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आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच ईवीएम की जीत

लोगों को न सिर्फ ईवीएम बल्कि अदालतों में भी भरोसा रखना चाहिए जिन्होंने ईवीएम का विभिन्न तरह से परीक्षण किया है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 18 Dec 2017 06:56 PM (IST)Updated: Mon, 18 Dec 2017 06:56 PM (IST)
आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच ईवीएम की जीत
आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच ईवीएम की जीत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अलग-अलग राजनीतिक दलों ने भले ही अपनी हार का ठीकरा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के सिर फोड़ने की कोशिश की हो लेकिन गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनावों के नतीजों से ईवीएम की विश्वसनीयता एक बार फिर साबित हो गयी है। खासकर गुजरात में आखिरी वक्त तक जिस तरह रोमांच बना रहा और कांग्रेस भाजपा की जीत का अंतर कम करने में सफल रही उससे विपक्षियों के लिए भी ईवीएम पर सवाल खड़ा थोड़ा मुश्किल हो गया।

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हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधान सभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के कुछ दिन पहले ही कांग्रेस और उसके सहयोगी संगठनों के नेताओं ने ईवीएम से छेड़छाड़ का माहौल बनाना शुरु कर दिया था। कांग्रेस के सहयोगी पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने तो यहां तक कह डाला कि 5,000 ईवीएम से छेड़छाड़ की गयी है। भाजपा हिमाचल प्रदेश में चुनाव हार जाएगी जबकि गुजरात में जीत जाएगी ताकि कोई भी ईवीएम पर शंका न कर सके।

इसके बाद कांग्रेस की ओर से गुजरात में कई जगह ईवीएम में खामियों को लेकर 44 शिकायतें मुख्य चुनाव अधिकारी के पास दर्ज की गयीं। हालांकि सोमवार को दोनों राज्यों चुनाव नतीजों के शुरुआती रुझान आने लगे तो कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर का संकेत मिला। इस ट्रेंड से साफ हो गया कि कांग्रेस और समर्थन देने वाले जो नेता ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगा रहे थे, वह गलत है। हालांकि बाद में यह ट्रेंड पूरी तरह बदल गया।

हालांकि विशेषज्ञों की राय है कि चुनाव हारने वाले दलों को अपनी विफलता छुपाने के लिए ईवीएम की आड़ नहीं लेनी चाहिए। चुनाव मामलों के विशेषज्ञ और स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेन्द्र यादव का मानना है कि ईवीएम की आड़ लेना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल ईवीएम के आधार पर नहीं होते हैं। चुनाव नतीजों की घोषणा से पहले एग्जिट पोल में भी यही ट्रेंड दिखा था।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला का भी कहना है कि जब कोई राजनीतिक दल या उम्मीदवार चुनाव हारता है तो वे मशीन को दोष देते हैं जो अनुचित है। लोगों को न सिर्फ ईवीएम बल्कि अदालतों में भी भरोसा रखना चाहिए जिन्होंने ईवीएम का विभिन्न तरह से परीक्षण किया है।

वैसे यह पहला मौका नहीं है जब किसी दल ने ईवीएम पर निशाना साधा है। इससे पहले आम आदमी पार्टी, बसपा और कई अन्य दल भी ईवीएम में छेड़छाड़ को मुद्दा बना चुके हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगा रहे नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि इन मशीनों के प्रयोग से चुनाव में पारदर्शिता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि चुनाव में हार के भय से ईवीएम की आलोचना हो रही है।

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