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Government and Farmer Leaders Talk: चार में से दो विषयों पर सरकार और किसान नेताओं के बीच बनी सहमति: नरेंद्र सिंह तोमर

सरकार और किसानों के बीच होने वाली वार्ता पर वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा हमें उम्मीद है कि वार्ता निर्णायक होगी। किसानों से एमएसपी सहित सभी मुद्दों पर खुले दिल से बात की जाएगी।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 08:31 AM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 08:34 PM (IST)
Government and Farmer Leaders Talk: चार में से दो विषयों पर सरकार और किसान नेताओं के बीच बनी सहमति: नरेंद्र सिंह तोमर
किसान नेता ने कहा, 'हमारा रुख स्पष्ट है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से ज्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की केंद्र सरकार के साथ छठे दौर की बातचीत राजधानी के विज्ञान भवन में जारी है। बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल मौजूद हैं। बैठक शुरू होने से पहले वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि वार्ता निर्णायक होगी। हालांकि, इस वार्ता के नतीजों को लेकर संशय है, क्योंकि किसान संगठन इन कानूनों को वापस लिए जाने से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। वहीं, सरकार कह चुकी है कि इन कानूनों में संशोधन तो हो सकता है, लेकिन उन्हें रद नहीं किया जाएगा।

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Farmers Protest Updates:-

- किसान संगठनों के साथ 6 वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज की वार्ता बहुत अच्छे माहौल में आयोजित की गई और यह एक सकारात्मक टिप्पणी पर संपन्न हुई। दोनों पक्षों के बीच 4 विषयों में से 2 पर सहमति बनी। पहला मुद्दा पर्यावरण से संबंधित एक अध्यादेश था। पराली के साथ किसानों को शामिल किए जाने के बारे में यूनियनें आशंकित थीं। संशोधित बिजली बिल और प्रदूषण से संबंधित अध्‍यादेश पर सरकार और किसान संगठनों के बीच सहमति बनी है।

- सरकार और किसान नेताओं की  बैठक खत्‍म, तीनों कृषि कानून रद करने पर अड़े किसान, अगली बैठक 4  जनवरी को होगी  

- चर्चा के दौरान केंद्र सरकार ने किसान नेताओं से कहा कि तीन कृषि कानूनों के बारे में किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाई जा सकती है। 

- सूत्रों के अनुसार, किसान नेताओं के साथ बैठक में केंद्र ने कहा, रद नहीं होगा कृषि कानून, केंद्र ने किसान नेताओं से पहले आंदोलन खत्म करने के लिए कहा। एमएसपी पर भी कहा कि वे उस पर आगे बात कर सकते हैं।

- दिल्ली में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और नरेंद्र सिंह तोमर ने विज्ञान भवन में दोपहर के भोजन के दौरान किसान नेताओं के साथ लंच किया। मंत्रियों ने लंगर ग्रहण किया। सरकार तीन कृषि कानूनों को लेकर दो घंटे से अधिक समय से किसानों के साथ बातचीत कर रही है।

- किसान भवन में भोजन के लिए ले जाते एक 'कार सेवा' टेम्पो को विज्ञान भवन में देखा गया। केंद्र और किसान यूनियनों के बीच फार्म कानूनों पर सातवें दौर की बातचीत चल रही है। 

- किसान नेताओं ने प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए न्याय और मुआवजे की मांग की। 

- कृषि कानून के मुद्दे पर किसान संगठनों और भारत सरकार के बीच बातचीत शुरू हो गई है। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए 40 किसान संगठन पहुंचे हैं। सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल बैठक में शामिल हैं। किसान संगठनों की मांग है कि तीनों कानून वापस होने चाहिए।

- भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत, जो कि कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार के साथ बातचीत के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, किसानों और सरकार के बीच आज की वार्ता के लिए गाजीपुर बॉर्डर (यूपी-दिल्ली बॉर्डर) से दिल्ली में विज्ञान भवन के लिए रवाना हो गए हैं।

- केंद्र सरकार से बातचीत के लिए किसान नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल विज्ञान भवन पहुंच गया है। इस बीच एक किसान नेता ने कहा, 'हमारा रुख स्पष्ट है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए।'

- किसान नेताओं का प्रतिनिधिमंडल तीन कृषि कानूनों पर केंद्र के साथ बातचीत करने के लिए सिंघू बॉर्डर से विज्ञान भवन के लिए हुए रवाना। केंद्र सरकार आज प्रदर्शनकारी किसानों के साथ छठे दौर की वार्ता करने जा रही है।

