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फर्जी टीआरपी घोटाले की मनी लॉन्ड्रिंग मामले पर प्रवर्तन निदेशालय ने दर्ज किया केस

फेक टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग पॉइंट) घोटाला तब सामने आया जब रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) ने हंसा रिसर्च ग्रुप के माध्यम से एक शिकायत दर्ज की जिसमें आरोप लगाया गया कि कुछ टेलीविजन चैनल TRP संख्याओं में हेराफेरी कर रहे हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 06:52 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 06:52 PM (IST)
फर्जी टीआरपी घोटाले की मनी लॉन्ड्रिंग मामले पर प्रवर्तन निदेशालय ने दर्ज किया केस
जल्द ही इस मामले पर ईडी द्वारा पूछताछ और उनके बयानों की रिकॉर्डिंग के लिए बुलाया जाएगा।

नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मुंबई पुलिस द्वारा की जा रही कथित फर्जी टीआरपी घोटाले की जांच को अब मनी लॉन्ड्रिंग मामले पर शिकायत दर्ज की है। ईडी से जुड़े शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ECIR) दायर की जो पुलिस प्राथमिकी के बराबर है। ईडी की शिकायत मुंबई पुलिस एफआईआर का अध्ययन करने के बाद दर्ज की गई थी, जो कि अक्टूबर में दर्ज की गई थी।

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समाचार चैनलों के अधिकारियों और पुलिस प्राथमिकी में नामित अन्य लोगों को जल्द ही ईडी ने पूछताछ और उनके बयानों की रिकॉर्डिंग के लिए बुलाया जाएगा।

कुछ टेलीवीजन चैनल टीआरपी के आंकड़ों में कर रहे थे हेराफेरी

बता दें कि फेक टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग पॉइंट) घोटाला तब सामने आया जब रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) ने हंसा रिसर्च ग्रुप के माध्यम से एक शिकायत दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि कुछ टेलीविजन चैनल TRP के आंकड़ों में हेराफेरी कर रहे हैं।

विशेष समाचार चैनल चलाने के लिए दी जा रही थी मोटी रिश्वत

पुलिस ने आरोप लगाया था कि कुछ चैनल टीआरपी को धोखाधड़ी से बढ़ावा देने के लिए रिश्वत दे रहे थे ताकि विज्ञापन का राजस्व बढ़ाया जा सके। यह आरोप लगाया गया था कि कुछ ऐसे परिवार जिनके घरों में दर्शकों के डेटा एकत्र करने के लिए मीटर लगाए गए थे, उन्हें एक विशेष चैनल चलाने के लिए मोटी रिश्वत दी जा रही थी।

ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) ने सप्ताहिक टीआरपी पर लगाई थी रोक

गौरतलब है कि टीआरपी महत्वपूर्ण है क्योंकि चैनलों का विज्ञापन राजस्व इस पर निर्भर करता है। वहीं, पिछले दिनों फर्जी टीआरपी मामला सामने आने के बाद ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल ने बड़ा फैसला लिया था। टीवी रेटिंग जारी करने वाली संस्था बार्क (BARC) ने सभी भाषाओं के समाचार चैनलों की सप्ताहिक रेटिंग्स जारी करने पर रोक लगा दी थी।


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