Move to Jagran APP

नंबरों की होड़ वाली शिक्षा प्रणाली में अपने ज्ञान को व्यावहारिक नहीं बना पाए हम

आज इंजीनियर्स डे है। देश में इंजीनियर तो बुहत तैयार हो रहे, लेकिन स्किल की कमी होने के कारण देश-समाज के समग्र विकास में उनका योगदान पूर्ण रूप से नहीं हो पा रहा

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 12:15 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 12:15 PM (IST)
नंबरों की होड़ वाली शिक्षा प्रणाली में अपने ज्ञान को व्यावहारिक नहीं बना पाए हम
नंबरों की होड़ वाली शिक्षा प्रणाली में अपने ज्ञान को व्यावहारिक नहीं बना पाए हम

शशांक द्विवेदी। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि युवाओं में प्रतिभा का विकास होना चाहिए। उन्होंने डिग्री के बजाय योग्यता को महत्व देते हुए कहा था कि छात्रों को स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान देना होगा। आज देश में बड़ी संख्या में इंजीनियर पढ़ लिख कर निकल तो रहे हैं लेकिन उनमें ‘स्किल’ की कमी है, जिससे लाखों इंजीनियर हर साल बेरोजगार रहे जाते हैं। इंडस्ट्री की जरूरत के हिसाब से उन्हें काम नहीं आता। एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल देश में लाखों इंजीनियर बनते हैं लेकिन उनमें से महज 15 प्रतिशत को ही अपने काम के अनुरूप नौकरी मिल पाती है। देश के राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के अनुसार सिविल, मैकेनिकल और इलेक्टिक इंजीनियरिंग जैसे कोर सेक्टर के 92 प्रतिशत इंजीनियर और डिप्लोमाधारी रोजगार के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं।

loksabha election banner

विश्वेश्वरैया की जयंती

इंजीनियरिंग को नई सोच और दिशा देने वाले महान इंजीनियर भारत रत्‍‍‍न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती (15 सितंबर) को भारत में अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्वेश्वरैया अपने समय के सबसे प्रतिभाशाली इंजीनियर थे, जिन्होंने बांध और सिंचाई व्यवस्था के लिए नए तरीकों का इजाद किया। उन्होंने आधुनिक भारत में सिंचाई की बेहतर व्यवस्था और नवीनतम तकनीक पर आधारित नदी पर बांध बनाए तथा पनबिजली परियोजना शुरू करने की जमीन तैयार की। सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण की तकनीक में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज से लगभग 100 साल पहले जब साधन और तकनीक ज्यादा उन्नत नहीं थे, तब उन्होंने आम आदमी की समस्याओं को सुलझाने के लिए इंजीनियरिंग में कई तरह के इनोवेशन किए और व्यावहारिक तकनीक के माध्यम से आम आदमी की जिंदगी को सरल बनाया। असल में इंजीनियर वह नहीं है जो सिर्फ मशीनों के साथ काम करे, बल्कि वह है जो किसी भी क्षेत्र में अपने मौलिक विचारों और तकनीक के माध्यम से मानवता की भलाई के लिए काम करे।

इंजीनियर की रचनात्मक भूमिका

देश और समाज के निर्माण में एक इंजीनियर की रचनात्मक भूमिका कैसे होनी चाहिए इस बात को विश्वेश्वरैया के प्रेरणादायक जीवन गाथा से जाना और समझा जा सकता है। एक कुशल इंजीनियर के साथ वह देश के श्रेष्ठ योजना शिल्पी, शिक्षाविद् और अर्थशास्त्री भी थे। तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) द्वारा वर्ष 1928 में तैयार पंचवर्षीय योजना से भी आठ वर्ष पहले 1920 में अपनी पुस्तक ‘रिकंस्ट्रक्टिंग इंडिया’ में उन्होंने भारत में पंचवर्षीय योजना की परिकल्पना प्रस्तुत की थी। 1935 में उनकी एक पुस्तक ‘प्लांड इकॉनामी फॉर इंडिया’ देश के विकास के लिए योजना बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी। ईमानदारी और कर्तव्यों के प्रति वचनबद्धता उनके जीवन की सबसे बड़ी विशेषता थी। बेंगलुरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स की स्थापना में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

