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कर्जमाफी के लिए सामने आए एक ही आधार नंबर के सैकड़ों किसान

महाराष्ट्र सरकार ने करीब 35000 करोड़ रुपयों की कर्जमाफी योजना के लिए किसानों से ऑनलाइन फॉर्म भरवाए हैं। जिसमें किसानों को अपना बैंक खाता एवं आधार नंबर देना अनिवार्य था।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 25 Oct 2017 08:23 PM (IST)Updated: Wed, 25 Oct 2017 08:29 PM (IST)
कर्जमाफी के लिए सामने आए एक ही आधार नंबर के सैकड़ों किसान
कर्जमाफी के लिए सामने आए एक ही आधार नंबर के सैकड़ों किसान

राज्य ब्यूरो, मुंबई।  महाराष्ट्र सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही कर्जमाफी योजना में तरह-तरह की विसंगतियां सामने आ रही हैं। जिसके कारण इस योजना को लागू कर पाना बैंकों के लिए मुश्किल हो रहा है। आज मुख्यमंत्री ने राज्य के बैंक अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें कर्जमाफी के रास्ते में आ रही अड़चने दूर करने के निर्देश भी दिए हैं।

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महाराष्ट्र सरकार ने करीब 35000 करोड़ रुपयों की कर्जमाफी योजना के लिए किसानों से ऑनलाइन फॉर्म भरवाए हैं। जिसमें किसानों को अपना बैंक खाता एवं आधार नंबर देना अनिवार्य था। अब बैंकों द्वारा जांच करने पर एक ही आधार नंबर एवं बैंक खाता संख्या के कई-कई किसान सामने आ रहे हैं। बैंक द्वारा तैयार की गई सूची में कुछ ऐसे किसान भी सामने आए हैं, जिनके नाम तीन-तीन बार दर्ज हैं।

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सरकार ने ऐसे किसानों को 25000 रुपए प्रोत्साहन राशि स्वरूप देने का निर्णय किया है, जो कर्जमाफी की घोषणा से पहले ही अपना कर्ज अदा कर चुके हैं। ऐसे किसानों की संख्या करीब ढाई लाख बताई जा रही है। लेकिन जिन बैंकों में किसानों ने अपना कर्ज अदा कर कर दिया है, उन्हीं बैंकों के कर्जदार किसानों की सूची में भी इनमें से कुछ किसानों के नाम अभी दर्ज दिखाए जा रहे हैं।

राज्य सरकार ने कर्जमाफी योजना में घपला रोकने एवं वास्तविक कर्जदार किसानों को इस योजना का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किसानों का ऑनलाइन पंजीकरण शुरू किया था। इस प्रक्रिया में करीब चार महीने लग गए। जबकि विपक्ष किसानों को जल्दी कर्जमाफी का लाभ दिलाने का दबाव डाल रहा था। दीवाली के एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने स्वयं विभिन्न जिलों से आए 25 किसानों को कर्जमाफी का चेक सौंपकर इस योजना की शुरुआत की। प्रथम चरण में करीब 8.40 लाख किसानों को इस योजना का लाभ देने के लिए सरकारी तिजोरी से 4000 करोड़ रुपए जारी भी किए जा चुके हैं। लेकिन आधार संख्या, खाता संख्या एवं अन्य तकनीकी दिक्कतों के कारण इस योजना का लाभ दे पाना बैंकों के लिए मुश्किल हो रहा है।

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