Move to Jagran APP

EWS Reservation: सुप्रीम कोर्ट का सवाल- आर्थिक आरक्षण से क्या मेरिट के हिस्से में कटौती नहीं होगी, आज भी होगी सुनवाई

EWS Reservation सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सरकार से कई सवाल पूछे। जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्‍या कहा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 21 Sep 2022 10:12 PM (IST)Updated: Wed, 21 Sep 2022 10:12 PM (IST)
EWS Reservation: सुप्रीम कोर्ट का सवाल- आर्थिक आरक्षण से क्या मेरिट के हिस्से में कटौती नहीं होगी, आज भी होगी सुनवाई
EWS Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सरकार से कई सवाल पूछे।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सरकार से कई सवाल पूछे। कोर्ट ने कहा, आरक्षण की अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा का मतलब है कि बाकी का 50 प्रतिशत ओपेन कैटेगरी के लिए मेरिट के आधार पर होगा। अगर उसमें से 10 प्रतिशत आरक्षित कर दिया जाता है तो क्या मेरिट के हिस्से में कटौती नहीं होगी?

loksabha election banner

सुप्रीम कोर्ट ने पूछे सवाल 

सुप्रीम कोर्ट का एक और सवाल था कि एससी-एसटी और ओबीसी की क्रीमी लेयर जिसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है, वह भी 50 प्रतिशत की ओपन कैटेगरी में प्रतिस्पर्धा करता है। अगर उसमें से 10 प्रतिशत सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण दिया जाता है तो ओपन कैटेगरी के लिए सिर्फ 40 प्रतिशत हिस्सा बचेगा, ऐसे में किसका हिस्सा कटेगा। मामले में गुरुवार को भी बहस जारी रहेगी।

ईडब्ल्यूएस आरक्षण के विरुद्ध दलीलें

प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस एस. रविंद्र भट, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। पीठ ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण के विरुद्ध दलीलें दी गई हैं कि इससे एससी-एसटी और ओबीसी के गरीबों को जाति के आधार पर बाहर रखा गया है।

ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन

केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यहां पर किसी कानून को नहीं, बल्कि संविधान संशोधन को चुनौती दी गई है और संविधान संशोधन को संवैधानिक प्रविधानों पर नहीं, बल्कि संविधान के मूल ढांचे के आधार पर परखा जाएगा। याचिकाकर्ताओं को साबित करना होगा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है।

आर्थिक आरक्षण लागू करने का क्या प्रभाव..?

कोर्ट ने मेहता से पूछा कि आर्थिक आरक्षण लागू करने का क्या प्रभाव है, राज्यों के आंकड़े होंगे। उन्होंने कहा कि इतनी जल्दी आंकड़े पेश करना मुश्किल होगा। इस पर पीठ ने कहा कि उन्होंने कुछ राज्यों से आंकड़े मांगे हैं।

आर्थिक आरक्षण का किस पर कैसा पड़ा

सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार की ओर से जब कानून का समर्थन करते हुए दलीलें दी जा रही थीं और यह कहा गया कि राज्य ने गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया है तो कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील महेश जेठमलानी से कहा कि इसे लागू करने का क्या अनुभव है। आर्थिक आरक्षण का क्या प्रभाव है, उसका असर किस पर कैसा पड़ा है। इस बारे में आंकड़े पेश करिए।

यह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन

केंद्र की ही ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बुधवार को दोहराया कि ईडब्ल्यूएस को आरक्षण देने का प्रविधान करने वाला 103वां संविधान संशोधन संविधान सम्मत है और कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। यह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता। आर्थिक आधार पर गरीबों को आरक्षण देकर उन्हें गरीबी से ऊपर उठाने की कोशिश की गई है और यह सरकार का दायित्व है।

सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया

उन्होंने कहा कि यह आरक्षण का एक नूतन और अलग स्वरूप है जिसमें सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। यह आरक्षण एससी-एसटी और ओबीसी को दिए जाने वाले आरक्षण से भिन्न है। ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन नहीं करता।

गरीबों को गरीबी से ऊपर उठाना सरकार का दायित्व

एससी-एसटी और ओबीसी को पहले ही 50 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है, उन्हें ईडब्ल्यूएस की श्रेणी में शामिल करने से 50 प्रतिशत की सीमा का हनन होगा। ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण सामान्य वर्ग के 50 प्रतिशत आरक्षण से दिया गया है, इसलिए इसमें सीमा का उल्लंघन नहीं होता। संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 46 व 47 में गरीबों को गरीबी से ऊपर उठाना सरकार का दायित्व बताया गया है।

यह भी पढ़ें- केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में की ईडब्ल्यूएस रिजर्वेशन की तरफदारी, कहा- आर्थिक आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं

यह भी पढ़ें- EWS Quota को गलत बता रहे याचिकाकर्ताओं से सुप्रीम कोर्ट ने पूछे सवाल, कहा- गरीबों के लिए आरक्षण संविधान के विपरीत कैसे


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.