्रदेश में कम बारिश की वजह से वहां से निकलने वाली नदियों में प्रमुख यमुना में पानी ही नहीं भरा है। हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश शत प्रतिशत सिंचित क्षेत्र हैं, जिससे यहां तो फसलें प्रभावित नहीं होंगी। लेकिन बाकी राज्यों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। इनकी छोटी बड़ी नदियों व तालाबों के भरने से आगामी रबी सीजन के लिए मिट्टी में नमी की भारी कमी हो जाएगी।
इसी तरह सेंट्रल डिवीजन में तीन से चार फीसद तक कम बरसात हुई है। इनमें महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा के साथ केंद्रशासित राज्य दादरा नगर हवेली और दमन दीव में सामान्य से कम बरसात हुई है। मौसम विभाग की मानें तो दूसरे चरण की बारिश से भी इन क्षेत्रों में जरूरत की भरपाई नहीं हो सकेगी। जुलाई मध्य से अब तक यहां बारिश नहीं हुई है। देश के तकरीबन 225 जिलों में पर्याप्त बरसात नहीं हुई है।