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सड़क और इलाज छोड़ गेहूं खरीदी करा रहे इंजीनियर-डॉक्टर

सड़क के कामों को देखने और इलाज के मूल काम को छोड़कर इंजीनियर और डॉक्टर प्रदेश में गेहूं, चना, मसूर और सरसों की खरीदी करा रहे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 16 Apr 2018 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 16 Apr 2018 09:26 AM (IST)
सड़क और इलाज छोड़ गेहूं खरीदी करा रहे इंजीनियर-डॉक्टर
सड़क और इलाज छोड़ गेहूं खरीदी करा रहे इंजीनियर-डॉक्टर

भोपाल (वैभव श्रीधर)। सड़क के कामों को देखने और इलाज के मूल काम को छोड़कर इंजीनियर और डॉक्टर प्रदेश में गेहूं, चना, मसूर और सरसों की खरीदी करा रहे हैं। दरअसल, राजगढ़ सहित कई जिलों में खाद्य और कृषि विभाग के अलावा दूसरे महकमे के अधिकारियों को खरीदी का नोडल अधिकारी बना दिया गया है।

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पुलिस अधिकारियों को भी खरीदी केंद्रों के निरीक्षण के काम पर लगाया है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश में पिछले साल पूरा प्रशासन खरीदी के काम में लगा था और सरकार ने यह फैसला किया था कि वो इस झंझट में अभी नहीं फंसेगी और भावांतर भुगतान योजना में खरीदी करेगी।

चुनावी साल में सरकार और अधिकारी सबसे बड़े वोट बैंक किसान को लेकर बेहद चौकन्ने हैं। भावांतर भुगतान योजना में चना, मसूर और सरसों की खरीदी को मंजूरी नहीं मिलने पर सरकार ने केंद्र सरकार से इन फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की मंजूरी ले ली।

सरकार उत्पादकता प्रोत्साहन के नाम पर पंजीकृत किसानों के फसल बेचने पर उन्हें सौ रुपए प्रति क्विंटल अपनी ओर से देगी। इसी तरह गेहूं खरीदी पर प्रति क्विंटल 265 रुपए दिए जाएंगे। इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो और पात्र किसान योजना का लाभ पाने से वंचित न रह जाएं, इसके लिए कलेक्टरों ने लोक निर्माण, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के इंजीनियरों के साथ विद्युत मंडल, हथकरघा विभाग के अधिकारियों के साथ पशुपालन विभाग के डॉक्टरों को नोडल अधिकारी बनाकर ड्यूटी लगा दी है।

इसके साथ ही पुलिस उप निरीक्षक, सहायक निरीक्षक, प्रधान आरक्षकों की मोबाइल पार्टी बनाकर खरीदी केंद्रों का भ्रमण करने का जिम्मा सौंपा है। राजगढ़ में तो हालात ये हो गए हैं कि सभी इंजीनियर गेहूं खरीदी के काम में लगा दिए गए हैं। एक-एक अधिकारी के जिम्मे तीन-तीन खरीदी केंद्र हैं।

रोजाना देनी है रिपोर्ट

जिला प्रशासन ने नोडल अधिकारी बनाकर सिर्फ जिम्मेदारी ही नहीं सौंपी है, बल्कि मॉनीटरिंग की तगड़ी व्यवस्था भी रखी है। हर अधिकारी को चना, मसूर और सरसों की प्रतिदिन होने वाली खरीदी का पूरा ब्योरा देना है। इसमें सुबह दस बजे तक की खरीदी, परिवहन, केंद्रों पर बचा स्टॉक, शाम तक की खरीदी, किसानों की संख्या, जिनको भुगतान किया गया और राशि शामिल है।

निगरानी समिति बनाने दिए निर्देश

आयुक्त खाद्य, नागरिक आपूर्ति विवेक पोरवाल ने बताया कि हमने जिलों को खरीदी की निगरानी के लिए समिति बनाने के निर्देश दिए हैं। किस जिले ने किस स्तर के अधिकारियों को रखा है, यह स्थानीय व्यवस्था है। 


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