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मांगों को लेकर सड़क पर अन्‍नदाता, किसानों के लिए ये हैं स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें

मध्य प्रदेश समेत देश के छह राज्यों के किसान आज से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन पर हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 01 Jun 2018 09:36 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jun 2018 11:51 PM (IST)
मांगों को लेकर सड़क पर अन्‍नदाता, किसानों के लिए ये हैं स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें
मांगों को लेकर सड़क पर अन्‍नदाता, किसानों के लिए ये हैं स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। लगभग 50 साल पहले देश में हरित क्रांति लाने वाले प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में 2004 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने एक आयोग गठित किया था। आयोग ने दिसंबर 2004 से अक्टूबर 2006 के बीच पांच रिपोर्ट पेश कीं और बताया कि किसानों की आर्थिक समस्याओं की वजह क्या हैं और उनके निदान के लिए उपाय क्या होने चाहिए।

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किसानों की बदहाली के कारण
आयोग ने भूमि सुधार के अधूरे एजेंडा, सिंचाई के लिए पानी की कमी, तकनीक का अभाव, समय पर संस्थागत कर्ज, बेहतर और उचित मूल्य दिलाने वाले बाजार का अभाव और मौसम की अनिश्चितता को समस्या का प्रमुख कारण बताया।

आयोग के सुझाव
- खेतिहर जमीन का न्यायोचित वितरण किया जाए। देश में सबसे छोटे किसानों के पास सिर्फ तीन फीसद जमीन है, जबकि शीर्ष दस फीसद किसानों के कब्जे में 54 फीसद है।
- खेतिहर और वनीय भूमि के गैर कृषि कार्यों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए।
- किसानों को सार्वजनिक भूमि पर पशुओं को चराने और जनजातीय समुदायों को जंगलों में उत्पाद एकत्रित करने का अधिकार दिया जाए।
- राष्ट्रीय भूमि उपयोग सलाहकार सेवा स्थापित की जाए। इसे भू उपयोग पर फैसला करने का अधिकार हो और वह पारिस्थितिकीय और बाजार दशाओं को ध्यान में रखकर निर्णय करे।
- खेतिहर भूमि की बिक्री के नियमन के लिए तंत्र बनाया जाए जो जमीन की उपलब्धता के आधार पर भू उपयोग और खरीदारों के वर्गो के बारे में फैसले करे।

न्यूनतम समर्थन मूल्य
- एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य सी-2 फॉर्मूले पर लागत के साथ 50 फीसद लाभ सुनिश्चित किया जाए। सी-2 कृषि मूल्य एवं लागत आयोग फसलों की उत्पादन लागत को तीन श्रेणियों के तहत परिभाषित करता है।
श्रेणियां : ए-2, ए-2+एफएल (पारिवारिक श्रम) और सी-2

क्या है ए-2: किसान किसी फसल को उगाने के लिए बीज, उर्वरक, कीटनाशक, मजदूर, ईंधन, सिंचाई और अन्य मदों में जितना वास्तविक नकदी खर्च करता है।
क्या है ए-2+ एफएल: किसी फसल को पैदा करने के लिए तमाम मदों में किसान द्वारा किए गए नकदी खर्च में जब उसके परिवार द्वारा किए गए भुगतानरहित श्रम की कीमत को जोड़ा जाता है
सी-2: किसी फसल की लागत निकालने के लिए यह बहुत व्यापक परिभाषा है। क्योंकि इसके तहत फसल उत्पादन में आई नकदी और गैर नकदी के साथ ही जमीन पर लगने वाले लीज रेंट और जमीन के अलावा दूसरी कृषि पूंजियों पर लगने वाला ब्याज भी शामिल होता है

इस तरह सी-2 फॉर्मूले में सभी तरह की लागत जुड़ने से किसानों के लिए एमएसपी काफी आकर्षक हो सकता है।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश समेत देश के छह राज्यों के किसान आज से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन पर हैं। राष्ट्रीय किसान महासंघ ने 130 संगठनों के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ 10 दिवसीय आंदोलन का आह्वान किया है। इस बीच आक्रोशित किसानों ने शहरी इलाकों में दूध की आपूर्ति बंद कर दी है। इतना ही नहीं किसानों ने सड़कों पर फलों और सब्जियों को फेंककर अपना विरोध जताया है। उधर, किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को कहा है कि सरकार इस खरीफ सत्र से ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेगी।


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