छत्तीसगढ़ में हाथियों की वजह से बिजली कंपनी को 16 सौ करोड़ से ज्यादा का नुकसान, जानिए क्या है वजह
राज्य में औसतन हर हफ्ते हाथियों के हमले से कम से कम दो लोगों की मौत होती है। हाथियों की वजह से राज्य की बिजली कंपनी को भी बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है।
रायपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ में हाथी-मानव द्वंद की समस्या लंबे अर्से से चल रही है और इसका कोई मजबूत समाधान भी नहीं निकल पा रहा है। राज्य के करीब 15 जिले जंगली हाथियों के आतंक से प्रभावित हैं। यहां हाथी दल स्वच्छंद विचरण करते हुए गांवों में फसलों को रौंधते हैं और लोगों को कुचलकर मौत के घाट उतार देते हैं। राज्य में औसतन हर हफ्ते हाथियों के हमले से कम से कम दो लोगों की मौत होती है। हाथियों की वजह से राज्य की बिजली कंपनी को भी बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है। हाथियों की वजह से बिजली कंपनी ने 18 वर्षों के दौरान 1,674 करोड़ स्र्पये गंवाए हैं।
बिजली तारों की चपेट में आने से 44 हाथियों की मौत
दरअसल जंगल से गुजरे बिजली तारों की चपेट में आने से 18 वर्षों के दौरान राज्य में 44 हाथियों की मौत हो चुकी है। इसे देखते हुए राज्य की बिजली वितरण कंपनी को वन क्षेत्रों में स्थित बिजली तारों को ऊंचा करने और इंसुलेटर वाले एरियल बंच (एबी) केबल लगाने का निर्देश हुआ है। इस पर करीब 1,674 करोड़ स्र्पये खर्च होंगे। बिजली कंपनी यह राशि वन विभाग से वसूलने की कोशिश में थी, लेकिन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के निर्देशों का हवाला देते हुए कंपनी को अपने बजट से यह काम करने का निर्देश दिया है।
जनहित याचिका से खुला मामला
इस पूरे मामले की शुस्र्आत जनवरी 2018 में हाई कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका से हुई। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने दायर की थी। सिंघवी ने बताया कि सुनवाई के दौरान बिजली कंपनी की तरफ से कोर्ट में बताया गया था कि कंपनी तारों को ऊंचा करने समेत अन्य उपाय कर रही है। इसके आधार पर कोर्ट ने याचिका का निराकरण कर दिया। साथ ही कहा कि निराकरण का यह मतलब नहीं है कि बिजली कंपनी चिरनिंद्रा में चली जाए। कोर्ट ने बिजली तारों की ऊंचाई बढ़ाने समेत अन्य उपाय करने का निर्देश दिया था। बिजली कंपनी ने इस पर होने वाले 1,674 करोड़ स्र्पये के खर्च की भरपाई वन विभाग से मांगते हुए डिमांड नोट (मांग पत्र) जारी कर दिया।