ग्लोबल वार्मिंग पर नासा की चेतावनी, इसके कारण अंटार्कटिका की सालाना दस इंच बर्फ पिघल रही
मध्य और पूर्व-मध्य प्रशांत महासागर क्षेत्र में समुद्री जल के औसत से अधिक गर्म होने की प्रक्रिया को अल नीनो कहते हैं। मौसम चक्र में इसी के कारण बदलाव हो रहा है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। अल नीनो अंटार्कटिका की सालाना दस इंच बर्फ पिघला रहा है। यह दावा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने ताजा अध्ययन में किया है। वैज्ञानिकों ने उपग्रह से प्राप्त 1994 से अब तक के आंकड़ों का आकलन किया है। उनके अनुसार अल नीनो समुद्र के गर्म पानी का बहाव अंटार्कटिका की ओर कर रहा है, जिससे वहां की बर्फ लगातार पिघल रही है। सालाना यह आंकड़ा दस इंच का है। हालांकि इससे वहां बर्फबारी की भी घटनाएं हो रही हैं।
23 साल में घटी 4.6 मी. बर्फ
अल नीनो से अंटार्कटिका का अमंडसेन सागर क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। वहां हिमखंडों की ऊंचाई में सालाना औसत आठ से दस इंच की कमी दर्ज की गई। मतलब पिछले 23 साल में अल नीनो के कारण वहां की 4.6 मीटर से अधिक बर्फ पिघल चुकी है। यह प्रक्रिया अभी भी जारी है।
नासा ने कराया शोध
यह अध्ययन खास उपग्रहों की मदद से यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशियनोग्राफी के वैज्ञानिकों ने नासा के नेतृत्व में किया। उन्होंने 1994 से लेकर अब तक उपग्रह से अंटार्कटिका की बर्फ पर नजर रखी।
अल नीनो जिम्मेदार
वैज्ञानिकों के मुताबिक अल नीनो समुद्र के गर्म पानी को अंटार्कटिका के बड़े हिमखंडों की ओर प्रवाहित करता है। इससे समुद्र के नीचे मौजूद हिमखंडों के बड़े हिस्से पिघल रहे हैं।
बर्फबारी का फायदा नहीं
अल नीनो के जरिये मौसम में बदलाव हो रहा है। इससे अंटार्कटिका में बर्फबारी भी हो रही है। लेकिन अल नीनो से ही वहां बर्फ पिघलने की प्रक्रिया बर्फबारी की तुलना में अधिक तेज है। इसलिए बर्फबारी का कोई फायदा नजर नहीं आ रहा। ऊपर बर्फबारी के साथ ही समुद्र के नीचे हिमखंड पिघलने की प्रक्रिया जारी रहती है।
अल नीनो
मध्य और पूर्व-मध्य प्रशांत महासागर क्षेत्र में समुद्री जल के औसत से अधिक गर्म होने की प्रक्रिया को अल नीनो कहते हैं। मौसम चक्र में इसी के कारण बदलाव हो रहा है। इससे विश्व के अलग-अलग हिस्सों में बर्फबारी, बाढ़ और सूखे जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं।
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