डाक विभाग कर्मियों की भी होती थी जासूसी
नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी गोपनीय फाइलों के अध्ययन से पता चला है कि देश की आजादी से पूर्व तक यहां राज करने वाली अंग्रेजी हुकूमत सिर्फ नेताजी के परिवार व उनके करीबियों की ही जासूसी नहीं करती थी, बल्कि पोस्टल विभाग के कर्मियों पर भी उसकी विशेष नजर
राज्य ब्यूरो, कोलकाता । नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी गोपनीय फाइलों के अध्ययन से पता चला है कि देश की आजादी से पूर्व तक यहां राज करने वाली अंग्रेजी हुकूमत सिर्फ नेताजी के परिवार व उनके करीबियों की ही जासूसी नहीं करती थी, बल्कि पोस्टल विभाग के कर्मियों पर भी उसकी विशेष नजर थी। गुप्त फाइलों से यह तो बहुत पहले साफ हो चुका है कि आइबी व सीआइडी के निर्देश पर नेताजी के कोलकाता स्थित घर पर आने वाली प्रत्येक पत्र को पहले ही इंटरसेप्ट कर उसकी कॉपी कर ली जाती थी। उसके बाद उनके घर पर पत्रों को पहुंचाया जाता था। इससे आइबी अधिकारी पत्र लिखने वाले और इसमें मौजूद तथ्य के बारे में पहले ही जान कर सतर्क हो जाते थे।
इधर, फाइल नंबर छह की पड़ताल में कुछ ऐसे पत्र व नोट मिले हैं, जिससे पता चलता है कि आइबी व सीआइडी को पोस्ट ऑफिस व टेलीग्राफ विभाग में नेताजी के विचार से प्रेरित होने वाले कर्मियों के होने की आशंका थी। उन्हें इस बात का डर सता रहा था कि कहीं गुपचुप तरीके से कुछ कर्मी नेताजी से संबंधित पत्रों की होने वाली जासूसी के बारे में बोस परिवार तक जानकारी तो नहीं पहुंचा रहे हैं, इसलिए ऐसे कर्मियों पर काफी बारीकी से नजर रखी जाती थी।
इसके अलावा पोस्टल यूनियन के पदाधिकारियों व सदस्यों पर भी खुफिया अधिकारियों की विशेष नजर थी। सीआइडी के एक गोपनीय पत्र में द यूनियन ऑफ पोस्ट एंड टेलीग्राफ वर्कर्स (कलकत्ता ब्रांच) के बारे में विस्तृत जिक्र किया गया है और इसके पदाधिकारियों के नाम तक उसमें दर्शाया गया है। इसके अलावा इंडियन टेलीग्राफ एसोसिएशन, इंडियन पोस्ट एंड टेलीग्राफ यूनियन, ऑल इंडिया पोस्टल एंड आरएमएस यूनियन के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक का भी जिक्र है।