जीएसटी काउंसिल की बैठक के लिए निर्वाचन आयोग की मंजूरी
जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक में निर्माणाधीन फ्लैट्स के लिए जीएसटी दर को घटाकर पांच फीसद और किफायती श्रेणी के मकानों के लिए इस दर को घटाकर एक फीसद कर दिया गया था।
नई दिल्ली, प्रेट्र : निर्वाचन आयोग ने जीएसटी काउंसिल की 19 मार्च को होने वाली बैठक के लिए मंजूरी दे दी। काउंसिल की आगामी बैठक में रियल एस्टेट सेक्टर के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की कम दरों को लागू करने और अन्य जरूरी मुद्दों पर विचार किया जाना है। सूत्रों ने कहा कि अगली बैठक वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये होने वाली है।
सूत्रों ने कहा कि निर्वाचन आयोग से बैठक के लिए मंजूरी मिलने के बाद जीएसटी काउंसिल सचिवालय की ओर से राज्यों को 19 मार्च को काउंसिल की 34वीं बैठक होने की सूचना भेज दी गई है। इस बैठक के लिए निर्वाचन आयोग की मंजूरी इसलिए जरूरी थी कि रविवार से आदर्श आचार संहिता लागू है। सूत्रों ने कहा कि यह बैठक सिर्फ रियल एस्टेट सेक्टर के लिए जीएसटी की कम दरों को लागू करने के लिए ट्रांजीशन प्रावधान और संबंधित मुद्दों पर विचार करने के लिए की जाएगी।
जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक में निर्माणाधीन फ्लैट्स के लिए जीएसटी दर को घटाकर पांच फीसद और किफायती श्रेणी के मकानों के लिए इस दर को घटाकर एक फीसद कर दिया गया था। नई दरें एक अप्रैल से लागू होंगी। अभी निर्माणाधीन फ्लैट्स के लिए होने वाले भुगतान पर जीएसटी की दर 12 फीसद है और इसके साथ ही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का प्रावधान भी है। यही व्यवस्था ऐसे रेडी-टु-मूव-इन फ्लैट्स के लिए भी है, जिनके लिए बिक्री के वक्त कंप्लीशन सर्टिफिकेट्स जारी नहीं किए गए होते हैं। किफायती श्रेणी में आने वाली आवासीय इकाई के लिए अभी जीएसटी की दर आठ फीसद है।
जीएसटी वसूली फरवरी महीने में घटकर 97,247 करोड़ रुपये पर आ गई है, जो जनवरी में 1.02 लाख करोड़ रुपये रही थी। फरवरी में हुई वसूली में सेंट्रल जीएसटी 17,626 करोड़ रुपये, स्टेट जीएसटी 24,192 करोड़ रुपये, इंटीग्रेटेड जीएसटी 46,953 करोड़ रुपये और सेस 8,476 करोड़ रुपये का रहा। चालू वित्त वर्ष में फरवरी महीने तक कुल जीएसटी वसूली 10.70 लाख करोड़ रुपये की हुई। सरकार ने अपने संशोधित अनुमान में चालू वित्त वर्ष के लिए जीएसटी वसूली का लक्ष्य घटाकर 11.47 लाख करोड़ रुपये कर दिया है, जो पहले 13.71 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीएसटी वसूली का लक्ष्य 13.71 लाख करोड़ रुपये रखा गया है।