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क्‍यों आ रहे बड़ी तीव्रता के भूकंप, नासा के वैज्ञानिकों ने किया सनसनीखेज खुलासा...

धरती पर बढ़ती भूकंप की घटनाओं को लेकर नासा के वैज्ञानिकों ने एक खुलासा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा धरती के अपनी धुरी पर घूमने की गति धीमी पड़ने से हो रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 05:23 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 04:30 PM (IST)
क्‍यों आ रहे बड़ी तीव्रता के भूकंप, नासा के वैज्ञानिकों ने किया सनसनीखेज खुलासा...
क्‍यों आ रहे बड़ी तीव्रता के भूकंप, नासा के वैज्ञानिकों ने किया सनसनीखेज खुलासा...

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। धरती अपनी धुरी पर 1,670 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रही है। क्या कभी आपने सोचा कि यदि इसका अपनी धुरी पर घूमना थमने लगे तो इसका अंजाम क्या होगा.? वैज्ञानिकों की मानें तो यदि उक्त अनहोनी हुई तो इसकी वजह से धरती पर जीवन संकट में पड़ जाएगा। नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार धीमी हो रही है जिससे चंद्रमा इससे धीरे धीरे दूर होता जा रहा है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह घटना बड़े भूकंपों की वजह बन सकती है। आइये जानते हैं वैज्ञानिकों की यह रिपोर्ट क्‍या कहती है...

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धरती के घूमने की रफ्तार सुस्‍त पड़ने से आ रहे भूकंप

नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (NASA’s Jet Propulsion Laboratory) के सोलर सिस्टम के एम्बेस्डर मैथ्यू फुन्के (Matthew Funke) के मुताबिक, चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी पर एक ज्वारीय उभार बनाता है। यह उभार भी धरती की घूर्णन गति से घूमने का प्रयास करता है। इससे धरती की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार सुस्त पड़ जाती है। वैज्ञानिकों का मत है कि धरती की घूर्णन गति या अपनी धुरी पर घूमने की गति सुस्त पड़ने से भूकंपीय घटनाएं बढ़ जाती है। ऐसा क्‍यों होता है, वैज्ञानिक अभी उन वजहों का अध्‍ययन कर रहे हैं।

यह है असल वजह

वैज्ञानिकों की मानें तो यह ब्रह्मांड कोणीय संवेग (Angular Momentum) के सिद्धांत पर काम करता है। ब्रह्मांड में मौजूद पिंडों की गति भले ही अलग अलग हो लेकिन उनके कोणीय संवेग का योग नहीं बदलता है। चंद्रमा की वजह से जब धरती का कोणीय संवेग मंद पड़ता है तो चंद्रमा इसे संतुलित करने के लिए अपनी कक्षा में थोड़ा और आगे बढ़ जाता है। अध्ययन के मुताबिक, चंद्रमा हर साल लगभग डेढ़ इंच आगे बढ़ रहा है। इससे धरती पर भविष्य में बड़े भूकंप आ सकते हैं।

बड़ी तीव्रता के भूकंपों की संख्या बढ़ी

कोलोराडो यूनिवर्सिटी (University of Colorado) के वैज्ञानिक रोजर बिल्हम (Roger Bilham) और मोंटाना यूनिवर्सिटी (University of Montana) के रेबेक्का बेंडिक (Rebecca Bendick) ने अपने अध्ययन में पाया कि वर्ष 1900 के बाद से सात से अधिक की तीव्रता वाले भूकंपों में इजाफा हुआ है। 20वीं सदी के अंतिम पांच वर्षों में जब धरती की घूर्णन गति में थोड़ी कमी देखी गई तब सात से अधिक के तीव्रता के भूकंपों की संख्या अधिक थी। वैज्ञानिकों ने इस दौरान हर साल 25 से 30 तेज भूकंप दर्ज किए। इनमें औसतन 15 बड़े भूकंप थे।

