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पाकिस्‍तान के लिए आत्‍मघाती साबित होगा जाधव मामले में उठाया कोई भी गलत कदम

कुलभूषण जाधव मामले में आईसीजे के फैसले के बाद पाकिस्‍तान के पाले में गेंद है। इस पर उसको ही फैसला लेना है। लेकिन यह तय है कि कोई भी गलत फैसला उसके लिए आत्‍मघाती साबित होगा

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 11:57 AM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 09:29 AM (IST)
पाकिस्‍तान के लिए आत्‍मघाती साबित होगा जाधव मामले में उठाया कोई भी गलत कदम
पाकिस्‍तान के लिए आत्‍मघाती साबित होगा जाधव मामले में उठाया कोई भी गलत कदम

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। हाफिज सईद को वैश्विक आतंकी घोषित करने और भारत को मिली कामयाबी को अभी पाकिस्‍तान सही से पचा भी नहीं पाया था कि कुलभूषण जाधव मामले में भी उसको नाकामी का मुंह देखना पड़ा है। अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट (International Court of Justice) ने 17 जुलाई 2019 को अपने फैसले में माना कि पाकिस्‍तान ने कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्‍सेस न देकर वियना संधि का उल्‍लंघन किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जाधव को न सिर्फ काउंसलर एक्‍सेस दिया जाए बल्कि उनको दी गई फांसी की सजा पर भी पुनर्विचार किया जाए। 

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ICJ में पाक की दलील नहीं आई काम
आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि इस मामले की पैरवी के दौरान पाकिस्‍तान ने कोर्ट में दलील दी थी कि दोनों देशों के बीच 2008 में द्विपक्षीय समझौता हुआ था जिसमें कहा गया था कि जासूसी के किसी मामले में काउंसलर एक्‍सेस की सुविधा मुहैया करवाना एक अपवाद ही होगा। लेकिन, कोर्ट ने माना कि यह समझौता वियना संधि से बड़ा नहीं हो सकता है लिहाजा ये इसका केवल पूरक ही हो सकता है। जाधव मामले में आए अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट के फैसले को दोनों देश अपनी जीत बता रहे हैं। पाकिस्‍तान का कहना है कि कोर्ट ने अपने फैसले में यह नहीं कहा है कि पाकिस्‍तान में जाधव को दी गई सजा को किस तरह से रिव्‍यू किया जाए। हालांकि कोर्ट ने इतना जरूर कहा है कि पाकिस्‍तान के कानून के मुताबिक ही यह होना चाहिए।

पाक मीडिया में चर्चे
पाकिस्‍तान की मीडिया में भी इस फैसले के काफी चर्चे सुनाई दे रहे हैं। पाकिस्‍तान के जाने-माने अखबार द डॉन के संपादकीय में कहा गया है कि दोनों देशों को एक बार फिर से मेज पर आकर जासूसी के मामले में काउंसलर एक्‍सेस को लेकर दोबारा विचार किया जाना चाहिए। संपादकीय में यह भी कहा गया है कि दोनों ही देशों को मनमुटाव दूर कर जल्‍द से जल्‍द वार्ता के लिए मेज पर आना चाहिए। आपको यहां पर ये भी बता दें कि अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट के फैसले को मानने के लिए कोई भी देश बाधित नहीं होता है। दूसरी तरफ भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि पाकिस्‍तान को कोर्ट का फैसला मानना ही होगा।

काम आया भारत का दबाव
बहरहाल, विदेश मामलों के जानकार ऑब्‍जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत का कहना है कि अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट के फैसले के बाद अब गेंद पाकिस्‍तान के पाले में है। उसको तय करना है कि अब वह क्‍या करे। उनका कहना है कि पाकिस्‍तान इस वक्‍त बेहद दबाव में है। इस दबाव की वजह से ही उसको भारत की कई मांगों को मानना पड़ा है। इसमें करतारपुर कॉरिडोर के साथ-साथ जीरो लाइन पर ब्रिज का निर्माण, हर रोज 5000 श्रद्धालुओं के लिए वीजा फ्री एंट्री की मांग भी शामिल है। इतना ही नहीं भारत के दबाव में ही आकर उसको अपना एयरस्‍पेस दोबारा भारतीय विमानों के लिए खोलना पड़ा है। आपको बता दें कि पाकिस्‍तान के मंत्री का कहना है कि एयरस्‍पेस को बंद कर पाकिस्‍तान को 8 बिलियन रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। गौरतलब है कि पाकिस्‍तान ने फरवरी में बालाकोर्ट एयर स्‍ट्राइक के बाद से ही विमानों के लिए अपना एयरस्‍पेस बंद कर दिया था।