आर्थिक विकास के लिए तकनीकी शिक्षा जरूरी

गांधी जी ने कहा था कि देश की समग्र आर्थिक विकास के लिए तकनीकी शिक्षा का गुणवत्तापूर्ण होना जरूरी है। इसे प्रभावी बनाने के लिए उन्होंने कहा था कि कॉलेज में हाफ-हाफ सिस्टम होना चाहिए यानी आधे समय में किताबी ज्ञान दिया जाए और आधे समय में उसी ज्ञान का व्यावहारिक पक्ष बताकर उसका प्रयोग सामान्य जिंदगी में कराया जाए। वास्तव में हम अपने ज्ञान को बहुत ज्यादा व्यावहारिक नहीं बना पाए हैं। नंबर होड़ युक्त शिक्षा प्रणाली ने मौलिकता को खत्म कर दिया। इस तरह की मूल्यांकन और परीक्षा प्रणाली नई सोच और मौलिकता के लिए ठीक नहीं है। आज तकनीकी शिक्षा में खासतौर पर इंजीनियरिंग में इनोवेशन की जरूरत है, सिर्फ रटे-रटाए ज्ञान की बदौलत हम विकसित देश बनने का सपना साकार नहीं कर सकते।

बनानी पड़ेगी दूरगामी रणनीति 

देश की आतंरिक और बाहरी चुनौतियों से निपटने के लिए हमें दूरगामी रणनीति बनानी पड़ेगी, क्योंकि भारत पिछले छह दशक के दौरान अपनी अधिकांश प्रौद्योगीकीय जरूरतों की पूर्ति दूसरे देशों से कर रहा है। हमारे घरेलू उद्योगों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई है, इसलिए देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय उद्योग के कौशल संसाधनों एवं प्रतिभाओं का बेहतर उपयोग करना जरूरी है। इसके लिए मध्यम और लघु उद्योगों की प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण व स्वदेशीकरण में अहम भूमिका हो सकती है। देश में स्वदेशी प्रौद्योगिकी को बड़े पैमाने पर विकसित करने की जरूरत है और इस दिशा में विविध समस्याओं को दूर करना होगा तभी हम विकसित देशों की कतार में आ सकते हैं।

विश्वेश्वरैया का देश के भावी इंजीनियरों को संदेश

सर विश्वेश्वरैया ने देश के भावी इंजीनियरों को संदेश देते हुए कहा था कि मानवता की भलाई तथा देश के वातावरण को ध्यान में रखते हुए देशनिर्माण में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें। एक व्यक्ति के तौर पर अपने कार्य और समय के प्रति जो लगन, निष्ठा, प्रतिबद्धता उनमें थी, वह शायद ही किसी में देखने को मिल सके। यदि वह चाहते तो अपनी योग्यता के आधार पर विदेश में कार्य कर सकते थे, लेकिन उन्होंने भारत भूमि की सेवा को सवरेपरि रखा। निष्ठा और लगन के कारण ही आज वह देश के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों व अन्य बुद्धिजीवियों में पूजनीय हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय हमारा इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी ढांचा न तो विकसित देशों जैसा मजबूत था और न ही संगठित। इसके बावजूद प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमने काफी कम समय में बड़ी उपलब्धियां हासिल की।

आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन

आजादी के बाद प्रयास रहा है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन भी लाया जाए, जिससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार हो सके। इस उद्देश्य में हम सफल भी रहे हैं लेकिन अभी भी इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी को आम जनमानस से पूरी तरह से जोड़ नहीं पाए हैं। आज देश को विश्वेश्वरैया जैसे इंजीनियरों की जरूरत है जो देश को एक नई दिशा दिखा सकें, क्योंकि मौजूदा आधुनिक विश्व में विज्ञान, तकनीक और इंजीनियरिंग के क्रमबद्ध विकास के बिना विकसित देश का सपना नहीं सच किया जा सकता। इसके लिए देश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई को कौशल विकास से जोड़ना होगा, जिससे इंजीनियर अपने स्किल के साथ काम कर सकें। साथ ही पूरे इंजीनियरिंग क्षेत्र को आकर्षक, व्यावहारिक और रोजगारपरक बनाने की जरूरत है।

[लेखक मेवाड़ यूनिवर्सिटी के डिप्टी डायरेक्टर हैं]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.