क्‍या होगा जब धरती घूमना बंद कर दे

इस अध्‍ययन से पहले लंदन के वैज्ञानिक माइकल स्टीवंस ने अपने अध्ययन में पाया था कि धरती यदि एकाएक घूमना बंद का वातावरण गतिमान बना रहेगा। हवा 1,670 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलेगी। यह तूफानी हवा रास्ते में आने वाली हर चीज को ध्वस्त करती चली जाएगी। मनुष्य किसी बंदूक की गोली की रफ्तार से एक दूसरे से टकराएंगे। इसके साथ ही पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र समाप्त हो जाएगा। उस समय का वातावरण परमाणु विस्फोट के बाद की स्थितियों जैसा होगा, जिससे नाभिकीय व अन्य प्रकार के प्राण घातक विकिरण फैल जाएंगे।

खत्म हो जाएगी इंसानों की आबादी

वैज्ञानिक माइकल स्टीवंस के मुताबिक, धरती का घूर्णन थमने से नरंगी के आकार वाली पृथ्वी पूरी तरह से गोल हो जाएगी। समद्रों का पानी एकाएक उछलने से बाढ़ की स्थिति होगी। पृथ्वी पर आधे साल दिन रहेगा और आधे साल रात रहेगी। इससे धरती पर इंसानों की आबादी खत्म हो जाएगी। हालांकि, नासा वैज्ञानिकों की मानें तो कई अरब साल तक ऐसी घटना होने की कोई आशंका नहीं है।

चुंबकीय उत्तरी ध्रुव भी बदल रहा स्‍थान 

इससे पहले हुए एक अध्‍ययन में पाया गया था कि धरती पर दिशा की जानकारी देने वाला मैग्ननेटिक नॉर्थ पोल (चुंबकीय उत्तरी ध्रुव) अपनी स्थिति बदल रहा है। मैग्नेटिक नॉर्थ पोल का डायरेक्शन उत्तर ध्रुव (कनाडाई आर्कटिक) से सालाना 55 किलोमीटर (34 माइल) की दर से साइबेरिया की तरफ खिसक रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो बीते कुछ दशकों में पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव इतनी तेजी से खिसका है कि पूर्व में लगाए गए अनुमान अब जलमार्ग के लिए सही नहीं बैठ रहे हैं।

कंपासों में आ रही समस्‍या

वैज्ञानिकों ने अपने अध्‍ययन में पाया है कि मैग्ननेटिक नॉर्थ पोल के स्‍थान बदलने से जलमार्ग के जरिए यातायात में समस्‍याएं आ रही हैं। कॉलाराडो यूनिवर्सिटी के भूभौतिक विज्ञानी एवं नए वर्ल्ड मैगनेटिक मॉडल के प्रमुख शोधकर्ता अर्नोड चुलियट ने बताया कि इस बदलाव की वजह से स्मार्टफोन और उपभोक्ता के इस्तेमाल वाले कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स कंपासों में समस्या आ रही है।

अब तक डीकोड नहीं किया जा सके हैं भूकंप

धरती पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप एक ऐसी विपदा है जिसे इंसान आज तक डीकोड नहीं कर सका है। साल 2001 में गुजरात में आए भूकंप में 20 हजार लोगों की मौत हो गई थी। यही नहीं 26 दिसंबर 2004 को 9.1 तीव्रता भूकंप के बाद आई सुनामी में लगभग 2 लाख 30 हजार लोगों की मौत हो गई थी। 25 अप्रैल 2015 में नेपाल में 7.9 तीव्रता के आए भूकंप में 8000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी जबकि 2000 से अधिक घायल हो गए थे। भूकंप का केंद्र लामजुंग में जमीन से 15 किलोमीटर नीचे की गहराई में था। आंकड़ों के मुताबिक, साल 1934 के बाद पहली बार नेपाल में इतनी प्रचंड तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। 


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