हर दस में एक भारतीय की किडनी बीमार
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। हर दस में एक हिंदुस्तानी की किडनी बीमार है। उस पर भी इनमें अधिकांश लोगों को इसका पता तब चलता है, जब यह बेहद गंभीर हाल में पहुंच जाती है। राहत की बात यह है कि अब किडनी की गंभीर से गंभीर समस्या का इलाज देश में ही उपलब्ध है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान [एम्स] में नेफ्रोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर संजय गुप्ता के मुताबिक देश में इस समय दस फीसद आबादी किडनी की किसी न किसी समस्या से प्रभावित है। साथ ही हर साल इसमें लगभग डेढ़ लाख लोग और जुड़ते जा रहे हैं।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। हर दस में एक हिंदुस्तानी की किडनी बीमार है। उस पर भी इनमें अधिकांश लोगों को इसका पता तब चलता है, जब यह बेहद गंभीर हाल में पहुंच जाती है। राहत की बात यह है कि अब किडनी की गंभीर से गंभीर समस्या का इलाज देश में ही उपलब्ध है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान [एम्स] में नेफ्रोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर संजय गुप्ता के मुताबिक देश में इस समय दस फीसद आबादी किडनी की किसी न किसी समस्या से प्रभावित है। साथ ही हर साल इसमें लगभग डेढ़ लाख लोग और जुड़ते जा रहे हैं।
उच्च रक्तचाप और मधुमेह के मरीजों को इसका सबसे ज्यादा खतरा होता है। दर्द निवारक दवाओं का लगातार सेवन करने वालों की किडनी भी प्रभावित हो सकती है। बार-बार मूत्र संक्रमण का शिकार होने वालों को सतर्क रहना चाहिए। पुष्पावति सिंघानिया शोध संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. रवि बंसल कहते हैं कि अक्सर मरीज को यह पता ही नहीं होता कि समस्या उसकी किडनी में है, जबकि सामान्य पेशाब जांच और रक्त के नमूने के सीरम क्रेटनीन जांच से किडनी में किसी समस्या का संकेत आसानी से मिल जाता है। ये जांच डेढ़ से दो सौ रुपये में कहीं भी आसानी से हो जाती है। आम तौर पर लोग किडनी की बीमारी का मतलब किडनी के काम करना बंद कर देने से समझते हैं, लेकिन इससे पहले की स्थिति में इसका पता चल जाने पर उसे आसानी से ठीक या नियंत्रित किया जा सकता है। यहां तक कि प्रत्यारोपण जैसी तकनीक भी अब भारत में पर्याप्त रूप से उपलब्ध है। बड़ी संख्या में हो रहे प्रत्यारोपण के बाद यह भी साबित हो गया है कि यह दान करने वाले और प्राप्त करने वाले दोनों के लिए सुरक्षित है।
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