Move to Jagran APP

राजनीतिक दलों के समर्थन से 'ब्लैक डे' का मंसूबा, धरना स्थल पर नहीं जुट रहे किसान, प्रदर्शन की निभाएंगे रस्म

किसान संगठनों ने अपने समर्थकों से घरों पर काला झंडा लगाकर तीनों कृषि कानूनों का विरोध करने की अपील की है। टिकैत ने कहा कि धरना स्थल पर कोई जनसभा नहीं होगी। किसान संयुक्त मोर्चा ने मंगलवार को वर्चुअल रैली कर किसानों को संबोधित किया।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 25 May 2021 10:33 PM (IST)Updated: Tue, 25 May 2021 10:39 PM (IST)
राजनीतिक दलों के समर्थन से 'ब्लैक डे' का मंसूबा, धरना स्थल पर नहीं जुट रहे किसान, प्रदर्शन की निभाएंगे रस्म
कृषि कानून विरोधी किसान संगठन न दिल्ली कूच करेंगे, न ही जनसभा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमा पर पिछले छह महीने से डेरा जमाए किसान संगठनों ने वैसे तो 26 मई को ब्लैक डे मनाने का फैसला जरूर कर लिया है, लेकिन वे इस बार दिल्ली की ओर कूच नहीं करेंगे। यही नहीं उनके ब्लैक डे आंदोलन में किसानों का जुटना भी संभव नहीं हो पा रहा है। कोरोना संक्रमण के भय से गांवों से किसान आंदोलन स्थल से बच रहे हैं। इसीलिए किसान संगठन स्थानीय स्तर पर ही जहां तहां प्रदर्शन की रस्म निभाने की कोशिश करेंगे। हालांकि इस बार एक दर्जन राजनीतिक दलों ने उन्हें अपना लिखित समर्थन देने का एलान किया है। राजनीतिक दलों के समर्थन के बूते किसान संगठनों ने ब्लैक डे को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का फैसला किया है।

loksabha election banner

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ट्विटर पर बयान जारी कर कहा, आंदोलन स्थानीय स्तर पर आसपास के रहने वाले किसानों के साथ किया जाएगा। भीड़ इकट्ठी नहीं की जाएगी। दिल्ली समेत एनसीआर के सभी राज्यों की पुलिस कोरोना की वजह से लागू लाकडाउन का सख्ती से पालन कराने की तैयारी कर चुकी है। कृषि कानून विरोधी किसान संगठनों को मिलने वाला किसानों का समर्थन बिखरने लगा है। इससे उनकी ताकत भी कम हुई है। किसान संगठनों की ओर से लगातार कोशिश के बावजूद समर्थकों का लौटना जारी है।

काला झंडा लगाकर तीनों कृषि कानूनों का विरोध करने की अपील की

किसान संगठनों ने अपने समर्थकों से घरों पर काला झंडा लगाकर तीनों कृषि कानूनों का विरोध करने की अपील की है। टिकैत ने कहा कि धरना स्थल पर कोई जनसभा नहीं होगी। किसान संयुक्त मोर्चा ने मंगलवार को वर्चुअल रैली कर किसानों को संबोधित किया। किसान नेता दर्शनपाल, अविक साहा और तापस चक्रबर्ती ने भाषण दिया। उन्होंने लोगों से आंदोलन में हिस्सा लेने की अपील की।

कृषि कानून विरोधी किसान संगठनों का नहीं बदला रवैया 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता की गुहार लगाने के साथ आंदोलन की धमकी देने वाले कृषि कानून विरोधी किसान संगठनों का रवैया नहीं बदला है। वे सरकार से वार्ता तो करना चाहते हैं, लेकिन कानूनी प्रविधानों पर चर्चा को लेकर अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी जिद सिर्फ कृषि सुधार के संसद से पारित कानूनों को रद करने को लेकर है। उनके आंदोलन के 26 मई को पूरे छह महीने हो जाएंगे। इस दौरान उनका दावा था कि आंदोलन पूरी तरह गैर राजनीतिक है, लेकिन किसान संगठनों के ब्लैक डे आंदोलन को 12 विभिन्न राजनीतिक दलों ने लिखित समर्थन देने का एलान किया है।

आंदोलन के दौरान 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में लालकिले पर जो उपद्रव हुआ और अराजकता फैलाई गई, उसे पूरे देश ने देखा। संयुक्त किसान मोर्चा की इसी धमाचौकड़ी से भारतीय किसान संघ समेत कई संगठनों ने आंदोलन से खुद को अलग कर लिया था। उन्होंने उनके प्रस्तावित ब्लैक डे आंदोलन का समर्थ न करने और उनसे दूर रहने का फैसला किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.