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    TRP Scam: फर्जी टीआरपी मामले पर BARC का बड़ा एक्शन, न्‍यूज चैनलों की रेटिंग्स पर लगाई रोक

    By Manish PandeyEdited By:
    Updated: Thu, 15 Oct 2020 01:24 PM (IST)

    पिछले हफ्ते मुंबई पुलिस कमिश्नर (सीपी) परमबीर सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके दावा किया था कि विज्ञापनों से बेहतर राजस्व जुटाने के लिए रिपब्लिक टीवी बॉक्स सिनेमा और फक्त मराठी चैनलों ने टीआरपी के साथ छेड़छाड़ की थी।

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    Fake TRP Scam BARC temporarily suspends news channels ratings

    नई दिल्ली, ब्यूरो। टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स (TRP) घोटाला सामने आने के बाद से साख के संकट में फंसे चैनलों के लिए ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (Broadcast Audience Research Council) ने ब़़डा फैसला किया है। टीवी रेटिंग जारी करने वाली इस संस्था ने गुरवार को सभी भाषषाओं के समाचार चैनलों की साप्ताहिक रेटिंग्स जारी करने पर फिलहाल रोक लगाने की घोषषणा कर दी।

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    एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, सांख्यिकीय मजबूती में सुधार लाने के लिए काउंसिल का मकसद मापन के वर्तमान मानकों की समीक्षा करना और उनमें सुधार करना है। इस कवायद से आठ से 12 हफ्तों तक साप्ताहिक रेटिंग पर रोक लगी रहेगी। इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है और इसमें हिंदी, क्षेत्रीय और अंग्रेजी भाषषा के सभी समाचार और कारोबारी समाचार चैनल शामिल हैं।

    यह है टीआरपी घोटाला

    टीआरपी के जरिये चैनल अपनी लोकप्रियता का दावा करते हैं और इसी आधार पर विज्ञापन हासिल करते हैं। मुंबई पुलिस के अनुसार यह खेल करीब 32 हजार करोड़ रपये प्रतिवषर्ष का है। इसीलिए कुछ चैनल सिस्टम में सेंध लगाकर इसकी रेटिंग्स में फर्जीवाड़ा कर रहे थे।

    इस तरह हुई धांधली

    मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने पिछले हफ्ते प्रेस कांफ्रेंस कर बताया था कि देशभर में अलग--अलग जगहों पर 30 हजार बैरोमीटर लगे हैं। मुंबई में इन मीटरों को लगाने का काम 'हंसा' नामक संस्था ने किया था। जिन घरों में बैरोमीटर लगे थे, उनमें से कुछ घरों में जाकर 'हंसा' के कुछ पुराने कर्मचारी कहते थे कि आप 24 घंटे अपना टीवी चालू रखिए और विशेषष चैनल लगाकर रखिए। इसके लिए वे लोगों को पैसे भी देते थे। कम प़़ढे--लिखे लोगों के घरों में भी अंग्रेजी के चैनल को चालू करवाकर रखा जाता था।

    चैनलों पर आरोप

    परमबीर सिंह का कहना था कि टीआरपी से छेड़छाड़ अपराध है, धोखाध़़डी है। इसे रोकने के लिए ही जांच की जा रही है और फोरेंसिक विशेषषज्ञों की मदद ली जा रही है। उनका कहना था कि रिपब्लिक टीवी और दो छोटे चैनल फक्त मराठी और बॉक्स सिनेमा इसमें शामिल हैं।

    टीआरपी की वर्तमान प्रणाली वैज्ञानिक नहीं

    सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति को अधिकारियों ने गुरवार को बताया कि टीआरपी मापने की वर्तमान व्यवस्था बहुत वैज्ञानिक नहीं है और इसमें हेराफेरी की गुंजाइश है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन जस्टिस सीके प्रसाद, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव अमित खरे और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने समिति सदस्यों के सवालों के जवाब दिए।