शिक्षा मंत्री निशंक ने कहा- पैकेज के पीछे न भागें, देश को शीर्ष तक पहुंचाने का संकल्प लें युवा
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि देश में चंद्रगुप्त की कमी नहीं है केवल चाणक्य की जरूरत है। एनआइटी राउरकेला ने हर क्षेत्र में अच्छा काम कर यह साबित किया है। देश के सबसे ऊंचे शैक्षणिक भवन का किया लोकार्पण
जासं, राउरकेला (सुंदरगढ़)। एनआइटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) राउरकेला के स्वर्णजयंती भवन का ऑनलाइन लोकार्पण करते हुए सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि यह भवन आत्मनिर्भर और श्रेष्ठ भारत बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
शिक्षा मंत्री ने कहा- देश में चंद्रगुप्त की कमी नहीं, केवल चाणक्य की जरूरत है
21वीं सदी युवाओं का भारत है। किसी संस्थान के प्रोजेक्ट से पता चलता है कि इसका भविष्य कैसा होगा। युवा पैकेज के पीछे न भागें, बल्कि अपने देश को शीर्ष तक पहुंचाने का संकल्प लें। देश में चंद्रगुप्त की कमी नहीं है, केवल चाणक्य की जरूरत है। एनआइटी राउरकेला ने हर क्षेत्र में अच्छा काम कर यह साबित किया है।
शिक्षा मंत्री ने कहा- शिक्षा के क्षेत्र में राजनीति नहीं होनी चाहिए
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि 130 करोड़ जनता हमारे साथ है। नई शिक्षा नीति दुनिया की सबसे अच्छी शिक्षा नीति होगी। राजनीति करने के लिए कई क्षेत्र हैं, शिक्षा के क्षेत्र में राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एनआइटी राउरकेला का स्वर्ण जयंती भवन देश के सभी संस्थानों से ऊंचा शैक्षणिक भवन है। यहां एक ही परिसर में कक्षा, लाइब्रेरी, अंतरिक्ष विज्ञान में शोध एवं सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इससे जो ताकत पैदा होगी, वह देश को आगे ले जाने में सहायक होगी।
शिक्षा मंत्री ने कहा- देश की ताकत शिक्षा की प्रगति पर निर्भर करती है
कहा कि किसी भी देश की ताकत शिक्षा की प्रगति पर निर्भर करती है। हमारे देश में तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय थे, जहां शोध, ज्ञान विज्ञान की शिक्षा के लिए देश-विदेश से छात्र आते थे। गुलामी ने हमें पछाड़ कर कटी पतंग बना दिया। हम उड़ तो सकते थे, पर आधार नहीं था। आजादी के 70 साल बाद हम नया भारत बनाने की ओर अग्रसर हैं।
यह भी कहा
-हमारे पास चुनौतियों को अवसर में बदलने की ताकत है। हमें हमारे विजन को जमीन पर उतारना है। दुनिया हमें उम्मीद से देख रही है।
-दूसरे देशों की तुलना में हमारी शिक्षा कम नहीं है। केवल अनुसंधान में कुछ पीछे हैं। ज्ञान व विज्ञान से हम फिर से विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर हैं।
-गूगल व माइक्रोसाफ्ट जैसे कंपनियों के ऊंचे पदों पर भारतीय कार्य कर अपने ज्ञान व कौशल को साबित कर चुके हैं।