आसियान के दस देशों के साथ अब रणनीतिक रिश्ते मजबूत करने पर जोर
आसियान के सदस्य देशों में इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, मलयेशिया, थाईलैंड, ब्रुनेई, कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्यंमार और विएतनाम शामिल हैं।
नई दिल्ली[जयप्रकाश रंजन]। दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों के साथ सॉफ्ट कूटनीति के दौर को भारत अब खत्म कर रहा है। लुक ईस्ट नीति के नए दौर की शुरुआत हो रही है। इस दौर में दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ सिर्फ व्यापारिक रिश्ते अहम नहीं होंगे बल्कि एक मजबूत रणनीतिक व राजनीतिक रिश्ते पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।
आगामी गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में आयोजित होने वाले समारोह में शिरकत करने की एक साथ सहमति दे कर आसियान के दस देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने यह संकेत दे दिया है कि वे इस समूचे क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका का स्वागत करते हैं। 25 जनवरी, 2018 को पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आसियान के राष्ट्राध्यक्षों के साथ एक अहम बैठक होगी जिसे भारत के साथ इन देशों के रिश्तों की नई आगाज के तौर पर देखा जा रहा है।
आसियान के सदस्य देशों में इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, मलयेशिया, थाईलैंड, ब्रुनेई, कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्यंमार और विएतनाम शामिल हैं। भारत को अब ये देश कितनी अहमियत दे रहे हैं इसे इस बात से समझा जा सकता है कि इन्हें आस्ट्रेलिया की तरफ से द्विपक्षीय समारोह करने का आमंत्रण था लेकिन इन्होंने उसकी जगह भारत का प्रस्ताव शामिल किया है।
विदेश मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि यह कोई छिपा हुआ रहस्य नहीं है कि ये सभी देश पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को बढ़ाने के पक्ष में है। वे चाहते हैं कि भारत इस पूरे क्षेत्र में रणनीतिक तौर पर ज्यादा सक्रिय हो। दोनो पक्षों के लिए रणनीतिक हित अब धीरे धीरे ज्यादा अहम होते जा रहे हैं। वैसे कई देश पहले से ही भारत के साथ रक्षा सहयोग कर रहे हैं। कुछ देशों के साथ भारत की हथियारों की बिक्री को लेकर भी वार्ता हो रही है। लेकिन अब इसे ज्यादा सुनियोजित तरीके से किया जाएगा।
भारत भी चीन के दबदबे से सहमे इन देशों को आश्वस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है कि इस क्षेत्र में कूटनीति के केंद्र में आसियान देशों के हित होने चाहिए। यही वजह है कि साउथ चाइना सी के मामले में भारत हमेशा से यह मानता रहा है कि इस बारे में अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन होना चाहिए। सनद रहे कि आसियान देशों का चीन के साथ कई तरह के सीमा विवाद है। साउथ चाइना सी के विवाद को आने वाले दिनों में बड़े विवाद की जड़ के तौर पर देखा जा रहा है।
हाल ही में जिस तरह से अमेरिका-भारत-जापान-आस्ट्रेलिया ने एक गठबंधन बनाने का ऐलान किया है उसकी जड़ में भी साउथ चाइना सी ही है। विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्र बताते हैं कि आसियान देशों को इस गठबंधन को लेकर कोई आपत्ति नहीं है। आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष 24 जनवरी को भारत पहुंचेंगे। 25 जनवरी, 2018 को उनकी पीएम नरेंद्र मोदी के साथ एक समग्र बैठक होगी और इसके अलावा द्विपक्षीय स्तर पर भी इन अलग अलग बैठक होगी। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में ये सभी राष्ट्राध्यक्ष उपस्थित होंगे।
भारत से विएतनाम तक सड़क मार्ग
अगले सात वर्षो में भारत से सीधे विएतनाम तक सड़क मार्ग से जाना संभव हो सकेगा। अभी भारत से म्यंमार होते हुए थाईलैंड तक सड़क बनाने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है। इस योजना के वर्ष 2019 तक पूरा हो जाएगा लेकिन इसके साथ ही इस हाईवे को आगे लाओस, कंबोडिया और विएतनाम तक जोड़ने की है।
इस बारे में इन देशों की सरकारों के साथ बात किया जाएगा। इस उद्देश्य के तहत ही भारत ने कनेक्टिविटी के लिए एक अरब डॉलर की मदद का ऐलान किया है। इस तरह से भारत से सीधे विएतनाम तक सड़क मार्ग से जाना संभव हो सकेगा।