छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आइएएस की संपत्ति की जब्त
ईडी के अनुसार भ्रष्टाचार से की गई काली कमाई को सफेद करने के लिए बाबूलाल अग्रवाल ने अनोखा रास्ता निकाल लिया था।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आइएएस अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल की 36 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। ईडी का आरोप है कि बाबूलाल अग्रवाल ने ये संपत्ति भ्रष्टाचार के माध्यम से 2006 से 2009 के बीच बनाई थी। पिछले दिनों सीबीआइ ने बाबूलाल अग्रवाल को भ्रष्टाचार के केस खत्म कराने के लिए रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था।
ईडी के अनुसार भ्रष्टाचार से की गई काली कमाई को सफेद करने के लिए बाबूलाल अग्रवाल ने अनोखा रास्ता निकाल लिया था। इसके लिए अग्रवाल ने 446 ग्रामीणों के नाम पर बैंकों में फर्जी खाता खोल लिया था। ग्रामीणों को अपने इन खातों के बारे में जानकारी ही नहीं थी। इन खातों में करोड़ों रुपये नकद जमा कराए जाते थे। बाद में इन खाता धारकों के नाम पर 13 फर्जी कंपनियों में इन पैसों को निवेश कर दिया जाता था और फिर फर्जी कंपनियां एक कंपनी में उस पैसे को निवेश कर देती थी। अंत में अग्रवाल के भाई इन फर्जी कंपनियों के शेयर औने-पौने दामों में खरीद लेता था। इस तरह पूरा पैसा सफेद हो जाता था। इस पूरे मामले में चार्टर्ड एकाउंटेंट सुनील अग्रवाल ने अहम भूमिका निभाई थी।
ईडी का आरोप है कि ग्रामीणों के नाम खुले फर्जी खातों में 2006 से 2009 के बीच 39 करोड़ रुपये जमा किए गए थे। इस पूरे पैसे को 13 फर्जी कंपनियों में निवेश कर दिया और अंतत फर्जी कंपनियों ने 36.09 करोड़ रुपये के शेयर प्राइम इस्पात लिमिटेड नाम की कंपनी के खरीद लिये, जो बाबूलाल अग्रवाल के भाइयों की कंपनी है। इस पैसे के प्राइम इस्पात लिमिटेड ने 70.78 एकड़ जमीन, एक फैक्ट्री की जमीन व उसके लिए मशीनरी, एक इनोवा कार और एक फ्लैट खरीदा। प्रवर्तन निदेशालय ने इन सभी संपत्तियों को जब्त कर लिया है।
गौरतलब है कि 2010 में प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) रहते हुए बाबूलाल अग्रवाल के खिलाफ दो केस दर्ज किये गए। एक केस सरकारी योजनाओं में फर्जीवाडे़ का था और दूसरा आय से अधिक संपत्ति बनाने का। सीबीआइ दोनों मामलों की जांच कर रही है। सीबीआइ की एफआइआर के आधार पर ईडी ने भी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत केस दर्ज कर लिया था। पिछले महीने बाबूलाल अग्रवाल को सीबीआइ ने अपने केस खत्म कराने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये की रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद ईडी अपने पुराने केस में सक्रिय हुआ और अंतत: उसे जब्त कर लिया।
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