स्वागत योग्य बदलाव, भारत में हर दस में आठ लोग अंतरजातीय विवाह के समर्थक
इसमें सबसे स्वागत करने योग्य बदलाव यह है कि हर दस में से आठ भारतीय अंतरजातीय विवाह का समर्थन करते हैं।
नई दिल्ली [आइएएनएस]। एक ताजा ऑनलाइन सर्वे ने यह साबित कर दिया है कि 'न्यू इंडिया' की सोच भी नई और प्रगतिशील है। आजकल भारतीयों के जहन में रिश्तों की प्रतिबद्धताओं, साथ निभाने और लैंगिक विभेद पर बहुत तार्किक सोच है। इसमें सबसे स्वागत करने योग्य बदलाव यह है कि हर दस में से आठ भारतीय अंतरजातीय विवाह का समर्थन करते हैं।
एनड्रायड और आइओएस फोन पर एक करोड़ से भी अधिक डाउनलोड वाले ऐप के कराए सर्वे 'पल्स ऑफ द नेशन' में भारत में विवाह के प्रति बदलती सोच को जाहिर किया गया है। यह सर्वेक्षण इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले 1.3 लाख भारतीयों पर जून, 2018 के तीसरे हफ्ते में कराया गया था।
इस सर्वे में हर दस में से आठ भारतीयों को अंतरजातीय विवाह से कोई गुरेज नहीं था। इस विषय पर 70 फीसद से अधिक पुरुषों ने कहा कि वह अपनी पत्नी के सरनेम में कोई बदलाव नहीं चाहते हैं। इस सर्वे में भाग लेने वाले 50 फीसद लोग दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों से हैं। वहीं, 84 फीसद महिलाओं को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि उनका पति उनसे कम या ज्यादा कमाता है। जबकि केवल सात फीसद पुरुषों ने कहा कि उन्हें उनकी पत्नी के अधिक कमाने से परेशानी है।
इस सर्वे के मुताबिक 90 फीसद पुरुषों ने कहा कि वह अपनी शादी का खर्च लड़की वालों के साथ आधा-आधा बांटना चाहेंगे। इस सोच में खासा बदलाव आया है। चूंकि परंपरागत सोच यही थी कि दुल्हन का परिवार ही शादी का पूरा खर्च उठाए। सर्वे में बताया गया है कि 16 फीसद पुरुषों ने समाज के दबाव में शादी की जबकि 25 फीसद से अधिक महिलाओं ने कहा कि उन्हें समाज के दबाव में शादी की है। यह भी शादी को लेकर बदली धारणाओं का एक बड़ा उदाहरण है।
इनशार्ट नामक कंपनी के सीईओ और सह संस्थापक अजहर इकबाल ने कहा कि अब लोगों की सोच समान अधिकारों को लेकर बढ़ी है। बुजुर्ग पुरुष के आधिपत्य वाले परिवार की रूपरेखा अब बदली है। वैवाहिक संबंध में परंपरागत विचारों और रूढि़यों को अब पीछे छोड़ दिया गया है। इसलिए अब नए समाज के उत्थान के लिए जड़ें जमाई जा रही हैं।