मशहूर कार डिजाइनर दिलीप छाबरिया ने कई वित्तीय फर्मों से की धोखाधड़ी, जानें कैसा चल रहा था फर्जीवाड़ा
मशहूर कार डिजाइनर दिलीप छाबरिया की गिरफ्तारी के बाद मुंबई क्राइम ब्रांच ने कहा कि यह भारत के स्पोर्ट्स कार के फाइनेंस और जालसाजी के सबसे बड़े घोटाले में से एक है। क्राइम ब्रांच ने इसे लगभग 40 करोड़ से लेकर सौ करोड़ तक की धोखाधड़ी का मामला बताया है।
मुंबई, मिड डे। मशहूर कार डिजाइनर दिलीप छाबरिया की गिरफ्तारी के बाद मुंबई क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को कहा कि यह भारत के स्पोर्ट्स कार के फाइनेंस और जालसाजी के सबसे बड़े घोटाले में से एक है। छाबरिया अपने द्वारा निर्मित कारों के कई रजिस्ट्रेशन कराने के मामले में न सिर्फ शामिल हैं, बल्कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के साथ एक कार पर कई बार गैर बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों से लोन भी लिया। क्राइम ब्रांच ने अपनी शुरुआती जांच में इसे लगभग 40 करोड़ से लेकर सौ करोड़ तक की धोखाधड़ी का मामला बताया है।
एक ही नंबर और चेचिस की गाड़ियां बनाकर बेचने और खरीदने का चल रहा था फर्जीवाड़ा
दिलीप छाबरिया एक ही रजिस्ट्रेशन और चेसिस नंबर की कई गाड़ियां बनाने के बाद ग्राहक बनकर खरीद रहे थे। इन गाडि़यों को वह तीसरी पार्टी को बेच भी रहे थे। क्राइम ब्रांच के अनुसार, ऐसी 127 गाड़ियां अब तक बेची गई हैं। इनमें से करीब 90 गाड़ियां जांच के दायरे में हैं। इन गाडि़यों में लगे विदेशी इंजन की भी जांच की जा रही है। मसलन इसे खरीदते समय लगने वाले टैक्स को बचाने की कोशिश की गई है या नहीं।
कई जगहों पर मिली एक नंबर की कार
संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) मिलिंद भारांबे ने बताया कि भारत की पहली स्पोर्ट्स कार डीसी अवंती से संबंधित मामले में धोखाधड़ी और जालसाजी का केस दर्ज हुआ है। सूचना मिली थी कि इस तरह की कार ताज होटल के पास आने वाली है। जब कार को पकड़ा गया तो इसी नंबर की गाड़ी तमिलनाडु और हरियाणा में भी निकली। इसके बाद जांच शुरू हुई। छाबरिया की डीसी डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने उसी इंजन और चेचिस नंबर की गाड़ियां कई लोगों को बेची हैं। कंपनी ने 127 गाडि़यों का निर्माण किया है। इस मामले में जांच अभी जारी है।