राज्यसभा में उठी किसान आयोग के गठन की मांग
राज्यसभा में शीतकालीन सत्र की पहली चर्चा में बाढ़ व सूखे पर चिंता जताई गई। प्राकृतिक आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित किसानों की बिगड़ती स्थिति को सुधारने के उपाय सुझाए गए। राज्यसभा में चर्चा के दौरान किसान आयोग के गठन की मांग उठी, जिस पर ज्यादातर सदस्यों ने अपनी सहमति
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा में शीतकालीन सत्र की पहली चर्चा में बाढ़ व सूखे पर चिंता जताई गई। प्राकृतिक आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित किसानों की बिगड़ती स्थिति को सुधारने के उपाय सुझाए गए। राज्यसभा में चर्चा के दौरान किसान आयोग के गठन की मांग उठी, जिस पर ज्यादातर सदस्यों ने अपनी सहमति जताई।
देश के लगभग साढ़े तीन सौ जिलों में जहां भीषण सूखे की स्थिति है तो दक्षिण भारत के कई राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ ने जीना हराम कर दिया है। शहरी जीवन अस्त व्यस्त हो गया है तो ग्रामीण क्षेत्रों में खेती का हाल बुरा है। खराब मानसून के चलते मिट्टी में नमी हो गई है, जिससे रबी की बुवाई प्रभावित हुई है। सपा नेता डाक्टर चंद्रपाल यादव ने उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में सूखे की भीषण दशा का आंखों देखा हाल पेश किया। वर्षा आधारित खेती वाले इस क्षेत्र में सूखे पड़ने से बुवाई नहीं हो सकी है। किसान परिवारों का पलायन शुरु हो गया है।
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जद यू नेता केसी त्यागी ने देश के किसानों की बिगड़ती हालत का विस्तार से ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि खेती के घाटे का सौदा होने की वजह से किसानों का जीवन दयनीय हो गया है। खेती के बूते उनके लिए परिवार पालना भी मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा किसानों के हितों का ध्यान रखने के लिए जल्द से जल्द राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन होना चाहिए। आयोग का अध्यक्ष शरद पवार को बनाने प्रस्ताव भी रखा।
त्यागी ने कहा कि कृषि उपज के लिए निर्धारित होने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा समय से होनी चाहिए। लोकसभा चुनाव में किये गये वायदे के अनुसार एमएसपी घोषित होनी चाहिए। सूखे की वजह से देश में 24 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती नहीं की जा सकी है। देश में अभी भी केवल 40 फीसद खेती सिंचित है, बाकी खेती ऊपर वाले के भरोसे है। इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है। किसानों को उतना भी नहीं मिलता जितना चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को वेतन मिलता है।
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भाजपा के बासवराज पाटिल ने किसान आयोग के गठन की मांग का समर्थन किया। ताकि किसानों की समस्याओं का निदान किया जा सके। उन्होंने कहा कि देश में सूखा पड़ा है, लेकिन चारे व पानी की कमी से किसी भी गाय की मौत नहीं होनी चाहिए। चर्चा का जवाब कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह मंगलवार को सदन में देगे।