बुजुर्गों की जिद से गैंव से दूर हुआ नशे का अंधेरा
गांव निवासी इकबाल सिंह संघा के मुताबिक दो साल पहले मोगा के डीसी परमजीत सिंह गिल ने तंबाकू रहित बनने योग्य गांवों की सूची में गांव को शामिल किया।
मोगा (विनय शौरी)। अनुभवों के अनमोल खजाने के बल पर बुजुर्ग हर समस्या हल कर देते हैं। ऐसा ही चमत्कार हुआ है पंजाब के मोगा जिले के स्वतंत्रता सेनानियों के ऐतिहासिक गांव डरौली भाई में। 50 बुजुर्गों की टास्क फोर्स ने सेहत विभाग संग मिलकर गांव को जिले का पहला तंबाकूरहित गांव घोषित करवा दिया। गांव की किसी भी दुकान पर तंबाकू उत्पाद नहीं मिल सकते। टास्क फोर्स दुकानों पर नए ग्राहक भेजकर समय-समय पर उन्हें परखती भी है। तंबाकू का सेवन करते पकड़े जाने पर पंचायत की ओर से पांच सौ से पांच हजार तक जुर्माना लगाने का एलान किया गया है।
गांव निवासी इकबाल सिंह संघा के मुताबिक दो साल पहले मोगा के डीसी परमजीत सिंह गिल ने तंबाकू रहित बनने योग्य गांवों की सूची में गांव को शामिल किया। फिर सेहत विभाग की टीम गांव पहुंची व तंबाकू से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक किया। ग्राम पंचायत के सामने बड़ा सवाल था कि तंबाकू का सेवन कैसे रोकें? बुजुर्गों ने कमान संभाल टास्क फोर्स गठित की, जिसमें शामिल 50 बुजुर्गों की मेहनत रंग लाई। सेहत विभाग ने गांव को अप्रैल 2017 में तंबाकू रहित घोषित कर दिया। पहले धुआं होता पैसा अब सेहत पर लगने लगा।
पंचायत ने अपने प्रयास से गांव में वेरका मिल्क बूथ स्थापित किया। बदलाव देखिए कि अब छोटी-छोटी बात पर दूध, दही और मक्खन खाने की शर्तें लगती हैं। पंचायत ने बुजुर्गों की सलाह पर अमल कर पंचायती जमीन पर स्टेडियम बनाया व खेल सामग्री उपलब्ध करवाई। रविवार को बच्चे फ्रेंडली मैच के बाद कोल्ड ड्रिंक के बजाय दूध-लस्सी पीते हैं। तंबाकू के तो नाम से भी तौबा...।
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