कोवैक्सीन के तीसरे चरण के प्रभावी नतीजे, लोगों में बढ़ेगी जागरुकता; लेंगे वैक्सीन की खुराक
भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन COVAXIN के तीसरे चरण के प्रभावी नतीजों से लोगों की हिचक दूर होगी और वो आगे आकर इसकी खुराक लेंगे। ऐसा देश के डॉक्टरों व वैज्ञानिकों का मानना है। लोगों के बीच वैक्सीन को लेकर काफी शंकाएं हैं।
नई दिल्ली, रॉयटर्स। देश में कोरोना वायरस वैक्सीन के प्रभावी आंकड़ों की भारतीय डॉक्टरों व राजनीतिज्ञों ने प्रशंसा की है। जनवरी में इमरजेंसी अप्रूवल दिए गए वैक्सीन के लिए प्रभावी आंकड़ों को देखते हुए उनकी ओर से गुरुवार को कहा गया कि इससे लोगों में वैक्सीन को स्वीकार करने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा। दरअसल इस वैक्सीन के अंतिम चरण का ट्रायल पूरा नहीं हुआ था जिसके कारण लोगों के मन में हिचक बनी हुई है।
सरकारी आंकड़े https://dashboard.cowin.gov.in पर है जिसके अनुसार देश की कुल जनसंख्या 12.6 मिलियन का मात्र 10 फीसद हिस्सा ही इम्यून हुआ है जिसने कोवैक्सीन की खुराक ली है। बता दें कि अंतिम चरण के ट्रायल में इस वैक्सीन को 81 फीसद प्रभावी बताया गया। यह जानकारी बुधवार को वैक्सीन विकसित करने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने दी। विपक्ष के सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने भारत बायोटेक के ऐलान का स्वागत किया है।
बता दें कि भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन को लेकर पहले कई सवाल उठ रहे थे। भारत बायोटेक की तरफ से बताया गया है कि तीसरे फेज के क्लिनिकल ट्रायल में 25,800 वॉलंटियर शामिल थे। किसी वैक्सीन पर भारत में हुआ यह अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल बताया गया है। कोवैक्सीन के ट्रायल के बाद भारत बायोटेक की तरफ से कहा गया, 'आज के तीसरे फेज के ट्रायल किए गए हैं। पहले, दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल में 27,000 वॉलंटियर्स शामिल रहे।' भारत बायोटेक की तरफ से बताया गया है कि ट्रायल में पाया गया कि जिनको पहले संक्रमण नहीं हुआ है उनको कोवैक्सीन देने के बाद यह टीका कोरोना संक्रमण रोकने में अंतरिम रूप से 81 फीसदी प्रभावी है।
उल्लेखनीय है कि इस वैक्सीन को तीसरे फेज के ट्रायल के बिना ही इमरजेंसी अप्रूवल दी गई थी। हालांकि देश में वैक्सीनेशन का दूसरा फेज जारी है। इस फेज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं वैक्सीन की पहली खुराक लगवाई और लोगों को संदेश दिया था। कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन है। इसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के सहयोग से विकसित किया गया है।