बिखरते परिवार और मोबाइल की दुनिया में मगन रहने वालों के लिए सबक है मिजोरम का ये परिवार
कभी ऐसा हुआ है कि आपने दूसरे कमरे में बैठे हुए व्यक्ति को सिर्फ बाहर आने के लिए ही फोन किया हो। यह सब ऐसे सवाल है जिनका जवाब आप चाहकर भी ना में नहीं दे सकेंगे।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। हम लोगों को पहले जुबानी कई फोन नंबर याद रहते थे, लेकिन आज ऐसा नहीं है। ऐसा तब है जब अब 24 घंटे में से करीब 15 घंटे फोन हमारे हाथों में रहता है। इसके बाद भी हमें कुछ गिने चुने या शायद वो भी नंबर याद नहीं रहते हैं। चलिए छोडि़ए इसे। क्या कभी आपने भी एक ही घर में रहते हुए वाट्सएप के जरिए दूसरे कमरे में बैठे किसी व्यक्ति से बात की है। कभी ऐसा हुआ है कि आपने दूसरे कमरे में बैठे हुए व्यक्ति को सिर्फ बाहर आने के लिए ही फोन किया हो।
यह सब ऐसे सवाल है जिनका जवाब आप चाहकर भी ना में नहीं दे सकेंगे। दरअसल, यही आज की एक हकीकत है। मोबाइल फोन और इंटरनेट की सुविधा ने हमें अपने ही घर में अपनों से दूर कर दिया है। इसके उलट जो अपने नहीं हैं जिनसे हम कभी मिले नहीं उन्हें कथित तौर पर हमारे करीब कर दिया है। आपने भी ऐसा देखा और महसूस किया होगा।
अकसर युवा सोशल मीडिया के जरिए उन लोगों से चैट या ऐसे लोगों की पोस्ट पर कमेंट करते हुए दिखाई दे जाएंगे जिन्हें वह जानते तक नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ घर में लगभग हर सदस्य के पास में फोन होने की वजह से आस-पास या कुछ दूरी पर बैठे अपने व्यक्ति से भी वाट्सएप के जरिए बातें की जाती हैं। क्या आपको कभी नहीं लगा कि मोबाइल फोन ने हम लोगों में दूरियां बढ़ा दी हैं।
पहले जब मोबाइल फोन नहीं थे तब और आज के दौर के बारे में जरा सोचकर देखिए और फैसला करिए कि हमनें क्या कुछ खो दिया है और क्या कुछ पाया है। इस भूमिका को बनाने के पीछे बेहद खास वजह है। दरअसल आज विश्व परिवार दिवस है। परिवार का अर्थ मौजूदा वक्त में भले ही मियां-बीवी और बच्चे से हो लेकिन पहले ऐसा नहीं था। इसका जीता जागता उदाहरण मिजोरम का एक ऐसा परिवार है जिसमें 180 सदस्य हैं। इसमें 39 बीवियां, 94 बच्चे, 14 बहु और 33 पोते और पोतियां हैं। यह भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा एकल परिवार है। यह परिवार कहीं न कहीं इस बात का भी सुबूत है कि परिवार की एकजुटता आज भी बरकरार है। वह भी ऐसे समय में जब हम मोबाइल के चक्कर में पागल होकर अपनों को ही खो रहे हैं।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज जिओना चाना का परिवार दुनिया का सबसे बड़ा परिवार है। इसमें कुल 181 सदस्य हैं। यह मिजोरम के बक्तवांग गांव में 100 कमरों के चार मंजिला घर में रहता है। चाना ने पहली शादी 17 साल की उम्र में की। उन्होंने एक साल में 10 शादियां तक की हैं। परिवार आपसी प्यार और सम्मान के साथ रहता है। चाना अभी 72 साल के हैं।
परिवार में सेना जैसा अनुशासन है। चाना की सबसे पहली पत्नी जाथिआंगी की सत्ता चलती है। वही सबके दैनिक काम जैसे सफाई, भोजन बनाना,कपड़े धोना आदि बांटती हैं। चाना खुद को बेहद भाग्यशाली मानते हैं कि उनका परिवार दुनिया का सबसे बड़ा परिवार है। परिवार के सिर्फ एक दिन के खाने में 30 चिकन, दर्जनों अंडे, 60 किग्रा आलू,100 किग्रा चावल, लगते हैं। परिवार हर दिन 20 किग्रा फल खाता है।
भारत में बढ़े एकल परिवार
2011 की जनसंख्या के अनुसार 2001 से 2011 के बीच आर्थिक प्रगति की दर 7.4 फीसद रही। समृद्धि और रोजगारी के मौके बढ़ने से एकल परिवारों की संख्या भी बढ़ी। 2001 में देश में जहां 13.5 करोड़ एकल परिवार थे वहीं 2011 में इनकी संख्या बढ़कर 17.2 करोड़ हो गई। हालांकि शहरों में अब एकल परिवारों की संख्या जनसंख्या के अनुपात में नहीं बढ़ रही। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पापुलेशन स्टडीज के अनुसार शहरों में महंगे होते घर और पति-पत्नी दोनों के काम करने से संयुक्त परिवारों का चलन बढ़ रहा है।
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