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अब निर्धारित संख्या में ही सौलानी देख सकेंगे ताज

ताज में दीवानों की आमद अब तय होने जा रही है। इसमें ताज की भारण क्षमता (एक दिन में स्मारक में कितने सैलानी जा सकते हैं) तो निर्धारित होगी ही, साथ ही यह भी तय होगा कि हर घंटे ताज में कितने सैलानी जाएंगे। नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) अब इसी कसरत में जुटा है। इसके लिए त

By Edited By: Published: Mon, 18 Aug 2014 04:50 PM (IST)Updated: Mon, 18 Aug 2014 04:58 PM (IST)
अब निर्धारित संख्या में ही सौलानी देख सकेंगे ताज

आगरा [दिलीप शर्मा]। ताज में दीवानों की आमद अब तय होने जा रही है। इसमें ताज की भारण क्षमता (एक दिन में स्मारक में कितने सैलानी जा सकते हैं) तो निर्धारित होगी ही, साथ ही यह भी तय होगा कि हर घंटे ताज में कितने सैलानी जाएंगे। नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) अब इसी कसरत में जुटा है। इसके लिए ताज पर शनिवार को उमड़ी रिकॉर्ड और हर घंटे हुई प्रवेश टिकटों की बिक्री की जानकारी भी नीरी ने मांगी है।

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ताज में पर्यटकों की आमद लगातार बढ़ रही है। साल में बहुत से दिन तो ऐसे होते हैं, जब एक ही दिन में ताज की 40 हजार से भी ज्यादा टिकटें बिक जाती हैं। इस शनिवार को रिकॉर्ड 48 हजार टिकटों की बिक्री हुई थी और रविवार को यह रिकॉर्ड भी टूट गया। टिकटों की बिक्री 50 हजार से ज्यादा पहुंच गई। यानि सैलानियों की अनुमानित संख्या करीब एक लाख रही। भीड़ के चलते स्मारक के फर्श के निरंतर पत्थर घिस रहे हैं। मुख्य मकबरे की सीढि़यों के पत्थर तो इतने घिस चुके हैं कि उन पर लकड़ी का कवच लगाया गया है। इस मुश्किल के निदान के लिए ताज की भारण क्षमता तय होनी है और इसका जिम्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) ने नीरी को सौंपा है। एक साल तक अध्ययन करने के बाद नीरी ने अभी केवल प्रारंभिक रिपोर्ट ही दी है।

एएसआइ से जुड़े सूत्रों के मुताबिक विभाग अब जल्द से जल्द सैलानियों की संख्या निर्धारित करना चाहता है। इसके लिए दिल्ली में एएसआइ अधिकारियों और नीरी के विशेषज्ञों की बैठक हो चुकी है। इसमें घंटे वार सैलानियों की संख्या निर्धारित करने पर भी विचार हुआ है। अधिकारियों का मानना है कि घंटेवार सैलानियों की संख्या निर्धारित होने से व्यवस्था बनाने में आसानी होगी। माना जा रह है कि धारण क्षमता तय होने के बाद ताज की टिकट के साथ टोकन प्रणाली लागू करने पर विचार हो रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं आदेश

सात साल पहले 20 अगस्त 2007 को सुप्रीम कोर्ट में एमसी मेहता बनाम भारत सरकार की अंतरिम याचिका की सुनवाई के दौरान भारण क्षमता तय करने के निर्देश दिए थे। इसमें कहा गया कि ताज की कैरींग कैपेसिटी तय की जाए।

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