- सरकार और किसानों के बीच होने वाली वार्ता पर वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि वार्ता निर्णायक होगी। किसानों से एमएसपी सहित सभी मुद्दों पर खुले दिल से बात की जाएगी। मुझे उम्मीद है कि किसानों का आंदोलन आज समाप्त हो रहा है।

- दिल्‍ली के गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा, 'देखिए यह जरूरी है कि देश में मजबूत विपक्ष हो, जिससे सरकार को डर हो, लेकिन यहां वो नहीं है। इसी कारण किसानों को सड़कों पर आना पड़ा। विपक्ष को अपने टेंट में बैठने के बजाए कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन करना चाहिए।

- किसान मजदूर संघर्ष समिति पंजाब के संयुक्त सचिव सुखविंदर सिंह साबरा का कहना है कि किसानों और सरकार के बीच पांच दौर की बातचीत अभी तक हो चुकी है। हमें नहीं लगता कि हम आज भी किसी समाधान तक पहुंचेंगे। तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए।

वार्ता पर संकट के बादल

वार्ता से पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को पत्र लिखकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है। उनका कहना है कि वे तीनों नए कृषि कानूनों को रद करने और एमएसपी की लीगल गारंटी के एजेंडे पर ही बातचीत करेंगे। सरकार को कृषि कानून रद करने के तौर तरीके पर ही चर्चा करनी होगी। वार्ता की पूर्व संध्या पर किसान संगठनों के अपनाए गए इस रख से वार्ता की सफलता पर संदेह के बादल एक बार फिर छाने लगे हैं। बता दें कि वार्ता से पूर्व केंद्रीय कृषिष मंत्री नरेंद्र तोमर, रेल, वाणिज्य व खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर वार्ता में उठने वाले मुद्दों और उनके समाधान के बारे में चर्चा की। सरकार किसानों की शंकाओं के समाधान को लेकर गंभीर है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने किया नए कृषि कानूनों का समर्थन

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने नए कृषि कानूनों का समर्थन किया है। आइसीएआर ने अपनी वेबसाइट पर संदेश लिखा है कि कृषि विज्ञानी, शोधकर्ता, विद्यार्थी और रिसर्च इंस्टीट्यूट नए कृषि कानूनों के समर्थन में हैं। यह कानून कृषि और किसानों के लिए लाभदायक हैं। गौरतलब है कि आइसीएआर कृषि मंत्रालय के तहत एक स्वायत्तशासी संस्था है। देश में बागवानी, मत्स्य व पशु विज्ञान सहित कृषि के क्षेत्र में समन्वयन, मार्गदर्शन, अनुसंधान प्रबंधन व शिक्षा के लिए आइसीएआर सर्वोच्च निकाय है।

मोदी बोले- आंदोलन के नाम पर इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाना गलत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पांच हजार करोड़ रुपए की लागत से तैयार बहुप्रतीक्षित डेडिकेटेड ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर के 351 किमी लंबाई के एक खंड का उद्घाटन किया। इस मौके पर पीएम आंदोलन के नाम पर सरकारी संपत्तियों खासकर रेलवे, सड़क आदि इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाने वालों पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि यह संपत्ति किसी राजनीतिक दल, सरकार या नेता की नहीं है। यह देश की संपत्ति है। इसमें गरीबों और आम लोगों की जेब का पैसा और पसीना लगा है।

''कृषि क्षेत्र में सुधार तो मैं भी करना चाहता था, लेकिन 'इस तरह' नहीं''

पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री तथा राकांपा प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि सरकार किसान आंदोलन को गंभीरता से ले और प्रधानमंत्री इस आंदोलन के लिए विपक्षी दलों पर दोष मढ़ना छोड़ें। उन्होंने आंदोलनकारी किसानों से वार्ता के लिए गठित तीन सदस्यीय मंत्री समूह पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी को इस मामले में कृषि तथा किसानों के मुद्दे की 'गहरी समझ' रखने वाले नेताओं को आगे करना चाहिए। अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।प्रेट्र के साथ एक साक्षात्कार में पवार ने कहा कि यदि सरकार किसानों से अगले दौर की वार्ता में भी समाधान निकालने में विफल रही तो विपक्ष बुधवार को भविष्य की रणनीति पर विचार करेगा।


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