Move to Jagran APP

हिस्से में मिलने वाले हथियार खानदान की निशानी, संरक्षित करूंगी: नवाब खानदान की बहू 'नूर बानो'

उत्तर प्रदेश के रामपुर में मंगलवार को नूरमहल में सवालों के जवाब देतीं नवाब खानदान की बहू व पूर्व सांसद नूर बानो। जागरण

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 10:13 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 01:23 PM (IST)
हिस्से में मिलने वाले हथियार खानदान की निशानी, संरक्षित करूंगी: नवाब खानदान की बहू 'नूर बानो'
हिस्से में मिलने वाले हथियार खानदान की निशानी, संरक्षित करूंगी: नवाब खानदान की बहू 'नूर बानो'

मुरादाबाद, भारतीय बसंत कुमार। उत्तर प्रदेश स्थित रामपुर के नवाब खानदान की बहू नूर बानो को तालीम उस जमाने में मिली जब मुस्लिम लड़कियों के लिए यह बहुत सहज नहीं था। राजस्थान के महारानी गायत्री देवी पब्लिक स्कूल में मिली तहजीब ने जिंदगी को आसान कर दिया। खुद इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकीं रामपुर की इस पूर्व सांसद के पास यादों का भी खजाना है। बेशुमार यादें हैं।

loksabha election banner

नवाब रजा अली खां साहब ने कैसे उन्हें बहू बनाने का निर्णय किया और इस खानदान में वह कैसे आईं, यह उन्हें आज भी बखूबी याद है। जमीन-जायदाद के बंटवारे के बीच उनकी चिंता उन कुछ खास दस्तावेज को भी सहेजने की है, जिनमें खानदान की शानो-शौकत के किस्से दर्ज हैं। खासबाग महल की दीवारों पर लगी पेंटिंग के खराब होने का दुख उन्हें सालता है। उनसे मुरादाबाद के संपादकीय प्रभारी की बातचीत के प्रमुख अंश :

रामपुर के इस नवाब खानदान से आपका ताल्लुक कैसे बना?

मैं राजस्थान में महारानी गायत्री देवी पब्लिक स्कूल में पढ़ती थी। मेरे वालिद अमीनुद्दीन खां साहब की रामपुर के नवाब रजा अली खां साहब से पहचान थी। वैसे तो हम लोग मूलरूप से फिरोजपुर झिरका (हरियाणा) के रहने वाले थे, लेकिन अंग्रेजों से अदावत के कारण रियासत छूट गई और जयपुर आकर बसना पड़ा। यहां उस समय देश में पहला स्कूल ऐसा खुला था, जहां लड़कियों की पढ़ाई की मुकम्मल व्यवस्था महारानी गायत्री देवी ने की थी। नवाब रजा अली खां साहब से एक दिन जयपुर किसी काम से आए थे और मेरे घर मेहमान थे। तभी उन्होंने मुझे बहू बनाने का फैसला कर लिया था।

जीवन में किस चीज को सर्वाधिक अहमियत आप देती हैं?

मैं रिश्ते को बहुत महत्व देती हूं। धन-दौलत, शानो-शौकत सब समय के साथ मिट जाता है, छूट जाता है पर रिश्ता कायम रहता है। पीढ़ी दर पीढ़ी उसकी छाप बनी रहती है। मुझे देखिए, किस रिश्ते की बदौलत इतना सम्मान रामपुर के लोगों ने दिया। यह रिश्ता नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां की बेगम या नवाब रजा अली खां खानदान की बहू होने से जुड़ा है। यह रिश्ता रामपुर के आम आदमी से मोहब्बत का है, तभी तो नवाब मिक्की मियां और मैंने सात बार भारतीय संसद का प्रतिनिधित्व किया।

अपने राजनीतिक जीवन के बारे में कुछ बताइए?

राजनीति में मैं मिक्की मियां साहब के बाद आई। मुझे सबका बहुत सहयोग मिला। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हर पारिवारिक आयोजन में मैं मौजूद रही। मेनका गांधी और सोनिया गांधी को बहू रूप में जब नेहरू परिवार लाया था, मैं साक्षी बनी थी। मेरा सौभाग्य रहा कि महारानी गायत्री देवी और इंदिरा गांधी के बीच आपसी संबंध चाहे जैसे रहे हों, मैं दोनों का स्नेह पा सकी।

क्या प्रिवी पर्स खत्म करने के फैसले के पीछे गायत्री देवी से खराब रिश्ता भी एक कारण था?

(इस सवाल को टाल कर वह कहती हैं-) देश की कई बड़ी हस्तियों के साथ ही इंदिरा गांधी का भी मेरे रामपुर वाले घर पर आना हुआ था।

आपके शौक क्या थे और क्या हैं?

पहले पियानो बजाती थी, अब नहीं बजाती हूं। इस समय फूलों की क्यारी सजाने का शौक बना है। मुझे हथियार चलाने की ट्र्रेंनग मिली थी। नवाब साहब हमें शिकार पर साथ ले जाते थे पर मैंने कभी शिकार नहीं किया। मेरे जीवन का एक शौक रक्षा बंधन का भी है। मैं करीब चार दशक से कोटा के राज परिवार के बृजराज सिंह को राखी बांधती हूं।

संसदीय जीवन की कुछ यादें ?

सऊदी में हज यात्रियों के लिए बनी टेंट सिटी में जब 1997 में आग लग गई थी। तब मेरी अध्यक्षता में एक प्रतिनिधिमंडल भारत सरकार ने भेजा था। सऊदी में किसी मुस्लिम महिला का प्रतिनिधिमंडल के नेतृत्वकर्ता के रूप में जाना महत्वपूर्ण बात थी। इसके बाद दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे संयुक्त राष्ट्र में जम्मू-कश्मीर पर आयोजित एक डिबेट में हिस्सा लेने भेजा था।

बंटवारे के बाद ऐतिहासिक मूल्य की जो संपत्ति मिलेगी, उसका क्या करेंगी?

बहुत कुछ सरकार के निर्णय पर निर्भर करता है। मेरे खानदान ने हमेशा दुनिया के भले के लिए सोचा। नवाब साहब जब रामपुर में बेटियों की पढ़ाई के लिए प्रयास कर रहे थे, तब उनका बहुत विरोध हुआ था, लेकिन आज इसकी अहमियत सबको मालूम है। दुनिया उसी को याद करती है जो दुनिया के लिए कुछ करता है। हथियारों का भी बंटवारा होगा। मेरी कोशिश होगी कि खानदानी विरासत की चीजें आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित रहें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.