आत्‍मघाती हो सकता हे पाक को कोई भी गलत कदम
प्रोफेसर पंत का कहना है कि हाफिज सईद की गिरफ्तारी और उस पर आतंकी गतिविधियों से जुड़ने के 23 मामले भी भारतीय दबाव का ही नतीजा हैं। उनके मुताबिक पाकिस्‍तान इस बात को बेहतर तरीके से जानता है कि आईसीजे ने कुलभूषण जाधव मामले में जिस तरह से भारत का पक्ष लिया वह उसके लिए सही नहीं है। ऐसे में उसका कोई भी गलत कदम उसको वैश्विक मंच पर अलग-थलग कर सकता है। पाकिस्‍तान आईसीजे की उस टिप्‍पणी से भी दुखी है जिसमें कोर्ट ने माना कि जाधव मामले में पाकिस्‍तान ने न्‍यूनतम कानूनी प्रावधान भी नहीं माने। इस वजह से भी वैश्विक मंच पर उसकी कलई खुल गई है। इस मामले में सिर्फ एडहॉक जज जस्टिस जिलानी के ही बयान अलग थे। अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट में पाकिस्‍तान के एडहॉक जज तसद्दुक हुसैन जिलानी (Ad hoc judge Justice Tassaduq Hussain Jillani) का कहना है कि इस मामलें में वियना संधि लागू नहीं होती है और यदि होती है तो धारा 36, जिसका जिक्र आईसीजे ने अपने फैसले में किया है, का पाकिस्‍तान ने उल्‍लंघन नहीं किया है।

कटघरे में  पाक नेतृत्‍व
प्रोफेसर पंत मानते हैं कि भारत इस बात से वाकिफ है कि अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट का फैसला मानने के लिए कोई देश बाध्‍य नहीं है, लेकिन आईसीजे में जाकर भारत ने अपने मकसद को पूरा कर लिया है। यहां पर भारत का मकसद पाकिस्‍तान का वैश्विक मंच पर खुलासा करना था। इस मंच से भारत ने फिर पाकिस्‍तान और उसकी संस्‍थाओं को बेनकाब किया है, साथ ही पाकिस्‍तान के नेतृत्‍व को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। आपको बता दें कि आईसीजे के फैसले के बाद पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट कर कहा था कि वह इस फैसले की सराहना करते हैं। कोर्ट ने जाधव को न तो बरी किया और न ही भारत को सौंपने को कहा, लिहाजा पाकिस्‍तान इस मामले में अपने कानून के तहत आगे बढ़ेगा।

क्‍या कर सकता है पाकिस्‍तान
हालांकि ऐसी भी चर्चा है कि पाकिस्‍तान इस मामले में किसी तीसरे देश से भी सहयोग की कोशिश कर रहा है। प्रोफेसर पंत का कहना है कि पाकिस्‍तान इस संबंध में भारत से समझौता करने पर भी विचार कर रहा है, जिसमें जाधव की सकुशल घर वापसी भी शामिल है। आईसीजे का फैसला उस वक्‍त आया जब प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से मिलने अमेरिका गए। पाकिस्‍तान ने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि वह भारत से बातचीत का इच्‍छुक है। लेकिन भारत के लिए यह देखना जरूरी होगा कि वह जाधव मामले में किस तरह से आगे बढ़ता है। लिहाजा फिलहाल भारत से संबंध सुधारने के बाबत गेंद पाकिस्‍तान के पाले में ही है। पाकिस्‍तान का उठाया कदम तय करेगा कि दोनों देशों के बीच संबंध कैसे होंगे।

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