प्राइम टीम, नई दिल्ली। मंगलवार रात आए भूकंप के जोरदार झटकों ने दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई शहरों को दहशत में डाल दिया। ज्यादातर लोगों के जेहन में बीते महीने तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप की यादें ताजा हो गईं। वहां भूकंप के चलते 45 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, जबकि 104 अरब डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ था। राहत की बात ये है कि मंगलवार की रात आए भूकंप ने उतना नुकसान नहीं पहुंचाया।

भारतीय मानक ब्यूरो के भूकंपीय मानचित्र के अनुसार, पूरे देश को चार जोन V, IV, III तथा II में विभाजित किया गया है। भारत के कुल भूभाग का लगभग 59 फीसदी हिस्सा विभिन्न तीव्रता वाले भूकंपों के दायरे में आता है। भूकंपीय दृष्टिकोण से क्षेत्र V सबसे अधिक सक्रिय क्षेत्र है, वहीं क्षेत्र II सबसे कम सक्रिय है। देश का लगभग 11% भाग क्षेत्र V में, लगभग 18% भाग क्षेत्र IV में, लगभग 30% भाग क्षेत्र III में तथा शेष भाग क्षेत्र II में आता है।

हिमालय पट्टी को विश्व में भूकंपीय रूप से सर्वाधिक सक्रिय अंर्तमहाद्वीपीय क्षेत्रों में से एक माना जाता है। इस क्षेत्र में लगभग 2400 किमी लंबी पट्टी में मध्यम से लेकर अधिक तीव्रता वाले भूकंप और कुछ बहुत बड़े भूकंप देखे गए हैं। इस क्षेत्र में भूकंप आने के पीछे हिमालयी थ्रस्ट को मुख्य कारण माना जाता है।

विभिन्न भूकंपीय क्षेत्रों में आने वाले राज्यों एवं क्षेत्रों का विवरण

क्षेत्र V: जम्मू एवं कश्मीर (कश्मीर घाटी) के भाग, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी भाग, उत्तराखण्ड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह।

क्षेत्र IV: जम्मू एवं कश्मीर के शेष भाग, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड के शेष भाग, हरियाणा के कुछ भाग, पंजाब के भाग, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग, बिहार एवं पश्चिम बंगाल का कुछ भाग, पश्चिमी तट के निकट गुजरात के भाग, महाराष्ट्र का कुछ भाग एवं पश्चिमी राजस्थान का कुछ भाग।

क्षेत्र III: केरल, गोवा, लक्षद्वीप द्वीपसमूह, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ भाग, गुजरात और पंजाब के शेष भाग, पश्चिम बंगाल का कुछ भाग, पश्चिमी राजस्थान का भाग, मध्य प्रदेश का भाग, बिहार का शेष भाग, झारखंड और छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग, महाराष्ट्र के भाग, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ भाग, तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ भाग।

क्षेत्र II: राजस्थान और हरियाणा के शेष भाग, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के शेष भाग, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के शेष भाग, तेलंगाना और कर्नाटक के शेष भाग, तमिलनाडु के शेष भाग।

आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर एम एल शर्मा कहते हैं कि दिल्ली-एनसीआर में लगातार आ रहे भूकंप के बारे में कोई आकलन करना गलत होगा। दिल्ली-एनसीआर में मौजूद फॉल्ट की वजह से यह भूकंप आ रहे हैं। कभी-कभार यह फ्रीक्वेंसी बढ़ जाती है तो कभी कम हो जाती है। बेहतर यह है कि हमें भूकंप बचाव रोधी उपाय अपनाने चाहिए।

जागरण प्राइम ने आपदा प्रबंधन से लेकर सिस्मोलॉजी और वित्त विशेषज्ञों से बात करके भूकंप से होने वाले नुकसान को कम से कम करने वाले उपायों को चिन्हित किया है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।

1. इमरजेंसी किट बनाकर दरवाजे के नजदीक रखें

भूकंप आने पर हम हमेशा हड़बड़ी में बाहर आते हैं, ऐसे में हमें जरूरी वस्तुओं का ध्यान नहीं रहता। इसलिए जरूरी है कि घर में एक इमरजेंसी किट बनाकर रखें। इस किट काे हमेशा घर के बाहरी दरवाजे के पास रखना चाहिए, ताकि बाहर निकलते समय आसानी से उठा सकें।

