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उत्तर प्रदेश और बिहार में दम तोड़ रहे प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ाने के प्रयास

इन राज्यों में यह गिरावट ऐसे समय आयी है जबकि नोटबंदी के वर्ष में इन राज्यों में प्रत्यक्ष कर संग्रह में खासी वृद्धि दर्ज की गयी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 10:24 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 10:24 PM (IST)
उत्तर प्रदेश और बिहार में दम तोड़ रहे प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ाने के प्रयास
उत्तर प्रदेश और बिहार में दम तोड़ रहे प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ाने के प्रयास

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। कर आधार और संग्रह बढ़ाने की सरकार की कोशिशें देश के बाकी राज्यों में भले ही सफल रहीं हों, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में आयकर विभाग के प्रयास दम तोड़ रहे हैं। हाल यह है कि वित्त वर्ष 2017-18 में पूरे देश में प्रत्यक्ष कर संग्रह 18 प्रतिशत बढ़ा, लेकिन यूपी में इसमें 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है। इसी तरह बिहार और राजस्थान में भी प्रत्यक्ष कर संग्रह में तीन-चार प्रतिशत की गिरावट आयी है। खास बात यह है कि इन तीनों प्रदेशों में नोटबंदी के साल यानी वित्त वर्ष 2016-17 में प्रत्यक्ष कर संग्रह में उछाल आया था लेकिन इसके एक साल बाद ही हालात पुराने ढर्रे पर चले गए हैं।

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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2017-18 में देशभर में रिकार्ड 10.02 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर संग्रह हुआ जो कि नोटबंदी के साल (2016-17) के 8.49 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक था। हालांकि इस अवधि में तीन बड़े राज्यों-यूपी, बिहार और राजस्थान में आयकर संग्रह बढ़ने के बजाय घट गया।

मसलन, वित्त वर्ष 2016-17 में यूपी में भारी भरकम 29,309 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर संग्रह हुआ था, लेकिन वित्त वर्ष 2017-18 में यह घटकर 23,515 करोड़ रुपये रह गया। बिहार में भी वित्त वर्ष 2017-18 में प्रत्यक्ष कर संग्रह घटकर 6,286 करोड़ रुपये रह गया जबकि पूर्व वर्ष में यह 6,519 करोड़ रुपये था।

इसी तरह राजस्थान में भी इस अवधि में प्रत्यक्ष कर संग्रह 20,182 करोड़ रुपये से घटकर 19,201 करोड़ रुपये रह गया। इन राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर के तीन राज्यों- मिजोरम, सिक्किम और नगालैंड में भी गत वर्ष प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट दर्ज की गयी है।

इन राज्यों में यह गिरावट ऐसे समय आयी है जबकि नोटबंदी के वर्ष में इन राज्यों में प्रत्यक्ष कर संग्रह में खासी वृद्धि दर्ज की गयी है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2016-17 में प्रत्यक्ष कर संग्रह पूर्व के वर्ष की तुलना में उत्तर प्रदेश में 17 प्रतिशत, बिहार में 20 प्रतिशत और राजस्थान में 50 प्रतिशत बढ़ा था। उस समय माना जा रहा था कि कालेधन के खिलाफ सरकार ने नोटबंदी जैसा जो साहसिक कदम उठाया है, उसका नतीजा इन राज्यों में प्रत्यक्ष कर संग्रह में उछाल के रूप में देखने को मिला है। हालांकि अब यह गिरावट क्यों आयी है इस बारे में सीबीडीटी ने आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है।

प्रमुख राज्यों में प्रत्यक्ष कर संग्रह (करोड़ रुपये)

वर्ष           यूपी     बिहार   राजस्थान

2010-11 19,850   2,581   5,813

2011-12 20,130   3,058   7,689

2012-13 25,745   3,806   9,951

2013-14 25,886   4,491   11,246

2014-15 27,159   4,425   13,146

2015-16 24,981   5,425   13,352

2016-17 29,309   6,519   20,182

2017-18 23,515   6,286   19,201


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