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कोलोन कैंसर से बचाव में कारगर बंदगोभी व ब्रोकली

शोध के अनुसार इंडोल-3-कारबिनोल से भरपूर आहार के सेवन से आंत में सूजन और कोलोन कैंसर से बचाव होता है। यह रयासन बंदगोली, ब्रोकली जैसी सब्जियों में पाया जाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 01:02 PM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 01:24 PM (IST)
कोलोन कैंसर से बचाव में कारगर बंदगोभी व ब्रोकली
कोलोन कैंसर से बचाव में कारगर बंदगोभी व ब्रोकली

नई दिल्‍ली [प्रेट्र]। अच्छी सेहत और बीमारियों से बचाव में सब्जियों की अहम भूमिका मानी जाती है। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि बंदगोभी और ब्रोकली जैसी सब्जियों के सेवन से आंत को दुरुस्त रखा जा सकता है। इससे कोलोन कैंसर से बचाव हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि इंडोल-3-कारबिनोल (आइ3सी) से भरपूर आहार के सेवन से आंत में सूजन और कोलोन कैंसर से बचाव होता है। यह रयासन बंदगोली, ब्रोकली जैसी सब्जियों में पाया जाता है।

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अध्ययन से पहली बार यह जाहिर हुआ कि आहार में मौजूद आइ3सी किस तरह आर्यल हाइड्रोकार्बन रिसेप्टर (एएचआर) नामक प्रोटीन को सक्रिय कर कोलोन सूजन और कैंसर से बचाव कर सकता है। ब्रिटेन के फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट की शोधकर्ता अमीना मेटिडजी ने कहा, ‘हमने ऐसे चूहों पर अध्ययन किया जो एएचआर की उत्पत्ति नहीं कर सकते थे। इनकी आंत में सूजन पाई गई जो बढ़कर कोलोन कैंसर में तब्दील हो गई। उन्हें जब आइ3सी से भरपूर आहार दिया गया तो उनमें सूजन या कैंसर नहीं पाया गया।’

एआइ तकनीक कम करेगी कैंसर दवाओं की खुराक

अमेरिका के मैसाच्युसेट्स ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने नई आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक विकसित की है जो ब्रेन कैंसर के इलाज के दौरान दवाओं की खुराक कम करने में मददगार हो सकती है। मस्तिष्क या मेरुदंड में होने वाले ग्लियोब्लास्टमा ट्यूमर के इलाज के लिए मरीज को रेडिएशन थेरेपी के साथ हर महीने कई दवाइयां भी खानी पड़ती हैं। ट्यूमर को कम करने के लिए चिकित्सक दवाओं की सबसे सुरक्षित खुराक देने की कोशिश करते हैं। बावजूद इसके मरीजों पर उसका साइड इफेक्ट हो जाता है। यह तकनीक इस बात को सुनिश्चित करती है कि मरीज को सही खुराक मिले और उसका कोई साइड इफेक्ट ना है।

एआइ सिस्टम में ‘सेल्फ लर्निंग’ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह पहले मरीजों को दी जा रही खुराकों का अध्ययन करता है। कुछ दिनों बाद यह सिस्टम खुद ही सबसे ज्यादा असरकारक और प्रभावी खुराक तय कर लेता है। 50 मरीजों पर इसका इस्तेमाल किया गया। प्रयोग के दौरान एआइ की वजह से मरीजों को दी जा रही खुराक लगभग आधी हो गई। ट्यूमर का आकार भी घट गया।  


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