85 वर्ष की उम्र में एवरेस्ट फतह कर खिताब वापस चाहते हैं मिन बहादुर
मिन बहादुर एक बार फिर से एवरेस्ट पर जाकर सबसे अधिक उम्र में वहां जाने का खिताब पाना चाहते हैं। लेकिन अब उनकी उम्र 85 वर्ष है।
काठमांडू (एएफपी)। कभी दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को सबसे अधिक उम्र में फतह करने का विश्व रिकार्ड कायम करने वाले मिन बहादुर शर्चन को एक बार फिर से यही खिताब पाने की धुन सवार हो गई है। पहले जब उन्हें इस खिताब से नवाजा गया था उस वक्त वह 76 वर्ष के थे। वर्ष 2008 में उन्होंने बढ़ती उम्र को दरकिनार कर माउंट एवरेस्ट को फतह करने खिताब हासिल किया था। लेकिन 2013 में उनका यह रिकार्ड चीन के योशिनो मियूरो ने तोड़ दिया था। मियूरो ने 80 वर्ष की उम्र में एवरेस्ट को फतह कर यह खिताब अपने नाम किया था। लेकिन अब मिन बहादुर को अपना खिताब वापस लेने की धुन सवार हो गई है। हालांकि वह कहते हैं कि उनका मकसद मियूरो का रिकार्ड तोड़ना नहीं है बल्कि खुद अपना रिकार्ड तोड़ना है।
आधे रास्ते से आना पड़ा था वापस
मिन बहादुर चाहते है कि जिस दीवार पर उनका 2008 का वर्ल्ड रिकार्ड लगा हुआ है उसी दीवार पर ठीक इसके करीब दूसरा वर्ल्ड रिकार्ड भी लगे। इसके लिए वह पूरी तरह से तैयार हैं। हालांकि 2015 में भी उन्होंने इसके लिए कोशिश की थी, लेकिन नेपाल में आए भूकंप और फिर हिमस्खलन की वजह से उन्हें मजबूरन आधे रास्ते से ही वापस आना पड़ा था। इसका मलाल उनके चेहरे पर साफतौर पर दिखाई भी देता है। वर्ष 2008 में जब उन्होंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड का खिताब दिया गया था उस एवरेस्ट मिशन में मियूराे भी शामिल थे। लेकिन उस वक्त मिन ने बाजी मार ली थी।
अपनी ताकत आजमाना चाहते हैं मिन
मिन कहते हैं कि वह इस बार की कोशिश में सिर्फ अपनी ताकत को आजमाना चाहते हैं और वह अपने को साबित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई निजी प्रतिस्पर्धा नहीं है, न ही किसी को हराने की बात है। मिन बहादुर पूर्व ब्रिटिश गोरखा आर्मी के सदस्य रह चुके हैं। 85 वर्ष की आयु में भी उनकी हिम्मत वास्तव में देखने लायक है।
बेहतर मौसम होने का इंतजार
मिन बहादुर फिलहाल एवरेस्ट पर जाने के लिए बेहतर मौसम होने का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि मई में मौसम कुछ बेहतर होता है और उस वक्त कई पर्वतारोही अपने मिशन की शुरुआत करते हैं, वह भी ऐसा ही करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एवरेस्ट के रास्ते में आने वाली रुकावटें और परेशानियां उन्हें रोक नहीं सकती हैं वह वहां फिर जाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। वहीं दूसरी ओर अंग टेजरिंग शेरपा जो कि नेपाल माउंटेनियरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं, को मिन के दावे पर कुछ शक जरूर है। वह उनकी बढ़ती उम्र और वहां की मुश्किलों को लेकर कुछ गंभीर हैं। लेकिन वह मानते हैं मिन बहादुर का हौसला और उनकी हिम्मत वास्तव में कमाल की है।
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ब्रिटिश गोरखा आर्मी के जवान रह चुके हैं मिन
गौरतलब है कि पिछले वर्ष कुल 450 पर्वतारोहियों को एवरेस्ट पर जाने की इजाजत मिली थी। वहीं वर्ष 2015 में रद हुए समिट के भी कुछ पर्वतारोहियों को इसमें दोबारा मौका दिया गया था। मिन बहादुर ने बेहद कम उम्र में ब्रिटिश गोरखा आर्मी ज्वाइन की थी। मिन कहते हैं कि वह हमेशा से ही चुनाैतियों को पसंद करते हैं। उनका कहना है कि वह दुनिया छोड़ने से पहले कुछ अलग करके दिखाना चाहते हैं, जो पहले किसी ने न किया हो।