मुंबई के ईएसआइसी अस्पताल ने सुधारी गलती, देगा पूरा मुआवजा
आग लगने की घटना के बाद उसकी बच्ची को दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। जबकि, बेटे की हालत गंभीर बनी है।
मुंबई, प्रेट्र। महानगर के अंधेरी स्थिति ईएसआइसी कामगार अस्पताल ने पिछले हफ्ते अस्पताल में लगी आग के बाद अपनी जान गंवाने वाले दो मरीजों के परिजनों को पूरा मुआवजा देने का फैसला किया है। नवजात बच्ची समेत दोनों लोगों की मौत 17 दिसंबर को लगी आग की घटना के बाद हुई थी।
अस्पताल के एडिशनल कमिश्नर संजय कुमार सिन्हा ने गुरुवार को कहा कि मुआवजे की शेष राशि शुक्रवार तक दे दी जाएगी। सिन्हा ने बताया कि तहसीलदार की रिपोर्ट पर पहला मुआवजा तय किया गया था। कम मुआवजे का मामला सामने आने के बाद तहसीलदार से दोबारा जांच कराई गई, जिसके बाद मुआवजे की बाकी धनराशि देने का फैसला किया गया है।
क्या था मामला?
ललिता लोगावी नामक महिला ने ईएसआइसी अस्पताल में जुड़वा बच्चों एक लड़का और लड़की को जन्म दिया था। आग लगने की घटना के बाद उसकी बच्ची को दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। जबकि, बेटे की हालत गंभीर बनी है। ललिता का कहना था कि अस्पताल प्रशासन ने उनकी बच्ची के लिए भी दो लाख रुपये का मुआवजा दिया था। ललिता के मुताबिक अस्पताल प्रशासन का कहना था कि जन्म के समय बच्ची का वजन बहुत कम था और उसका बचना नामुमकिन था। इसलिए अस्पताल ने उसकी मौत को स्वाभाविक माना था।
माता-पिता ने किया था विरोध
अस्पताल प्रशासन के इस दावे का ललिता और उसके पति ने विरोध किया था। दोनों ने अन्याय के खिलाफ लड़ने का भी एलान किया। उनका कहना था कि आग के चलते बच्ची को वेंटिलेटर से हटाया गया और उसके अंदर धुआं भी चला गया था। जो उसकी मौत का कारण बना होगा।
क्या था मुआवजा
ईएसआइसी अस्ताल श्रम मंत्रालय के तहत आता है। घटना के बाद मंत्रालय ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख और गंभीर रूप से घायलों को 2 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी।