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पूर्व जवानों ने ओआरओपी को लेकर केंद्र पर बढ़ाया दबाव

जवानों ने केंद्र सरकार पर उनकी उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश के अशांत क्षेत्रों समेत भीतरी भागों की सुरक्षा व्यवस्था उनके जिम्मे है, लेकिन उनका वेतन और पेंशन सैनिकों से कम है।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 20 Feb 2017 09:03 PM (IST)Updated: Mon, 20 Feb 2017 09:12 PM (IST)
पूर्व जवानों ने ओआरओपी को लेकर केंद्र पर बढ़ाया दबाव
पूर्व जवानों ने ओआरओपी को लेकर केंद्र पर बढ़ाया दबाव

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) की मांग को लेकर अ‌र्द्धसैनिक बल के पूर्व जवानों ने भी केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। जंतर-मंतर पर कंफेडरेशन ऑफ एक्स पार्लियामेंट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन (सीओइपीएमएफडब्ल्यूए) के बैनर तले विरोध प्रदर्शन में सीआइएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल), बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल), आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) और एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) के पूर्व जवान शामिल हुए।

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जवानों ने केंद्र सरकार पर उनकी उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश के अशांत क्षेत्रों समेत भीतरी भागों की सुरक्षा व्यवस्था उनके जिम्मे है, लेकिन उनका वेतन और पेंशन सैनिकों से कम है। मेडिकल सुविधा और कैंटीन बोर्ड जैसी सुविधाएं भी नहीं मिल रही। आतंकी एवं नक्सली हमले में वीरगति प्राप्त करने के बाद भी उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता है। वहीं, आतंकी हमले में यदि किसी सैनिक की जान जाती है तो उसके परिवार को 52 लाख रुपये की मदद की जाती है, जबकि अ‌र्द्धसैनिक बल के जवान के परिवार को सिर्फ 15 लाख रुपये ही मिलते हैं। इसके अलावा वर्ष 2004 के बाद से सेवानिवृत्त होने वाले जवानों के लिए पेंशन की सुविधा भी बंद कर दी गई है।

विरोध प्रदर्शन के बाद जवान संसद का घेराव करने के लिए संसद मार्ग तक गए, लेकिन वहां अ‌र्द्धसैनिक बलों ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इसके बाद वे वहीं धरने पर बैठ गए। इस मौके पर सीओइपीएमएफडब्ल्यूए के राष्ट्रीय सह संयोजक रनबीर सिंह ने बताया कि देश की सीमा की सुरक्षा करने वाले जवानों, उत्तरी पूर्वी राज्यों, कश्मीर एवं नक्सल प्रभावित राज्यों में शहीद होने वाले अ‌र्द्धसैनिक बल और सेवानिवृत्त जवानों को सातवें वेतन आयोग में पूरी तरह नकार दिया गया है।

मिलता है खराब खाना

विरोध प्रदर्शन में शामिल अ‌र्द्धसैनिक बलों के जवानों ने उच्चाधिकारियों द्वारा गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि जवानों को खराब क्वालिटी का खाना मिलता है। खराब खाने से संबंधित वीडियो सोशल मीडिया में अपलोड कर सुर्खियों में आने वाले बीएसएफ के जवान तेज बहादुर की पत्नी शर्मिला भी धरना प्रदर्शन में शामिल हुई। सीआरपीएफ से सब इंस्पेक्टर पद से सेवानिवृत्त बीएस कदम ने आरोप लगाते हुए कहा कि जवानों को प्रतिकूल मौसम से निपटने के लिए समुचित कपड़े और उपकरण नहीं दिए जाते हैं।

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