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नीरव मोदी-माल्या के बाद देश के सबसे बड़े घोटाले के इंदौर से जुड़े तार, एक्‍शन में ED

लोन भले ही गुजरात में स्थित कंपनियों को दिया गया, लेकिन उसकी मंजूरी में शहर के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ने मुख्य भूमिका निभाई।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 05 Jun 2018 08:52 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jun 2018 11:51 AM (IST)
नीरव मोदी-माल्या के बाद देश के सबसे बड़े घोटाले के इंदौर से जुड़े तार, एक्‍शन में ED
नीरव मोदी-माल्या के बाद देश के सबसे बड़े घोटाले के इंदौर से जुड़े तार, एक्‍शन में ED

इंदौर [ लोकेश सोलंकी ]। देश के चर्चित स्टर्लिंग बॉयोटेक लोन घोटाले के तार सीधे मध्‍यप्रदेश के इंदौर शहर से जुड़ रहे हैं। नीरव मोदी व विजय माल्या के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस घोटाले में सबसे बड़ी कार्रवाई की है। घोटाले का ताना-बाना इंदौर से ही बुना गया। लोन भले ही गुजरात में स्थित कंपनियों को दिया गया, लेकिन उसकी मंजूरी में शहर के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ने मुख्य भूमिका निभाई। उसी की बदौलत फर्जी दस्तावेज, बैलेंस शीट के आधार पर 5 हजार करोड़ का लोन मंजूर भी हुआ और हजम कर उसे बैंकों के डूबत खाते में डलवा भी दिया गया।

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स्टर्लिंग बॉयोटेक समूह और उससे जुड़ी चार अन्य कंपनियों को आंध्रा बैंक की अगुआई वाले कंसोर्टियम ने लोन दिया। इस दौरान इंदौर का सीए अनूप प्रकाश गर्ग न केवल लोन मंजूर करने वाले आंध्रा बैंक का डायरेक्टर बल्कि बैंक की ऑडिट कमेटी में होने के साथ बैंक की स्पेशल फ्रॉड प्रिवेंशन कमेटी का भी नेतृत्व कर रहा था।

इसी कारण स्टर्लिंग बॉयोटेक कंपनी को न तो फर्जी दस्तावेजों के आधार लोन पाने में परेशानी आई, न ही बाद में उसे हजम कर एनपीए घोषित करवाने में। सीबीआई ने इस केस में छह लोगों को आरोपी बनाया है। इसमें कंपनी के कर्ताधर्ता संदेसरा बंधु के साथ गर्ग भी शामिल है। बाद में ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

संदेसरा बंधु फरार है, जबकि गर्ग व कंपनी के डायरेक्टर राजभूषण दीक्षित समेत तीन की गिरफ्तारी हो चुकी है।  ईडी सूत्रों के मुताबिक प्रारंभिक जांच में सामने आया है गर्ग स्टर्लिंग बॉयोटेक कंपनी से पहले से ही जुड़ा था। संदेसरा बंधु ने अपनी पहुंच के जरिए ही गर्ग को बैंक की कुर्सी तक पहुंचाया। बाद में उसी कंपनी के लिए गर्ग ने लोन मंजूर किया।

बैंक का डायरेक्टर रहते गर्ग ने बैंक की ऑडिट कमेटी, रिस्क मैनेजमेंट कमेटी और स्पेशल फ्रॉड प्रिवेंशन कमेटी की कमान भी अपने हाथ में रखी, ताकि लोन मंजूर करवाने में कोई परेशानी न हो। लोन मंजूर करवाने के बाद बोगस ट्रांजेक्शन व ट्रेडिंग के जरिए उसे बेनामी कंपनियों के खातों में पहुंचाया गया।

इन कंपनियों के अधिकारी स्टर्लिंग ग्रुप के मोहरे थे। बाद में उस पैसे को हजम कर लिया गया। लोन मंजूर कराने के बाद गर्ग को कमीशन बतौर करोड़ों रुपए मिले। कुछ एंट्री ईडी के हाथ लग चुकी है। आशंका है कोलकाता की बोगस कंपनियों के जरिए उस पैसे को घुमाकर गर्ग ने लांग टर्म कैपिटल गेन चुकाया और काले से सफेद कर लिया।

इनकम टैक्स छापे के दौरान संदेसरा बंधु के यहां मिली डायरी में भी गर्ग के नाम की एंट्री मिली थी। विदेश तक जांच ईडी लोन घोटाले में अब तक 50 से ज्यादा सर्च देशभर के अलग-अलग शहरों में कर चुकी है। अहमदाबाद ईडी की टीम दो बार गर्ग के दफ्तर पर भी जांच के लिए आ चुकी है।

शहर के कुछ और एंट्री ऑपरेटर भी इस मामले में जल्द गिरफ्त में आ सकते हैं। ईडी की जांच में लोन घोटाले का पैसा टैक्स हेवन कंट्री मॉरिशस, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड, यूएई, सेशल्स देशों में बनी कुछ कंपनियों में लगाए जाने की बात सामने आई है।

स्टर्लिंग कंपनी के कर्ताधर्ताओं की अब तक 4,700 करोड़ की संपत्ति ईडी अटैच कर चुका है। इनमें एनसीआर, मुंबई समेत गुजरात में भी संपत्ति शामिल है। इसके अलावा आलीशान फ्लैट, फॉर्म हाउस में मिले चांदी के फर्नीचर, लोन के पैसों से खरीदी गई लैंबॉर्गनी, बैंटले, रेंज रोवर जैसी कारें भी जब्त की गईं।


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