इस किट में अतिरिक्त बैटरी के साथ बैटरी संचालित टॉर्च, बैटरी चलित रेडिय़ो, प्राथमिक चिकित्सा किट और मैनुअल, आपातकालीन भोजन (सूखे पदार्थ) और पानी (सील किया हुआ), मोमबत्ती और माचिस एक जलरोधक डिब्बे में, चाकू, क्लोरीन की गोलियाँ या पाउडर वाटर प्यूरीफायर, कैन ओपनर, आवश्यक दवाइयाँ, नकदी और क्रेडिट कार्ड्स, मोटी रस्सी और डोरियाँ, मजबूत जूते, सैनिटरी पैड्स, परिवार और आपातकालीन संपर्क जानकारी, व्यक्तिगत दस्तावेजों की प्रतियां जैसे कि दवा की सूची और प्रासंगिक चिकित्सा जानकारी, पते का प्रमाण, घर, पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, बीमा पॉलिसियों के लिए विलेख / पट्टे आदि शामिल हो सकते हैं।

2. होम इंश्योरेंस से दें अपने घर को सुरक्षा

पॉलिसीबाज़ार.कॉम के चीफ़ बिज़नेस ऑफ़िसर (जनरल इंश्योरेंस) तरुण माथुर कहते हैं, हम सभी बड़ी मेहनत से सारी जमा पूंजी लगाकर अपने सपनों का घर खरीदते हैं, औसतन हम अपने जीवन का बड़ा हिस्सा अपने होम लोन का भुगतान करने में खर्च करते हैं, लेकिन हम एक आवश्यक सुरक्षा उपाय भूल जाते हैं और वह है घर का बीमा अर्थात होम इंश्योरेंस। होम इंश्योंरेंस लेकर भूकंप के साथ-साथ आग और इससे संबद्ध खतरों, चोरी, सेंधमारी, आतंकवाद से होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सकती है। घर के अंदर मौजूद सामान का भी बीमा इसमें शामिल किया जा सकता है।

देश की प्रमुख जनरल इंश्योरेंस कंपनी बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के चीफ टेक्निकल ऑफिसर टी. ए. रामलिंगम कहते हैंहोम इंश्योरेंस पॉलिसियां ग्राहकों को 5 साल तक की लंबी अवधि से लेकर 1 दिन की अवधि के लिए पॉलिसी खरीदने का विकल्प भी देती हैं। किसी भी जनरल इंश्योरेंस कंपनी से होम इंश्योरेंस लिया जा सकता है। रामलिंगम कहते हैं, होम इंश्योरेंस को महंगा माना जाता है लेकिन क्या आपको पता है कि इसके लिए प्रीमियम 5 रुपये प्रतिदिन जितना कम हो सकता है। इसलिए होम इंश्योरेंस जरूर लें ताकि भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा में आपके घर को नुकसान हो तो उसकी क्षतिपूर्ति हो सके।

3. इमारत भूकंप रोधी नहीं है, तो रेट्रोफिटिंग कराएं

जब भूकंप आता है तो सबसे ज्यादा खतरा उन भवनों को होता है, जो पिलर पर खड़े नहीं होते हैं। भूकंप के दौरान पिलर पर खड़ी इमारत एक साथ हिलती है, जबकि बिना पिलर की इमारत की चारों दीवारें स्वतंत्र रूप से अलग-अलग हिलती हैं। इसलिए भवन गिरने लगते हैं। रेट्रोफिटिंग बिना पिलर वाली इमारतों को काफी हद तक जोड़ देती है और दीवारें अलग-अलग नहीं हिलती हैं। यह सौ फीसदी तो नहीं, पर 80 फीसदी तक भूकंप के खतरे को कम कर देती है। हालांकि, छोटे घरों में रेट्रोफिटिंग कर पाना मुमकिन नहीं हो पाता।

4. प्लॉट पर मकान बनाने से पहले कराएं मिट्टी की जांच

प्लॉट लेकर मकान बनाने से पहले यह जरूरी है कि आप उस जगह की मिट्टी की जांच अवश्य कर लें। मुम्बई पीडब्ल्यूडी के आर्केटेक्चर संतोष कुमार कहते हैं, इस जांच में उस निर्धारित स्थान की क्षमता, मिट्टी की संपूर्ण स्थिति आदि की जानकारी मिल सकती है। यही नहीं इस मुआयने में ही मकान के नक्शे और मंजिलों की संख्या भी तय की जा सकती है। भूकंपरोधी घर बनाने के लिए उसका पेटर्न और शेप भी अहम माने जाते हैं। आज की आरसीसी तकनीक में इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस तकनीक के तहत भूकंपरोधी घरों में आयताकार, सी शेप, एल शेप या क्रॉस शेप सबसे ज्यादा प्रभावशाली मानी गई है। साथ ही भूकंपरोधी मकान बनाने के लिए पहले जहां लोड बियरिंग स्ट्रक्चर बनाया जाता था, वहीं अब फ्रेम स्ट्रक्चर बनाए जाते हैं। आमतौर पर मकान खर्च 50 लाख है तो भूकंपरोधी बनाने में इसका खर्च 15 प्रतिशत बढ़ सकता है।