राज्य हों या कोई देश हर किसी को अपनाना होगा Triple 'T' का फार्मूला, तभी मिलेगी कोरोना से मुक्ति
जिस ट्रिपल टी फार्मूले ने दक्षिण कोरिया में कोरोना से राहत दिलाई थी वही फार्मूला सभी राज्यों और देशों को अपनाना होगा।
नई दिल्ली। कोरोना का कोहराम पूरी दुनिया में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हर कोई जानना चाहता है कि इससे कब छुटकारा मिलेगा। हालांकि जिसके जहन में ये सवाल उठ रहा है वो ये भी जानता है कि फिलहाल आने वाले कुछ माह में इससे निजात नहीं मिलने वाली है। लेकिन इतना जरूर है कि यदि एहतियात बरती गई तो शायद इस पर काबू पाया जा सके। लेकिन यदि लापरवाही बरती गई तो यह महामारी लाखों और जिंदगियों को लील लेगी। वर्तमान में पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से संक्रमित 2008164 मामले सामने आ चुके हैं। 15 अप्रैल 2020 के दोपहर 2 बजे तक पूरी दुनिया में इसकी वजह से 1394770 लोगों की जान जा चुकी है।
बीते कुछ दिनों में चीन में दोबारा से इसके मामले सामने आने लगे हैं। हालांकि चीन ने अपने यहां पर काफी हद तक इस पर काबू पाने में सफलता हासिल की है। यहां पर कोरोना वायरस के इलाज की वैक्सीन को भी बना लिया गया है और इंसानों पर परीक्षण जारी है। वहीं अमेरिका और इजरायल में भी बनी दवा का इंसानों पर परीक्षण किया जा रहा है। लेकिन सिर्फ दवा बन जाने भर से इस जानलेवा वायरस से निजात मिल जाएगी, यह कह पाना जरा मुश्किल है। इसके लिए जरूरी ये भी होगा कि उन मरीजों को तलाश कर उनका ट्रीटमेंट किया जाए जो इस वायरस से संक्रमित हैं।
आपको बता दें कि इस वायरस के पूरे लक्षण आने में दो सप्ताह तक का समय लग जाता है। इसमें भी कई बार संक्रमित होते हुए भी टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आती है। इसका नतीजा ये होता है कि ये एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे व्यक्ति में फैल जाता है। जब तक इसकी पॉजीटिव रिपोर्ट आती है तब तक इसके कई और मामले पनप चुके होते हैं। ऐसे में ही काम आता है ट्रिपल टी का फार्मूला। इस ट्रिपल टी के फार्मूले पर काम करते हुए सबसे पहले दक्षिण कोरिया ने अपने यहां इस वायरस के प्रकोप को कम करने में सफलता हासिल की थी।
अब यही फार्मूला दुनिया के कई देशों में लागू हो रहा है। भारत पाकिस्तान भी इसी फार्मूले का इस्तेमाल कर अपने यहां इस वायरस के प्रकोप को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। इस फार्मूले के तहत सबसे पहले मरीज की तलाश की जाती है। इसके बाद उसका टेस्ट किया जाता है और पॉजीटिव पाए जाने पर उसका ट्रीटमेंट किया जाता है। भारत और पाकिस्तान की ही बात करें तो यहां पर सबसे पहले मरीजों को ही तलाशा जा रहा है। फिर उनका टेस्ट और ट्रीटमेंट किया जा रहा है।
आपको बता दें कि दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस का पहला मामला 20 जनवरी को सामने आया था। वुहान से लौटी एक महिला को इस वायरस से संक्रमित पाया गया था। यहां आने के बाद उसने शिंकॉन्जी चर्च में प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया था। इसके तुरंत बाद यहां पर इस वायरस के मामले बढ़ गए थे। प्रशासन ने तुरंत उसकी पहचान करने के साथ ही इस चर्च के सभी सदस्यों का टेस्ट करवाया था। इसमें जो कोई भी पॉजीटिव मिला उसका पूरा ट्रीटमेंट किया गया। इसके अलावा यहां पर क्वारंटाइन के नियमों को तोड़ने वालों पर लगने वाला जुर्माना और सजा की अवधि को भी बढ़ा दिया गया था। इस फार्मूले से यहां पर कोरोना वायरस के मामले रोकने में काफी मदद मिली थी।