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ई-बुक्स, सेनिटरी नैपकिन व हस्तशिल्प उत्पाद हो सकते हैं सस्ते

जीएसटी काउंसिल 21 जुलाई को होने वाली बैठक में इन चीजों पर दरों को तर्कसंगत बनाने पर विचार किया जा सकता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 07:54 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 07:54 PM (IST)
ई-बुक्स, सेनिटरी नैपकिन व हस्तशिल्प उत्पाद हो सकते हैं सस्ते
ई-बुक्स, सेनिटरी नैपकिन व हस्तशिल्प उत्पाद हो सकते हैं सस्ते

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। ई-बुक्स, सेनिटरी नैपकिन और हैंडीक्राफ्ट उत्पाद सस्ते हो सकते हैं। जीएसटी काउंसिल 21 जुलाई को होने वाली बैठक में इन चीजों पर दरों को तर्कसंगत बनाने पर विचार किया जा सकता है। काउंसिल होटलों के घोषित टैरिफ की जगह वास्तविक ट्रांजैक्शन के मूल्य पर जीएसटी लगाने का फैसला भी कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो होटल में ठहरना भी सस्ता हो जाएगा।

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सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में होने वाली जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में जीएसटी कानूनों में संशोधन के मसौदे और सिंगल रिटर्न के फॉरमेट पर भी चर्चा होने के आसार हैं। सूत्रों ने कहा कि काउंसिल की बैठक का एजेंडा तैयार कर राज्यों को भेजा जा रहा है।

चीनी पर सैस लगाने तथा ईथनॉल पर जीएसटी की दर घटाने पर विचार कर रहे मंत्री समूह की रिपोर्ट पर भी बैठक में चर्चा हो सकती है। साथ ही डिजिटल लेन-देन पर जीएसटी में दो फीसदी की छूट देने पर विचार कर रहे जीओएम की रिपोर्ट पर भी बैठक में चर्चा होगी। इसके अलावा लॉटरी और आइजीएसटी टैक्स पर बनी दो अलग-अलग टास्कफोर्स की रिपोर्ट भी काउंसिल के एजेंडे में शामिल कर चर्चा की जा सकती है।

सूत्रों ने कहा कि काउंसिल की बैठक में कई उत्पादों और सेवाओं पर जीएसटी की दरें तर्कसंगत बनाने पर चर्चा की जाएगी। जिन आइटम पर जीएसटी की दरें कम हो सकती हैं उनमें ई-बुक्स और सेनिटरी नैपकिन प्रमुख हैं। ई-बुक्स को ऑनलाइन सेवा मानते हुए फिलहाल 18 प्रतिशत जीएसटी की श्रेणी में रखा गया है।

माना जा रहा है कि सरकार डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के इरादे से ई-बुक्स को भी किताबों की तरह जीरो रेट के स्लैब या पांच प्रतिशत के स्लैब में रखा जा सकता है। इसी तरह सैनिटरी नैपकिन पर मौजूदा 12 प्रतिशत जीएसटी को घटाकर शून्य किया जा सकता है।

सामाजिक कार्यकर्ता लंबे अरसे से इसकी मांग कर रहे हैं। हालांकि ऐसा होने पर शून्य दर वाली श्रेणी के अन्य उत्पादों के समान सेनेटरी नैपकिन बनाने वाली कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा का लाभ शायद न मिले।

सेवाओं में एक अन्य महत्वपूर्ण आइटम होटलों के टैरिफ पर जीएसटी की गणना के संबंध में है। फिलहाल जीएसटी की गणना होटल के घोषित टैरिफ के आधार पर की जाती है। माना जा रहा है कि काउंसिल घोषित टैरिफ की जगह ट्रांजैक्शन के वास्तविक मूल्य पर ही जीएसटी की गणना का फार्मूला स्वीकार कर सकती है। ऐसा होने पर उन होटलों को लाभ होगा जो शिमला और मनाली जैसे टूरिस्ट स्थानों पर हैं और जो सीजन आधार पर ग्राहकों से टैरिफ लेते हैं।

फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशंस ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट गरिश ओबेराय का कहना है कि जीएसटी के तहत होटल के वास्तविक टैरिफ की जगह स्लैब के आधार पर टैक्स चार्ज किया जाता है।

उदाहरण के लिए अगर किसी होटल का टैरिफ 10,000 रुपये है तो यह 28 प्रतिशत के स्लैब में आएगा। आज की स्थिति में अगर यही होटल ग्राहक से पांच हजार रुपये टैरिफ लेता है तो भी ग्राहक को 28 प्रतिशत ही जीएसटी देना होता है। जबकि कायदे से इस पर 18 प्रतिशत ही होना चाहिए। ओबेराय ने कहा कि एफएचआरएआइ ने यह मुद्दा कई बार सरकार के पास उठाया है।

सूत्रों ने कहा कि काउंसिल कई वन उत्पादों पर भी जीएसटी की दरें तर्कसंगत बनाने का निर्णय ले सकती है। ओडिशा ने इस संबंध में काउंसिल के समक्ष आग्रह किया है।


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