भारत के मन मुताबिक पैंगोंग झील से पीछे हट रहीं दोनों सेनाएं, पूर्व सैन्य अभियान महानिदेशक का दावा
भारतीय सेना के पूर्व सैन्य अभियान महानिदेशक लेफ्टीनेंट जनरल (रि.) विनोद भाटिया (Vinod Bhatia) का कहना है कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के किनारों से दोनों देशों की सेनाएं भारत के मन मुताबिक तरीके से पीछे हट रही हैं।
नई दिल्ली, आइएएनएस। भारतीय सेना के पूर्व सैन्य अभियान महानिदेशक लेफ्टीनेंट जनरल (रि.) विनोद भाटिया का कहना है कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के किनारों से दोनों देशों की सेनाएं भारत के मन मुताबिक तरीके से पीछे हट रही हैं। यह पूरी तरह गलत और असत्य है कि भारत, चीन के दबाव में आ गया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सेनाओं को पीछे करने का काम आसान नहीं है। यह प्रक्रिया काफी थकाऊ और समय लेने वाली है।
भारत के मनमुताबिक हो रही सेनाओं की वापसी
एक विशेष बातचीत में रिटायर्ड लेफ्टीनेंट जनरल भाटिया ने बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर भारत और चीन के पूर्व में कई तरह के दावे और प्रतिदावे रहे हैं। हालांकि सेनाओं को पीछे करने की प्रक्रिया चीन द्वारा 1959 में किए गए दावे के अनुसार नहीं बल्कि भारत के मनमुताबिक तरीके से हो रही है।
एलएसी पर यथास्थिति चाहता है भारत
जनरल भाटिया ने कहा कि भारत एलएसी पर यथास्थिति बहाल करना चाहता है। इसलिए जो स्थिति अप्रैल 2020 में थी उसी के अनुसार सेनाएं अपने-अपने ठिकाने पर लौटने उम्मीद है। अप्रैल 2020 में चीन की चौकी फिंगर 8 के पूर्वी ओर सिरीजाप में थी जबकि हमारी चौकी धन सिंह थापा कई सालों से फिंगर तीन के पास थी।
टकराव वाले बिंदुओं से हट रहीं सेनाएं
चीन के 1959 के दावे पर उन्होंने कहा कि यह कई तरह व्याख्याओं और धारणाओं पर आधारित है। फिलहाल पैंगोंग झील के उत्तरी दक्षिणी किनारे से टकराव वाले बिंदुओं से सेनाएं पीछे हट रही हैं। इन्हीं स्थानों पर सबसे ज्यादा फौज और तोपखाने का जमावड़ा था। यहां दोनों सेनाएं आमने-सामने थीं। यहां टकराव की आशंका भी बहुत ज्यादा थी। इसलिए शुरुआत यहीं से की गई है। यह स्थान बहुत अधिक ऊंचाई पर होने के कारण इस काम में काफी समय लगेगा।
भारत का मकसद कायम हो यथास्थिति
चीन की सेना ने भारतीय क्षेत्र में फिंगर पांच और छह के बीच जो निर्माण कर रखा है उसे उन्हें छोड़कर जाना होगा। उन्होंने कहा कि भारत का मकसद यथास्थिति कायम करने का था जिसे हासिल कर लिया जाएगा। ऐसे में यह कहना कि भारत ने चीन के 1959 के दावे को स्वीकार कर लिया है गलत होगा।
सेना की तैनाती में होगी कटौती
भविष्य की क्या राह होगी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सेनाएं पीछे करने के बाद सेना की तैनाती में कटौती करनी होगी। इसके बाद दोनों के बीच हुए समझौते की शर्तों को मजबूती देनी होगी। इसके साथ ही भारत को इस क्षेत्र में निगरानी और गश्त बढ़ाने के साथ अपनी सामरिक क्षमताओं में लगातर बढ़ोतरी करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की कोई स्थिति पैदा होने पर वह तत्काल जवाब दे सके।