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भारत में जलाऊ लकड़ी से जुड़ी आस्था स्वच्छ ईंधन के रास्ते की बाधा, जानिए क्या है लोगों का अलग-अलग नजरिया

ब्रिटेन की बर्मिघम यूनिवर्सिटी के अध्ययन रिपोर्ट के वरिष्ठ लेखक रोजी डे का कहना है कि भारत ने स्वच्छ ईंधन अपनाने का लक्ष्य रखा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह से पारंपरिक ईंधन का इस्तेमाल किया जा रहा है उससे इस लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल नजर आता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 07:30 PM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 07:30 PM (IST)
भारत में जलाऊ लकड़ी से जुड़ी आस्था स्वच्छ ईंधन के रास्ते की बाधा, जानिए क्या है लोगों का अलग-अलग नजरिया
रसोईं में घरेलू ईधन के लिए उपयोग की जाती है लकड़ी

नई दिल्ली, प्रेट्र। अपने देश में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन यानी एलपीजी को अपनाने की राह में सबसे बड़ी बाधा जलाऊ लड़की से जुड़ी लोगों की आस्था है। लोग यह मानते हैं कि खाना पकाने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल उनके परिवार की भलाई के लिए अच्छा है। एक नए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।

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'नेचर एनर्जी' नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न ईंधनों का प्रयोग करने वाली ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के दृष्टिकोण में अंतरों को समझना महत्वपूर्ण है।

ब्रिटेन की बर्मिघम यूनिवर्सिटी के अध्ययन रिपोर्ट के वरिष्ठ लेखक रोजी डे का कहना है कि भारत ने स्वच्छ ईंधन अपनाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह से पारंपरिक ईंधन का इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे इस लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल नजर आता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं ही कुक

रिपोर्ट में कहा गया है कि अब खाना पकाना सिर्फ महिलाओं का ही काम नहीं रह गया है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी खाना पकाने की जिम्मेदारी महिलाओं पर ही है। इसलिए, अगर भारत स्वच्छ ईंधन को अपनाने की तरफ तेजी से आगे बढ़ना चाहता है तो यह सुलझाना महत्वपूर्ण है कि महिलाएं परिवार की भलाई और खाना पकाने के ईंधन के बीच संबंधों के बारे में क्या सोचती हैं।

भारत में सबसे ज्यादा ठोस ईंधन का इस्तेमाल

अध्ययन में यह भी कहा है कि दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में खाना पकाने के लिए सबसे अधिक ठोस ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कहा गया है कि खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन के लिए सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करना संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में से एक के रूप में पहचाना गया है, इस पर हस्ताक्षर करने वालों में भारत भी शामिल है। अपने इस अध्ययन में विज्ञानियों ने आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के चार गांवों में महिलाओं से बातचीत की है। इनमें से दो गांवों में खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में लकड़ी का प्रयोग किया जाता है, जबकि दो में ज्यादातर लोग एलपीजी का इस्तेमाल करते हैं।

लोगों का अलग-अलग नजरिया

जिन गांवों में लकड़ी का ईंधन प्रयोग किया जाता था, वहां के लोग इसे आय का साधन मानते थे। उनका यह भी कहना था कि ईंधन एकत्र करने के दौरान वो सामाजिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। वहीं, एलपीजी का इस्तेमाल करने वाले गांवों के लोगों का कहना था कि इससे उन्हें अपने बच्चों और परिवार के लिए अधिक समय मिल जाता है। एलपीजी पर खाना पकाने से उनका समय बचता है, जिसका इस्तेमाल वो दूसरे काम करके अपनी आय बढ़ाने में कर सकते हैं।


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