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ब्रिटेन, ब्राजील व कनाडा के बाद भारत के सुप्रीम कोर्ट से भी सीधा प्रसारण, जानें 4 साल पहले क्यों की गई थी मांग

ब्रिटेन ब्राजील व कनाडा जैसे देशों में सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाहियों की लाइव स्ट्रीमिंग पहले से ही हो रही है। भारत भी अब इस कतार में शामिल होने जा रहा है। यहां के शीर्ष कोर्ट से भी अब लाइव स्ट्रीमिंग होगी।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 26 Sep 2022 07:03 PM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 07:03 PM (IST)
ब्रिटेन, ब्राजील व कनाडा के बाद भारत के सुप्रीम कोर्ट से भी सीधा प्रसारण, जानें 4 साल पहले क्यों की गई थी मांग
ब्रिटेन, ब्राजील व कनाडा की तरह अब भारत के सुप्रीम कोर्ट से भी सीधा प्रसारण

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की कार्यवाही में पारदर्शिता (Transparency) को लेकर चार साल पहले दायर याचिका अब जाकर कारगर साबित हुई है। दरअसल, 27 सितंबर से शीर्ष अदालत में होने वाली कार्यवाही का सीधा प्रसारण (Live Streaming) किया जाएगा। फिलहाल कोर्ट ने इसके लिए यूट्यूब प्लेटफार्म को जरिया बनाया है लेकिन जल्द ही इसका अपना वीडियो प्लेटफार्म होगा। देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां हाईकोर्ट में हो रही सुनवाइयों का सीधा प्रसारण किया जाता है।

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इन देशों के सुप्रीम कोर्ट पर एक नजर

  • अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी याचिकाओं को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें लाइव स्ट्रीमिंग की पेशकश की गई थी। इसकी जगह यहां हो रहे मामलों की सुनवाई के लिए आडियो रिकार्डिंग की अनुमति है। 
  • आस्ट्रेलिया में लाइव स्ट्रीमिंग की इजाजत है लेकिन यहां के सभी अदालतों में इसके लिए अलग अलग प्राविधान है।
  • वहीं ब्राजील के कोर्ट में हो रही सुनवाई के सीधा प्रसारण की पूरी छूट है।
  • कनाडा तो दो कदम आगे ही है, यहां केवल मामले की सुनवाई ही नहीं हर केस का पूरा विवरण भी दिया जाता है। दक्षिण अफ्रीका में भी इसपर किसी तरह का रोक नहीं।
  • जहां तक ब्रिटेन की बात है तो यहां कोर्ट की वेबसाइट पर एक मिनट पहले सुनवाई के बारे में जानकारी आती है इसके बाद लाइव स्ट्रीमिंग देख सकते हैं।

इन मामलों की नहीं होगी लाइव स्ट्रीमिंग

  • वैवाहिक मामले
  • नाबालिग, किशोर/युवा की निजी जिंदगी से संबंधित मामले
  • देशहित के मामले
  • इनके अलावा ऐसे मामले जिसमें दोषी/आरोपी, गवाह या बचाव में आए लोग भयमुक्त हो बिना किसी दबाव के अपना बयान पूरी सच्चाई से दे सकें।
  • यौन शोषण, दुष्कर्म जैसे संवेदनशील व गोपनीय मामले
  • इसके अलावा ऐसे मामले जो भड़काउ या फिर दंगे फैलाने की संभावना रखते हों

सीधा प्रसारण की क्यों पड़ी जरूरत

  • पारदर्शिता का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था तक आम जनता की पहुंच बनाने के लिए लाइव स्ट्रीमिंग जरूरी है।
  • अनुशासन के साथ जजों व वकीलों द्वारा की जा रही सुनवाई में संशोधन लाने के मकसद से भी लाइव स्ट्रीमिंग की जरूरत

इस याचिका पर अटार्नी जनरल (AG) ने कोर्ट नंबर 1 (CJI’s court) और केवल संवैधानिक मामलों के लाइव स्ट्रीमिंग पर सहमति दी और इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करने का संकेत दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल से मिले सुझावों को अप्रूव किया। हालांकि लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने का अधिकार कोर्ट के पास बरकरार है।

चार साल पहले हुई थी मांग

चार साल पहले 2018 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें शीर्ष अदालत की कार्यवाहियों में ट्रांसपैरेंसी की मांग थी। याचिका में संवैधानिक व देशहित वाले मामलों की सुनवाई के सीधा प्रसारण की मांग की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच ने सहमति दी थी। 26 अगस्त 2022 को पहली बार सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का सीधा प्रसारण हुआ था।

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