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ED की कार्रवाई, फेयर डील सप्‍लाइज के निदेशकों की संपत्‍ति अटैच

बैंक से धोखाधड़ी मामले में मनी लांड्रिंग एक्‍ट 2002 के तहत फेयर डील सप्‍लाईज लिमिटेड के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने कार्रवाई की।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 01:04 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 05:27 PM (IST)
ED की कार्रवाई, फेयर डील सप्‍लाइज के निदेशकों  की संपत्‍ति अटैच
ED की कार्रवाई, फेयर डील सप्‍लाइज के निदेशकों की संपत्‍ति अटैच

नई दिल्‍ली, एएनआइ। बैंक से धोखाधड़ी मामले में मनी लांड्रिंग एक्‍ट 2002 के तहत फेयर डील सप्‍लाईज लिमिटेड के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को कार्रवाई की। कंपनी के निदेशकोंं  की संपत्‍ति को अटैच कर लिया गया है। यह संपत्‍ति कुल 107.73 करोड़ रुपये की है। यह कार्रवाई मनी लांड्रिग एक्‍ट, 2002 के तहत की गई।

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ED ने कंपनी के निदेशकों की चल व अचल संपत्तियों को जब्त कर लिया है। जब्त की गई संपत्तियों में एसआईवी इंडस्ट्रीज की कोयंबटूर की भूमि और भवन, एक कार्यालय भवन, एक फार्महाउस और अहमदाबाद में एक बंगला और सात फिक्सड डिपॉजिट शामिल हैं। ED के अनुसार, इन संपत्तियों को धन शोधन अधिनियम 2002 (PMLA) के तहत जब्त किया गया है।

फेयरडील सप्लाई लिमिटेड व इसके निदेशकों- राम प्रसाद अग्रवाल, नारायण प्रसाद अग्रवाल व पवन कुमार अग्रवाल व सौरभ झुनझुनवाला समेत कई अन्‍य के खिलाफ जांच जारी है। उल्‍लेखनीय है कि फेयरडील सप्लाइज लिमिटेड व इसके निदेशकों ने यूको बैंक से विभिन्न तरह की क्रेडिट सुविधाओं व फॉरेन लेटर्स ऑफ क्रेडिट प्राप्त किए। यह धोखाधड़ी यूको बैंक की प्रमुख कॉरपोरेट ब्रांच, कोलकाता से की गई।

भारतीय कानून के तहत वित्तीय धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग को अपराध माना गया है। इसके लिए सजा व जुर्माना का प्रावधान निर्धारित किया गया है। इस तरह के अपराधों को रोकने के साथ वित्तीय अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भारतीय संसद ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (Prevention of Money Laundering Act) बनाया। इस एक्‍ट के तहत किसी कंपनी या फर्म द्वारा किया गया वित्‍तीय अपराध आता है। इसके तहत कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होती है। साथ ही वेश्यावृत्ति, तस्करी, हथियारों का खरीद-फरोख्त, शेयरों की गैर कानूनी तरीके से खरीद-फरोख्त, रिश्वतखोरी और कंप्यूटर के जरिए फ्रॉड भी वित्तीय अपराध में आता है।

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