निजी शिकायत पर केस दर्ज करने का निर्देश नहीं दे सकते मजिस्ट्रेट: सुप्रीम कोर्ट
कानून के तहत यह पूरी तरह से अनुचित है,क्योंकि सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत एसडीएम को ऐसा निर्देश देने का अधिकार ही नहीं है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। देश की सबसे बड़ी अदालत ने एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधान के तहत एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट निजी शिकायत पर पुलिस को एफआइआर दर्ज करने के निर्देश नहीं दे सकते।
परंतु, सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि अगर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के सामने उनके न्यायाधिकार क्षेत्र में आने वाले मुद्दे को लेकर शिकायत की जाती है तो वह उस पर प्रशासनिक जांच के बाद खुद एफआइआर दर्ज कर सकते हैं।
जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के एक आदेश को रद कर दिया। हाई कोर्ट ने एसडीएम के आदेश पर एक निजी लॉ कॉलेज के खिलाफ दर्ज एफआइआर को खारिज करने से इन्कार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज के खिलाफ दर्ज शिकायत खारिज कर दी।
पीठ ने कहा कि एफआइआर को पढ़ने से साफ पता चलता है कि पुलिस ने एसडीएम के निर्देशों पर केस दर्ज किया था। कानून के तहत यह पूरी तरह से अनुचित है,क्योंकि सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत एसडीएम को ऐसा निर्देश देने का अधिकार ही नहीं है। यह मामला मजिस्ट्रेट के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र से बाहर का भी था।
कॉलेज के खिलाफ उसकी लॉ विभाग की एक छात्रा ने एफआइआर दर्ज कराई थी। छात्रा का कहना था कि कॉलेज को लॉ का कोर्स शुरू करने की मान्यता नहीं थी, लेकिन कॉलेज ने इस कोर्स में दाखिला लेकर उसके साथ ही दूसरे छात्रों के साथ धोखाधड़ी की। वहीं, कॉलेज का कहना था कि उसने कानपुर की छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी से तीन साल के लॉ कोर्स शुरू करने की अनुमति ली थी। साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुमति के लिए भी 3.5 लाख रुपये जमा करा दिए हैं और उसे अनुमति का इंतजार है। इसलिए उसके खिलाफ गैर मान्यताप्राप्त संस्थान का आरोप उचित नहीं है।