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FB ने आठ साल बाद बिछड़े किशोर को मिलाया, ऐसी ही एक फिल्म ने जीता था ऑस्कर अवार्ड

Social Media पहले भी कई बिछड़ों को मिला चुका है। पांच साल के भारतीय बच्चे के बिछड़ने विदेश जाने और फिर भारत लौट परिवार से मिलने की वास्तविक कहानी पर बनी फिल्म ऑस्कर जीत चुकी है।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 12:00 PM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 09:33 AM (IST)
FB ने आठ साल बाद बिछड़े किशोर को मिलाया, ऐसी ही एक फिल्म ने जीता था ऑस्कर अवार्ड
FB ने आठ साल बाद बिछड़े किशोर को मिलाया, ऐसी ही एक फिल्म ने जीता था ऑस्कर अवार्ड

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। तकनीकी युग में सोशल मीडिया की उपयोगिता केवल सूचनाओं के आदान-प्रदान और सोशल सर्कल बढ़ाने तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि ये बिछड़ों को मिलाने और लोगों को एकजुट करने में भी मददगार साबित हो रही है। ऐसा ही एक मामला तेलंगाना में सामने आया है। यहां सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक, आठ साल पहले परिवार से बिछड़े किशोर को परिवार से मिलाने का माध्यम बना है। इससे पहले भी सोशल मीडिया बहुत से बिछड़े लोगों को उनके परिवार से मिला चुका है। सोशल मीडिया पर काफी संख्या में यूजर्स अपने बिछड़े दोस्तो, परिजन व रिश्तेदारों को सर्च करते रहते हैं।

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न्यूज एजेंसी ANI ने तेलंगाना पुलिस से बातचीत कर इस घटना की पुष्टि की है। राचाकोंडा के पुलिस कमिश्नर महेश भगत ने न्यूज एजेंसी को फोन पर हुई बातचीत में बताया ‘वर्ष 2011 में सुसान्ना नाम की महिला ने कुशाइगुडा थाने में अपने आठ साल के बेटे दिनेश जेना की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उनकी शिकायत पर पुलिस ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर बच्चे को तलाशने का काफी प्रयास किया। सभी प्रयास करने के बाद भी बच्चा नहीं मिला था।’

कुछ दिन पहले लापता किशोर की मां ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर दिनेश जेना लिमा नाम से बेटे का प्रोफाइल दिखा। इसके बाद महिला ने राचाकोंडा साइबर क्राइम थाने में एक नई रिपोर्ट दर्ज कराई। उनकी शिकायत पर साइबर थाने के अधिकारियों ने तुरंत मामले की जांच शुरू कर दी। साइबर सेल के अधिकारियों ने तुरंत उस आईपी एड्रेस का पता लगाया, जिस पर दिनेश का प्रोफाइल बना था और चल रहा था। आईपी एड्रेस की मदद से पुलिस अधिकारियों ने लापता किशोर की लोकेशन तलाशी। उसकी लोकेशन पंजाब अमृतसर जिले के रनकला गांव में मिली।

लोकेशन का पता चलते ही तेलंगाना पुलिस की एक टीम तुरंत पंजाब के उस गांव के लिए रवाना की गई। पुलिस ने वहां पहुंच कर लापता किशोर दिनेश को बरामद कर लिया। इसके बाद पुलिस उसे हैदराबाद लायी और परिवार के सुपुर्द कर दिया गया। पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इतने वर्षों बाद लापता किशोर के इस तरह से मिलने से उसके परिवार और रिश्तेदार बहुत खुश हैं। उन लोगों ने उसके मिलने की उम्मीद लगभग छोड़ दी थी।


इस लापता युवक पर बनी फिल्म ऑस्कर पुरस्कार जीत चुकी है
ये कहानी 1986 में एक रेल यात्रा के दौरान परिवार से बिछड़े एक अनपढ़ युवक सारू की है। उस वक्त उसकी उम्र महज पांच साल थी। वह मध्य भारत के एक ग्रामीण इलाके का रहने वाला था। एक रेल यात्रा के दौरान वह अपने भाई से बुरहानपुर रेलवे स्टेशन पर बिछड़ गया। भीड़ में खोकर वह दूसरी ट्रेन पर चढ़ गया और हजारों किलोमीटर दूर कोलकाता जा पहुंचा। वहां उसे एक शेल्टर होम में रखा गया, जहां से एक ऑस्ट्रेलियन परिवार ने उसे गोद ले लिया। सालों बाद जब सारू ने होश संभाला तो उसने भारत में बिछड़े अपने परिवार की तलाश शुरू की। काफी प्रयास के बाद गूगल अर्थ की मदद से उसने अपने परिवार को तलाश लिया और इस तरह से 25 वर्ष बाद वह अपनी मां व परिवार के अन्य लोगों से मिल सका। सारू के बिछड़ने और मिलने की ये कहानी लोगों को भावुक कर देती है। इस पर लॉयन (Lion) नाम से एक फिल्म भी बनी है, जिसने ऑस्कर पुरस्कार मिला है।

पहले भी मदगार बना है सोशल मीडिया
01 जून 2018 – गुजरात में सोशल मीडिया की मदद से 10 साल से परिवार से लापता व्यक्ति धानाभाई भील को मिलाया गया था। एक ग्रामीण युवक ने सोशल मीडिया पर उसके परिवार को तलाशकर उन्हें मिलवाया था।
16 अप्रैल 2018 – इम्फाल, मणिपुर से 40 वर्ष पहले लापता व्यक्ति खोमद्राम गंभीर सिंह (65) को यू-ट्यूब की मदद से परिवार से मिलाया गया। यू-ट्यूब पर हिंदी गाना गाते हुए उसकी वीडियो वायरल हुआ था, जिसे एक फैशल डिजाइन फिरोज साकिर ने 17 अक्टूबर 2017 को अपलोड किया था।
09 अप्रैल 2018 – चेन्नई में 85 वर्षीय लापता महिला कावेरी को सोशल मीडिया की मदद से उसके परिवार से मिलवाया गया। उस महिला को केवल अपना और अपने पति श्रीनिवासन का नाम याद था। पुलिस ने इसकी फोटो सोशल मीडिया पर शेयर कर उसे परिवार से मिलवाया था।
16 सितंबर 2016 – बेंगलुरू पुलिस ने सोशल मीडिया की मदद से 25 साल बाद परिवार से बिछड़े व्यक्ति वाई जयराम भट को मिलवाया। पुलिस को वह बेसुध हालत में मिले थे। पुलिस ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करा तत्काल उनकी पहचान करने के लिए उनका पेनकार्ड सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। वायरल मैसेज को देख दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर युवकों ने पुलिस से संपर्क किया और जयराम को उनके परिवार से मिलवाने में मदद की। तब पता चला वह 25 साल पहले लापता हो गए थे।

(दुनिया के बहुत से देशों में भी परिवार से बिछड़े और फिर सोशल मीडिया के जरिए मिलने की ऐसी कई भावुक और हैरान कर देने वाली कहानियां मौजूद हैं। ज्यादातर कहानियों बताती हैं कि सोशल मीडिया ने उस वक्त लोगों को मिलाया, जब सारी उम्मीदें खत्म हो चुकी थीं।)


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