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कैंसर के इलाज में कारगर वर्षों पुरानी रेडियो थेरेपी से अब ठीक की जाएंगी दिल की घातक बीमारियां

डॉक्टरों ने कैंसर के इलाज में कारगर 100 साल पुरानी तकनीक रेडियो थेरेपी का इस्‍तेमाल करके दिल की घातक बीमारियों के इलाज करने का दावा किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 07:59 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 07:59 PM (IST)
कैंसर के इलाज में कारगर वर्षों पुरानी रेडियो थेरेपी से अब ठीक की जाएंगी दिल की घातक बीमारियां
कैंसर के इलाज में कारगर वर्षों पुरानी रेडियो थेरेपी से अब ठीक की जाएंगी दिल की घातक बीमारियां

नई दिल्ली, जेएनएन। डॉक्टरों ने कैंसर के इलाज में कारगर 100 साल पुरानी तकनीक का इस्‍तेमाल करके दिल की सबसे घातक बीमारियों का इलाज करने का दावा किया है। कैंसर के उपचार की यह विधि बीमिंग रेडियोथेरेपी (Beaming radiotherapy) है। इसका उपयोग एक सदी से कैंसर के ट्यूमर को खत्म करने के लिए किया जाता है और इससे हृदय की गति सामान्य से तीन गुना ज्यादा हो जाती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि रेडियोथेरेपी के पांच मिनट के ब्लास्ट से ही हृदय की असमान्य लय को बिना दर्द के ठीक किया जा सकता है।

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यह विधि उन लोगों के लिए बेहद कारगर होगी। जिन पर पारंपरिक उपचारों का फायदा नहीं होता। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह रोगियों के जीवन को बदल सकता है। हृदय की वजह से अचानक होने वाली बीमारी से सबसे प्रमुख बीमारी वेंट्रीकुलर टैचीकार्डिया (Ventricular tachycardia, VT) है। इसकी वजह से हर साल ब्रिटेन में एक लाख लोगों की जान जाती है। इस स्थिति में आमतौर पर हार्ट अटैक के दौरान हृदय की मांशपेशी को नुकसान पहुंचाता है। डॉक्टरों ने बताया कि एक स्वस्थ हृदय एक मिनट में लगभग 60 से 100 बीट्स प्रति मिनट की दर पर धड़कता है, लेकिन वीटी की स्थिति में धड़कन 200 बीट्स के ऊपर निकलने लगती है।

नतीजतन दाएं और बाएं निलय (हृदय के दो निचले कक्ष जो शरीर में रक्त को पंप करते हैं) धड़कनों के बीच में रक्त से भर नहीं पाते हैं। इसके रक्त का संचार घटता है शरीर के ऊतकों को ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। ऐसी स्थिति में सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई होती है। इससे एक गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है जिसमें हृदय की गति अनियमित हो जाती है। कभी-कभी रक्त की कमी इतनी ज्यादा हो जाती है कि धड़कन के बीच कोई रक्त संचार ही नहीं होता। इसका उपचार तुरंत ही करने की जरूरत होती है।

कुछ रोगियों में दवा और इंजेक्शन से हृदय की गति को नियंत्रित करने में सफलता मिल जाती है। कुछ लोगों को इलेक्ट्रिक शॉक से मदद मिलती है तो कुछ को सर्जरी कराकर डिवाइस इंप्लांट करवानी पड़ती है, जिससे की जब कभी हृदय गति अनियंत्रित हो इसे नियंत्रित किया जा सके। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में किए गए नए शोध से पता चलता है कि केवल एक बार की गई रेडियोथेरेपी से छह महीने के भीतर हृदयगति को 94 फीसद तक कम करने में मदद मिलती है। यह इलाज फेफड़े के कैंसर के शुरुआती चरण के मरीजों को दिया जाता है। 


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